समुचित खाद्यान्न भंडारण की दरकार (Storage problem)

 

#Rajasthan_Patrika

A contradiction: Excess food but problem of Malnutrition too

विषम परिस्थितियों को यदि छोड़ दें तो देश में जनसंख्या के लिए पर्याप्त खाद्यान्न उत्पादन होता है। इसके बावजूद लाखों लोगों को दो वक्त का भोजन नहीं मिल पाता। भूख से मौत के समाचार भी अक्सर पढऩे को मिलते हैं। इसके विपरीत लगभग साठ हजार करोड़ रुपए का खाद्यान्न प्रतिवर्ष बर्बाद हो जाता है जो कुल खाद्यान्न उत्पादन का करीब सात प्रतिशत है। इसके पीछे मुख्य कारण है देश में अनाज, फल व सब्जियों के भंडारण की सुविधाओं का घोर अभाव।

  • इसे विडम्बना ही कहेंगे कि किसान खून-पसीना एक करके सभी संसाधन झोंक कर जो कुछ उगाते हैं, उसके समुचित भंडारण की व्यवस्था हमारे पास नहीं है। मजबूरी में किसान को उपज औने-पौने दाम में बेचनी पड़ती है या फिर नष्ट करनी पड़ती है। किसानों में तनाव और आक्रोश का यह भी एक बड़ा कारण है।

Problem of Storage

  • ऑस्ट्रेलिया में एक वर्ष में जितना गेहूं पैदा होता है उतना तो हमारे यहां भंडारण के अभाव के कारण सड़ कर नष्ट हो जाता है।
  • एफसीआई तथा राज्यों के भंडार निगमों के गोदामों में इतनी जगह नहीं है कि देश के समस्त कृषि उत्पाद को सुरक्षित रखा जा सके।
  •  निजी क्षेत्र की भंडारण व लॉजिस्टिक्स सुविधाएं महंगी होने के साथ-साथ अपर्याप्त भी साबित हो रही हैं। लाखों टन प्याज और टमाटर खेत से बाजार तक पहुंचने के दौरान खराब हो जाते हैं
  • राजस्थान की आर्थिक समीक्षा 2017-18 के अनुसार राज्य भण्डार व्यवस्था निगम के 31 जिलों में 93 भंडारण गृह संचालित हैं जिनकी कुल भंडारण क्षमता 11.65 लाख मीट्रिक टन है, जबकि उत्पादन का अनुमान 225 लाख मीट्रिक टन का है। उत्पादन के सामने भंडारण की सुविधाएं ऊंट के मुंह में जीरा साबित हो रही हैं। अन्य राज्यों में भी लगभग यही स्थिति है। इस प्रकार खाद्यान्न उत्पादन और उसके भंडारण की क्षमता के बीच भारी अंतर है। सवाल यह उठता है कि आजादी के इतने वर्षों बाद भी हमारे नीति-निर्माताओं ने किसान की कड़ी मेहनत से उगाई फसल को रखने की माकूल व्यवस्था क्यों नहीं की।

सरकारों को प्रबल राजनीतिक इच्छा शक्ति और संकल्प का परिचय देते हुए बजट में विशेष वित्तीय प्रावधान कर पंचायत से जिला मुख्यालयों तक खाद्यान्न भंडारण गृहों की शृंखला स्थापित करनी होगी। नरेगा के तहत भी यह कार्य कराया जा सकता है। भंडारण की समुचित व्यवस्था होगी तो सूखा या अकाल पडऩे पर भी खाद्यान्न संकट नहीं होगा और भुखमरी और कुपोषण से कोई मौत नहीं होगी

Download this article as PDF by sharing it

Thanks for sharing, PDF file ready to download now

Sorry, in order to download PDF, you need to share it

Share Download