DAILY CURRENT 10 September

हिंदी माध्यम के अभ्यर्थी के लिए अक्सर एक बड़ी चुनौती होती है ,बेहतर कंटेंट की |इसकी पूर्ति हेतु हम बाजार से लेकर इन्टरनेट की दुनिया को खंगाल लेते है |लेकिन क्या हमारे द्वारा इकट्ठा किया गया पाठ्यसामग्री का प्रयोग कैसे किया जाये या किस तरह उन्हें पढकर प्रारंभिक और मुख्य परीक्षा के लिए उपयोग किया जाये यह ज्ञात नहीं हो पाता है|इस तरह हम इन्फॉर्मेशन ओवरलोड का शिकार होने लगते है| आज की सिविल की तैयारी में यह बड़ा मुद्दा है |हम इनफार्मेशन डेफिसिट के युग से इन्फोर्मेशन ओवरलोड के युग में आ चुके है |हम जो भी पढ़ रहे है उसका प्रयोग प्रश्नगत होना अनिवार्य हो जाता है ,आज सिविल की तैयारी में समाचार पत्र इसका मुख्य स्रोत है |इसी स्रोत को रोजाना THE CORE IAS टीम द्वारा संक्षिप्त रूप प्रश्न पत्र के अनुसार आप सभी के लिए DAILY CURRENT AFFAIRS EDITORIAL BASED NEWS PAPER SHORT NOTES के नाम से TELEGRAM चैनल @THE CORE IAS और  वेबसाइट से download कर सकते हैं

http://thecoreias.com/daily-hindi-newspaper-short-notes/

1.गूगल की मदद से होगी चुनावी खर्च की निगरानी

Ø  चुनावों के दौरान इंटरनेट और सोशल मीडिया पर राजनीतिक विज्ञापनों के खर्च की पहेली को निर्वाचन आयोग अब गूगल, फेसबुक और ट्विटर की मदद से सुलझाएगा।

Ø  चुनाव आयोग में यह व्यवस्था है कि विज्ञापन से पहले आयोग के पास प्री-सर्टिफिकेशन कराना होता है। यही प्रक्रिया इंटरनेट पर राजनीतिक दलों या प्रत्याशियों द्वारा दिए जाने वाले विज्ञापन के लिए भी अपनाई जाएगी। गूगल आयोग के लिए यह प्री-सर्टिफिकेशन करेगा।

Ø  इंटरनेट पर राजनीतिक विज्ञापनों के प्री-सर्टिफिकेशन के साथ ही गूगल आयोग को इन विज्ञापनों पर खर्च की जानकारी भी देगा। आयोग के रिटर्निग ऑफिसर इन खर्चो को चुनावी खर्च में जोड़ सकेंगे। इससे प्रत्याशियों के कुल खर्च का सटीक आकलन करने में मदद मिलेगी। 

Ø  चुनाव के लिए जो प्रत्याशी नामांकन जमा करेंगे, उन्हें शपथपत्र के साथ सोशल मीडिया के आधिकारिक अकाउंट की जानकारी भी देनी होगी। ताकि इस अकाउंट पर आयोग नजर रख सके।

Ø  गूगल के अलावा फेसबुक और ट्विटर भी चुनाव आयोग के साथ सोशल मीडिया पर होने वाले खर्च की मॉनीटरिंग करेंगे। मतदान के 48 घंटे पहले चुनाव प्रचार बंद करने का नियम सोशल मीडिया पर भी लागू होगा

Ø  यदि प्रतिबंधात्मक अवधि में फेसबुक पर राजनीतिक विज्ञापन या इससे जुड़ी पोस्ट अपलोड की जाती है तो फेसबुक इसे हटा देगा।

Ø  इसके अलावा फेसबुक आयोग के लिए फेक न्यूज की पहचान करने के लिए भी काम करेगा। इसे लेकर फिलहाल निर्वाचन आयोग में तैयारी चल रही है।

2. ‘व्हीट ब्लास्टसे उत्पादक देशों में खलबली

Ø  व्हीट ब्लास्टजैसी संक्रामक बीमारी से दुनिया के गेहूं उत्पादक देशों में खलबली मची हुई है। फंगस (फफूंद) से फैलने वाले इस रोग से निपटने की तैयारियां वैश्विक स्तर पर शुरू हो चुकी हैं।

Ø  यूजी-99’ रस्ट के बाद यह दूसरा सबसे बड़ा खतरा गेहूं जैसी प्रमुख फसल के लिए पैदा हुआ है। पड़ोसी देश बांग्लादेश तक व्हीट ब्लास्ट के फंफूद मैगनापोर्टे ओरिजे के पहुंच जाने के संकेतों के बाद भारत सरकार और कृषि वैज्ञानिक सतर्क हो गए हैं।

Ø  इसके मद्देनजर बांग्लादेश की सीमा से सटे दस किलोमीटर तक के क्षेत्र में गेहूं की खेती पर पाबंदी लगा दी गई है। ऐसी किसी भी बीमारी की चुनौती से निपटने के लिए सीमा से लगे जिलों में 10 किलोमीटर भीतर तक इसकी कड़ी निगरानी की जा रही है। इसके चलते पश्चिमी बंगाल के पांच जिलों में गेहूं की बुवाई पर प्रतिबंध लगा दिया गया है। पू

Ø  र्वी छोर के अन्य राज्यों में गेहूं की खेती नहीं होती है, लेकिन छिटपुट किसान गेहूं की फसल उगाते हैं। ऐसे किसानों को वैकल्पिक और अधिक फायदा देने वाली फसलों को लगाने के लिए मदद दी जा रही है |

Ø  व्हीट ब्लास्ट जैसे फंगल (फफूंदी) से होने वाला संक्रामक रोग आमतौर पर धान में होता रहा है। इसका असर पहली बार ब्राजील में देखा गया, जहां से बोलीविया और पराग्वे में इसके फफूंद पहुंच गए।

Ø  कृषि वैज्ञानिकों के मुताबिक, गर्म और नमी वाले क्षेत्रों में इस फफूंद के तेजी से पनपने की संभावना रहती है। वैज्ञानिकों की कोशिश इस घातक बीमारी की प्रतिरोधी प्रजाति जल्द ही विकसित करने की है।

Ø  यूजी-99 की बीमारी युगांडा से शुरू हुई थी, जिसके लिए वैश्विक स्तर पर वैज्ञानिकों ने उल्लेखनीय कार्य किया था। यह रस्ट अफगानिस्तान तक पहुंच गया था, जिसे लेकर भारतीय वैज्ञानिकों ने तत्परता बरती और देश में इसकी प्रतिरोधी प्रजाति का बीज भारी मात्र में तैयार कर लिया। 

 

3. भारतीय बंदरगाह का स्थान नहीं ले सकते चीन के पोर्ट

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