जापान के लिए शिनजों अबे की जीत के क्या मायने हैं?


जापान के पीएम शिंजो आबे ने प्रचंड बहुमत से जीत दर्ज कर सत्ता में वापसी की है। इसके फौरन बाद उन्होंने देश के सामने मौजूद दो बड़ी चुनौतियों से निपटने को लेकर अपनी प्रतिबद्धता जताई। जापान के सामने पहली चुनौती नॉर्थ कोरिया से परमाणु हमले का खतरा है। यही मुद्दा चुनाव में भी छाया रहा। देश की जनता ने भी किम जोंग-उन के खिलाफ आबे के सख्त कदमों के समर्थन में उन्हें वोट किया। 
जीत के बाद अपने संबोधन में आबे ने कहा, 'मैं किसी भी हालत में शांति और जापान की जनता की खुशहाली को कायम रखने के लिए प्रतिबद्ध हूं।' उन्होंने व्यक्तिगत तौर पर उन जापानी नागरिकों का भी जिक्र किया जिनके बारे में कहा जाता है कि नॉर्थ कोरिया ने उनका अपहरण कर लिया है। जापानी पीएम ने कहा, 'मैं नॉर्थ कोरिया के मिसाइल, परमाणु और अपहरण के मामलों के लिए निर्णायक और सशक्त कूटनीति अपनाऊंगा। इसके अलावा नॉर्थ कोरिया पर आगे भी दबाव बढ़ाया जाएगा।'
दूसरी बड़ी चुनौती जापान की बूढ़ी होती आबादी है। पीएम खुद कह चुके हैं कि जापान की बूढ़ी होती आबादी 'आबेनॉमिक्स' के लिए सबसे बड़ी चुनौती है। जापान की अर्थव्यवस्था को वापस पटरी पर लाने की आबे की नीतियों को आबेनॉमिक्स कहा जाता है। पीएम का कहना है कि हर मिनट समस्या बढ़ रही है और हम इसे ज्यादा समय तक बर्दाश्त नहीं कर सकते।
=>जीत क्यों महत्वपूर्ण है?
    इस जीत से आबे ने अपने विरोधियों को भी करारा जवाब दिया है, जो आरोप लगा रहे थे कि सरकार अपने लोगों के लिए पक्षपात कर रही है। कहा जा रहा था कि आबे की सरकार अपना जनाधार खो चुकी है। 
    पीएम की लोकप्रियता में भी गिरावट की बात कही जा रही थी पर नतीजे अप्रत्याशित हैं। सत्तारूढ़ लिबरल डेमोक्रैटिक पार्टी को संसद की 465 सीटों में से दो तिहाई बहुमत मिला है। ऐसे में आबे की पार्टी को गठबंधन करने की भी जरूरत नहीं होगी। इस जीत के बाद यह संभावना बढ़ गई है कि अगले साल पार्टी नेता के तौर पर आबे को तीन साल का एक और कार्यकाल मिल सकता है।

संसद के दोनों सदनों में सुपर-मेजॉरिटी मिलने के बाद आबे की राजनीतिक ताकत काफी बढ़ गई है। उनका दीर्घकालिक उद्देश्य युद्ध के बाद के जापान के संविधान में शांति की प्रतिबद्धता को पलटने के लिए लोगों को मनाना है। 
शॉर्ट टर्म गोल तो उनका नॉर्थ कोरिया पर सख्त रुख अपनाना है। आबेनॉमिक्स के तहत वह बढ़ते पेंशन संकट को सुलझाना चाहते हैं। उनके कार्यकाल में अमेरिका के साथ जापान के संबंध और भी मजबूत हुए हैं।
 

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