भारतीय जिम्नास्टिक्स के नाम उस समय एक बड़ी उपलब्धि दर्ज हो गई, जब दीपा कर्माकर ने ओलिंपिक के लिए क्वालिफाई करके इतिहास रच दिया। अब वह रियो ओलिंपिक में जिम्नास्टिक्स में भारत का प्रतिनिधित्व करेंगी।
- ऐसा नहीं है कि पहले कोई भी भारतीय जिम्नास्ट ओलिंपिक में नहीं पहुंचा है, दरअसल इससे पहले कई पुरुष जिम्नास्ट ओलिंपिक में खेल चुके हैं, लेकिन 1964 के बाद यानी 50 वर्ष से भी अधिक समय के बाद अब कोई भारतीय जिमनास्ट फिर से ओलिंपिक में दिखेगा, वह भी महिला।
=>आशीष के मेडल जीतने से मिली प्रेरणा :-
- दीपा को अपने करियर में पहली सफलता 2007 में जूनियर नेशनल स्तर पर मिली। इसके बाद उन्होंने स्टेट, नेशनल और इंटरनेशनल सभी स्तरों पर सफलताएं अर्जित कीं और उनके नाम लगभग 77 मेडल हैं।
- उनके लिए सबसे बड़े प्रेरणास्रोत जिमनास्ट आशीष कुमार बने। जब आशीष ने दिल्ली में आयोजित 2010 के कॉमनवेल्थ खेलों में देश के लिए इस खेल में पहला मेडल जीता, तो दीपा ने भी ठान लिया कि वह भी अपने देश के लिए कुछ ऐसा ही करेंगी।
- फिर क्या था दीपा ने 2014 के कॉमनवेल्थ गेम्स में ब्रॉन्ज मेडल जीता और ऐसा करने वाली पहली महिला जिम्नास्ट बन गईं।
=>कॉमनवेल्थ गेम्स से मिली पहचान :-
- जब दीपा ने 2014 के कॉमनवेल्थ गेम्स में ब्रॉन्ज मेडल जीता, तो सबका ध्यान इस महिला खिलाड़ी पर गया और वह चर्चा के केंद्र में आ गईं। इतना ही नहीं वह सबसे मुश्किल माने जाने वाले ईवेंट प्रोडुनोवा वॉल्ट को सफलतापूर्वक पूरा करने वाली पांच महिलाओं में से एक रहीं।
- इसके साथ ही उन्होंने अगस्त 2015 में हिरोशिमा एशियन जिमनास्टिक्स चैंपियनशिप में भी ब्रॉन्ज जीता था।