interconnection usage charge (आईयूसी) 14 पैसे से घटाकर छह पैसे प्रति मिनट: TRAI

TRAI (Telecom Regulatory Authority of India) slashed (IUC) (interconnection usage charge) paid by an operator for termination of mobile call on a rival network. 
#Satyagriha
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भारत के दूरसंचार नियामक ट्राई ने मंगलवार को फैसला किया है कि अगले महीने से इंटरकनेक्शन यूसेज चार्ज (आईयूसी) को 14 पैसे से घटाकर छह पैसे प्रति मिनट कर दिया जाएगा. ट्राई ने यह भी कहा है कि जनवरी, 2020 से सभी घरेलू कॉल्स पर आईयूसी खत्म कर दी जानी चाहिए. इस बात की पूरी संभावना है कि दूरसंचार नियामक के इस फैसले से कॉल दरों में कमी आएगी यानी इससे सभी ग्राहकों को राहत मिलेगी. 
ट्राई के इस फैसले का कुछ टेलिकॉम कंपनियां विरोध भी कर रही हैं. इनकी तरफ से पूछा गया है कि नियामक ने किस आधार पर आईयूसी की नई दरें तय की हैं

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What is Inter Connection Charges

कोई ग्राहक जब दूसरी कंपनी के नेटवर्क पर फोन करता है तब आउटगोइंग सेवा प्रदाता कंपनी को इनकमिंग सेवा प्रदाता कंपनी को तय राशि देनी होती है. इसे ही आईयूसी कहा जाता है. एक तरह से इनकमिंग सेवा प्रदाता कंपनी को अपने नेटवर्क के इस्तेमाल के बदले यह राशि मिलती है.


HISTORY OF ICU


आईयूसी की शुरुआत देश में 13 साल पहले हुए थी और तब इसकी दर 30 पैसे प्रति मिनट थी. हालांकि धीरे-धीरे इस दर को कम किया गया है. यहां तक कि बड़े विदेशी बाजारों, जैसे ब्रिटेन में भी आईयूसी दरें कम हो रही हैं. इस लिहाज से देखें तो ट्राई का फैसला स्वागतयोग्य है और इससे ग्राहकों को फायदा पहुंचना चाहिए. 
 इस फैसले ने टेलिकॉम उद्योग को बांट दिया है क्योंकि कुछ पुरानी कंपनियां इससे खुश नहीं हैं. ये कंपनियां पुरानी तकनीक का इस्तेमाल करती हैं और इससे उन्हें कुछ समय के लिए नुकसान उठाना पड़ सकता है. हालांकि इसके बाद भी ट्राई का फैसला कई वजहों से अच्छा माना जा सकता है.
    भारत में टेलिकॉम नेटवर्क बदलाव के दौर से गुजर रहा है. धीरे-धीरे यह 4जी तकनीक अपना रहा है और यहां आईयूसी गैर-जरूरी होता जाएगा. चूंकि आईयूसी से कंपनियां अच्छा-खासा मुनाफा कमाती हैं तो इस वजह से वे नई तकनीकी अपनाने कि दिशा में धीरे-धीरे बढ़ रही हैं.
    दूसरी तरफ आईयूसी लागू होने का आज का तौर-तरीका बाजार में अगुवा कंपनियों के लिए फायदेमंद है और इस लिहाज से ग्राहकों को फायदा पहुंचाने की दिशा में बाधा है. हालांकि यहां सरकार को पुरानी कंपनियों की शिकायत पर भी ध्यान देने की जरूरत है, क्योंकि नई नीति के बाद उन्हें ही सबसे ज्यादा नुकसान उठाना पड़ेगा. 
यह ऐसा मामला है जहां इन चुनौतियों से निपटने के लिए सरकार को उनकी मदद करने की जरूरत है. यह जरूरत इसलिए भी है कि टेलिकॉम मार्केट में इन कंपनियों के मजबूत रहने से ही प्रतिस्पर्धा कायम रहेगी और यही आखिरकार ग्राहकों के हित में है. वहीं दूसरी तरफ अगर यहां एक या दो ही कंपनियां बची रहीं तो उनका एकाधिकार ग्राहकों को भविष्य में काफी महंगा पड़ सकता है
 

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