- सुप्रीम कोर्ट ने जल्द से जल्द ‘लोकपाल’ को नियुक्त करने का समर्थन किया है. गुरुवार को शीर्ष अदालत ने कहा, ‘लोकपाल कानून काम करने लायक है और ऐसी कोई वजह नहीं कि केंद्र सरकार इसे लागू करने में देरी करे.
- गैर-सरकारी संगठन कॉमन कॉज की तीन साल पुरानी जनहित याचिका पर फैसला सुनाते हुए शीर्ष अदालत ने कहा कि लोकपाल नियुक्त करने के लिए इसके कानून में संशोधन का इंतजार करने की जरूरत ही नहीं है. इस याचिका में सरकार पर लोकपाल नियुक्त करने में जानबूझकर देरी करने का आरोप लगाया गया था. अदालत ने इस मामले में 28 मार्च को फैसला सुरक्षित रख लिया था.
- इस मामले में अटॉर्नी जनरल मुकुल रोहतगी ने दलील दी थी कि लोकपाल कानून के तहत नेता प्रतिपक्ष की परिभाषा में संशोधन विधेयक संसद में लंबित है, इस वजह से नियुक्ति में देरी हो रही है. उन्होंने यह भी कहा था कि न्यायपालिका, विधायिका को कानून बनाने के लिए निर्देशित नहीं कर सकती है. लोकपाल कानून के तहत लोकपाल चयन समिति में लोकसभा के नेता प्रतिपक्ष को शामिल किया गया है. लेकिन, 2014 के लोकसभा चुनाव में सबसे बड़े विपक्षी दल कांग्रेस को पर्याप्त सीटें नहीं मिल पाई थीं. इसके आधार पर उसके नेता को नेता प्रतिपक्ष का दर्जा नहीं मिला. इसके चलते चयन समिति का गठन नहीं हो पा रहा है.
- लोकपाल और लोकायुक्त विधेयक संसद से 2013 में पारित हुआ था और 2014 में प्रभाव में आ गया था. लेकिन, लोकपाल अब तक नियुक्त नहीं हो पाया है.