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चंडीगढ़ के एक एनजीओ ने सुप्रीम कोर्ट में दायर याचिका में चंडीगढ़ प्रशासन पर आरोप लगाया था कि उसने कई सड़कों का हाइवे का दर्जा खत्म कर कोर्ट के आदेश की अवमानना की है. लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने आज साफ कर दिया कि सरकार शहर में मौजूद हाइवे किनारे की दुकानों को बंद होने से बचाने के लिए ऐसा कर सकती है. इससे पहले पंजाब और हरियाणा हाई कोर्ट ने भी ऐसी अधिसूचना को वैध ठहराया था. इस बीच कर्नाटक सहित कई अन्य राज्यों ने केंद्र सरकार से मांग की है कि वह शहरी निकाय की सीमा से गुजरने वाले नेशनल हाइवे को गैर-अधिसूचित कर दे.
SC's View:
सुप्रीम कोर्ट ने साफ कर दिया कि हाइवे के 500 मीटर के दायरे में शराब परोसने की मनाही के उसके आदेश के बावजूद सरकारें शहर से गुजरने वाली सड़कों को हाइवे की सूची से हटा सकती हैं. उधर, हिमाचल प्रदेश ने एक जुलाई से प्रभावी होने वाले एक अध्यादेश के जरिए हाइवे के किनारे बने होटल, रेस्टोरेंट और बार आदि को शराब परोसने की छूट दे दी है. पिछले महीने पंजाब ने भी राज्य विधानसभा से पारित कानून के जरिए ऐसा ही बदलाव लागू किया था
वहीं हिमाचल प्रदेश सरकार ने एक जुलाई से प्रभावी हुए एक अध्यादेश के जरिए राज्य के आबकारी कानून, 2011 में नई धारा जोड़ी है. इस बदलाव के बाद हाइवे के 220 मीटर के दायरे से बाहर के प्रतिष्ठानों को शराब बेचने की इजाजत मिल गई है. हालांकि शराब के ठेकों को ऐसा करने की इजाजत नहीं होगी. इस अधिसूचना पर राज्यपाल आचार्य देवव्रत ने 30 जून को हस्ताक्षर किए थे. हिमाचल प्रदेश सरकार ने इसी दिन अधिसूचना जारी करते हुए इसे एक जुलाई से प्रभावी कर दिया.
Background
इससे पहले दिसंबर 2016 में सुप्रीम कोर्ट ने आदेश दिया था कि नेशनल और स्टेट हाइवे के 500 मीटर की सीमा में स्थित किसी भी दुकान, होटल, रेस्टोरेंट या पब को शराब बेचने की इजाजत नहीं होगी. कोर्ट ने यह आदेश सड़क सुरक्षा के लिए हाइवे किनारे शराब बेचने पर प्रतिबंध लगाने की मांग करने वाली एक याचिका की सुनवाई करते हुए दिया था.