INDIA & JAPAN coming closer and taking mammoth projects and in this context Asia Africa growth corridor could be answer to OBOR
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जापानी प्रधानमंत्री और प्रधानमंत्री की अहमदाबाद में मुलाकात होने जा रही है. शिंजो आबे की इस भारत यात्रा की किसी लिहाज से अनदेखी नहीं की जा सकती. अहमदाबाद में पिछली बार किसी एशियाई नेता का ऐसा भव्य स्वागत 2014 में हुआ था. तब यहां चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग आए थे और प्रधानमंत्री ने तमाम प्रोटोकॉल किनारे करते हुए उनकी अगुवानी की थी. लेकिन तब से अब तक गंगा में बहुत पानी बह चुका है. भारत-चीन के संबंध अपेक्षा के मुताबिक आगे नहीं बढ़े और जिस तरफ बढ़े वह डोकलाम की घटना दिखा चुकी है.
Trade relation Between India & Japan
- भारत-जापान के बीच व्यापारिक संबंधों की बात करें तो 2005 में भारत का जापान से आयात 22,900 करोड़ रुपये का था जो 2015 में 57,800 करोड़ रुपये का हो चुका है.
- वहीं इस समय भारत में तकरीबन 1305 जापानी कंपनियों की इकाइयां काम कर रही हैं.
- जापान ने दिल्ली मेट्रो जैसी परियोजना में निवेश किया है और दिल्ली-मुंबई गलियारे में निवेश करने जा रहा है. ये दोनों निवेश एक बड़े बदलाव की बुनियाद बन चुके हैं या जल्दी ही बन जाएंगे.
- तकरीबन एक लाख करोड़ रुपये की लागत से बनने जा रही मुंबई-अहमदाबाद बुलेट ट्रेन परियोजना में भी जापानी निवेश आ रहा है.
- हालांकि इस समय भारतीय रेलवे की खस्ता हालत देखते हुए बुलेट ट्रेन पर सवाल उठाए जा रहे हैं. लेकिन यहां ध्यान रखने वाली बात है कि बुलेट ट्रेन के लिए निवेश की व्यवस्था अलग से की गई है. दूसरी बात यह भी है कि इस परियोजना के तकनीकी अनुभवों का इस्तेमाल भारतीय रेल के परिचालन-व्यवस्थाओं के सुधार में भी किया जा सकता है.
Other projects in pipeline betwwwn India & JAPAN
- बुलेट ट्रेन परियोजना से इतर भारत और जापान के बीच 10 समझौता-पत्रों पर भी हस्ताक्षर होंगे.
- इस सबके बीच पूरी दुनिया की निगाहें ‘एशिया-अफ्रीका विकास गलियारा’ (एएजीसी) के संभावित उद्घाटन पर भी हैं. यह भारत-जापान की संयुक्त परियोजना है. एएजीसी के तहत अफ्रीका में मानव संसाधन का विकास किया जाएगा, आधारभूत ढांचे का निर्माण होगा और उद्यमियों के बीच साझेदारी को बढ़ावा दिया जाएगा. एएजीसी को चीन की ‘वन बेल्ट वन रोड’ परियोजना का जवाब भी कहा जा रहा है. लेकिन इसके तहत चीन आधारभूत ढांचे में एक-तरफा निवेश कर रहा है, वहीं भारत और जापान की कोशिश है कि अफ्रीका में मौजूद विकासशील क्षेत्रों को आपस में जोड़ा जाए और स्थानीय लोगों-कंपनियों को परियोजनाओं का मालिकाना हक दिया जाए. इसके तहत तकनीकी हस्तांतरण भी होगा.
एएजीसी के रणनीतिक आयाम बिल्कुल स्पष्ट हैं. जहां तक चीन की बात है तो वह अपने भारी-भरकम विदेशी मुद्रा भंडार के दम पर एशिया की बाकी ताकतों को किनारे करते हुए दूसरे देशों में आर्थिक दब-दबा कायम करना चाहता है. लेकिन भारत और जापान अपनी इस परियोजना के जरिए एक बहुध्रुवीय एशिया के निर्माण की साझा कोशिश कर सकते हैं. यह विकास का वह वैकल्पिक मॉडल साबित हो सकता है जिसमें देशों की संप्रभुता और लोकतांत्रिक मूल्यों का सम्मान शामिल होगा. इस लिहाज से भारत-जापान की साझेदारी दुनिया के इस हिस्से में विकास की नई परिभाषा गढ़ सकती है.