Ø उम्मीदवारों की तरह सियासी दलों के लिए भी खर्च की सीमा तय की जाए।
Ø सियासी दलों को (चुनावों को नहीं) राज्य द्वारा फंड दिए जाने पर विचार हो और निजी चंदे पर पूरी तरह रोक लगे।
Ø एक स्वतंत्र राष्ट्रीय चुनाव कोष का गठन हो, जहां सभी कर-मुक्त चंदे जमा किए जाएं और जिसका संचालन चुनाव आयोग या कोई अन्य स्वतंत्र निकाय करे।
Ø एक स्वतंत्र ऑडिटर सभी दलों का सालाना ऑडिट करे और उसकी रिपोर्ट वेबसाइट पर डाली जाए, ताकि आम लोग भी देख सकें।
Ø दलों के कामकाज में आंतरिक लोकतंत्र व पारदर्शिता लागू हो।
Ø केंद्रीय सूचना आयोग यानी सीआईसी के फैसले के अनुसार सभी दल सूचना के अधिकार के दायरे में लाए जाएं।
Ø चुनाव आयोग के इस प्रस्ताव को माना जाए कि जिस चुनाव में पैसे के दुरुपयोग के विश्वसनीय सबूत हों, उसे रद्द करने का कानूनी अधिकार उसके पास हो।
Ø उन उम्मीदवारों के चुनाव लड़ने पर रोक लगे, जिनके खिलाफ अदालत में जघन्य आपराधिक मामले चल रहे हों।
Ø चुनाव आयोग को यह अधिकार मिले कि वह उन तमाम दलों की मान्यता रद्द कर सके, जिन्होंने दस वर्षों से कोई चुनाव नहीं लड़ा हो और अभी तक करों में छूट का फायदा उठा रहे हों। और
Ø पेड न्यूज (पैसे देकर मीडिया द्वारा मतदाताओं को प्रभावित करना) को चुनावी अपराध बनाया जाए और इसे जन-प्रतिनिधित्व कानून की धारा 100 के तहत ‘भ्रष्ट आचरण’ और धारा 123 (2) के तहत ‘अनुचित प्रभाव’ मानते हुए ऐसा करने वालों के लिए दो साल की कैद का प्रावधान हो।