प्रस्तुत आर्टिकल में हम भारत के वर्तमान ऊर्जा परिदृश्य को देखने के साथ-साथ भारत की ऊर्जा आवश्यकताओं को प्रभावित करने वाले राष्ट्रीय तथा वैश्विक पहलुओं पर चर्चा करेंगे|
वर्तमान सरकार ऊर्जा संबंधी अपने दो लक्ष्यों को लेकर पूरी तरह समर्पित है-
पहले उद्देश्य के अंतर्गत सभी के लिए वहनीय ऊर्जा की उपलब्धता को सुनिश्चित करवाना शामिल है जिसके लिए जीवाश्म ईंधनों पर निर्भरता समय की मांग है|
2 दूसरे उद्देश्य सरकार द्वारा आर्थिक वृद्धि, ऊर्जा की मांग तथा पर्यावरण अवनयन के बीच बने संबंधों को समाप्त करने को लेकर है जिसके लिए स्वच्छ ऊर्जा संसाधन प्राथमिकता की श्रेणी में सर्वोपरि है|
यदि इन दोनों उद्देश्यों पर नजर डालें तो स्पष्ट रुप से देखा जा सकता है कि दोनों ही उद्देश्य एक दूसरे से बिलकुल भी मेल नहीं खाते हैं| परंतु यही सरकार की क्षमताओं का परीक्षण है कि किस प्रकार दोनों उद्देश्यों की पूर्ति के लिए संतुलन बनाया जाए जिसके लिए लघु कालिक तथा दीर्घकालिक लक्ष्यों का वर्गीकरण किया जा सकता है|
भारत के ऊर्जा परिदृश्य पर यदि नजर डालें तो कई प्रकार की कमियों को दूर करने की आवश्यकता नजर आती है जैसे उर्जा मूल्य श्रंखला में उपस्थित असंतुलन को दूर करना, एक ही पूजा मार्केट की स्थापना इत्यादि| हालांकि भारत विद्युत के क्षेत्र में अधिशेष की स्थिति में है परंतु फिर भी 40% जनसंख्या को या तो बिजली उपलब्ध ही नहीं है या उपलब्ध है भी तो कटौती के साथ| इसका सबसे बड़ा कारण ट्रांसमिशन से लेकर वितरण तक लीकेज का उपस्थित होना है| इस समस्या के हल के लिए जीएसटी के सामान ही ऊर्जा क्षेत्र में भी एक ऐसा तंत्र बनाए जाने की आवश्यकता है जो सभी विषमताओं को समेट कर एक पारदर्शी व्यवस्था की स्थापना करे भारतीय शहर एक तरफ ऊर्जा की मांग में वृद्धि का प्रमुख कारण तो है ही साथ ही वायु प्रदूषण को बढ़ाने में भी किया है भूमिका है| सरकार को चाहिए कि प्रत्येक शहर में शहर ऊर्जा ओंबुड्समैन की नियुक्ति करें जो शहद से संबंधित ऊर्जा क्षमता को बढ़ाने, अपशिष्ट प्रबंधन तथा शहरी परिवहन को बेहतर बनाने की दिशा में काम करें|
भारत क्रूड ऑयल का 80% से अधिक आयात करता है तथा बदलते वैश्विक परिदृश्य में बड़े से बड़े विश्लेषक क्रूड ऑयल की कीमतों का सही अनुमान लगाने में असफल साबित हुए हैं ऐसे में आवश्यकता इस बात की है कि भारत को क्रूड ऑयल संबंधी वैश्विक अस्थिरता से बचने का पूरा प्रयास करें| क्योंकि भारत क्रूड ऑयल के लिए मिडिल ईस्ट पर निर्भर है आवश्यकता इस बात की है कि उस क्षेत्र में uSA द्वारा बनाए गए रिक्त स्थान को भारत अपनी उपस्थिति से पूर्ण करें तथा उस क्षेत्र में अपना प्रभाव स्थापित करें अन्यथा रूस एवं चीन उस स्थान की पूर्ति के लिए कोई भी कूटनीति कसर नहीं छोड़ेंगे तथा यह भारत के ऊर्जा परिदृश्य के लिए सुखद तस्वीर नहीं है|
भारत एकाएक क्रूड ऑयल पर अपनी निर्भरता समाप्त नहीं कर सकता क्योंकि नवीकरणीय संसाधनों की पहुंच अभी काफी सीमित है अतः मिडिल ईस्ट में अपना प्रभाव बनाए रखने का पहलू भारत की प्राथमिकताओं सर्वोपरि होना चाहिए| भारत ने नवीकरणीय ऊर्जा से संबंधित महत्वकांशी लक्ष्य तय किए हैं जिनकी पूर्ति के लिए बेहतर अवसंरचना, कौशल तथा नवाचारी कार्य संस्कृति की आवश्यकता है| हाल ही में 161 देशों में 104 तकनीक पर किए गए अध्ययन के अनुसार यह निष्कर्ष आया है कि कोई भी देश किसी नई तकनीक को पूर्णता अपनाने में लगभग 45 वर्ष का समय लेता है, इन परिणामों को ध्यान में रखकर ही नीति आयोग को आगे की रणनीति तय करनी चाहिए| इस परिस्थिति में भारत ब्रिज फ्यूल जैसे नेचुरल गैस को एक विकल्प के रूप में अपना सकता है परंतु समस्या यह है की गैस अथॉरिटी ऑफ इंडिया लिमिटेड नेचुरल गैस पहुंच को देशव्यापी बनाने के उद्देश्य में असफल रहा है जिसका प्रमुख कारण लालफीताशाही, वित्तीय समस्याएं तथा भूमि अधिग्रहण संबंधी समस्याएं रही है| वर्तमान प्रधानमंत्री द्वारा गुजरात का मुख्यमंत्री रहते हुए समस्या का निदान किया गया था तथा राज्य भर में गैस की पाइप लाइन सफलतापूर्वक बिछाई गई थी, यही कार्य देशव्यापी स्तर पर भी किए जाने की उम्मीद है|
प्रश्न : भारत की ऊर्जा सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए तथा वैश्विक परिस्थिति को देखकर भारत को क्या नीतिगत कदम उठाने चाहिए |