Why are farmers distressed across India?

 

2017 में देशभर में किसानों द्वारा कई प्रदर्शन किए गए| इसमें 184 किसान समूहों द्वारा किया गया प्रदर्शन काफी चर्चित रहा| भारत में कृषि क्षेत्र अपनी अस्थिरता के लिए प्रसिद्ध है फिर वह चाहे उत्पादन के स्तर पर हो, मूल्य के स्तर पर अथवा बाजार में उतार-चढ़ाव के| 2006 में गठित नेशनल कमीशन ऑफ फार्मर के अध्यक्ष स्वामीनाथन ने देश में किसानों की वर्तमान स्थिति पर चिंता जाहिर की थी| यदि कृषि क्षेत्र की वार्षिक वृद्धि पर नजर डालें तो कृषि क्षेत्र की अस्थिरता का प्रत्यक्ष प्रमाण सामने आ जाता है| 2012 -13 में 1.5%, 2013-14 में 5.6%, 2014-15 में -0.2 % तथा 2015-16 में कृषि वृद्धि दर 0.7% रही|

क्यों है यही स्थिति-

  • भूमि पर बढ़ता बोझ
  • कृषि भूमि का औसतन प्रति व्यक्ति उपलब्धता कम होते जाना| वर्तमान में यह उपलब्धता घटकर 1.15 हेक्टेयर रह गई है|
  • भारत में छोटे तथा सीमांत किसान(जिनके पास 2 हेक्टेयर से कम की भूमि होती है) की संख्या कुल किसान की संख्या का 72 प्रतिशत है|
  • किसानों द्वारा ऋण से मुक्ति के साथ-साथ जलवायु परिवर्तन, आपदा, मूल्य में उतार चढ़ाव तथा बाजार की शक्तियों से प्रतिरोध के क्रम में लाभ की स्थिति नहीं रहती है|

किसानों की स्थिर आय में बाधक पहलू-

  • फसल उत्पादन में मौजूद जोखिम किसानों की आय के कम होने का प्रमुख कारण है जैसे फ़सलों मैं बीमारी का होना, फसल उत्पादन के लिए आवश्यक आगतों जैसे बीज अथवा सिंचाई का समय पर उपलब्ध न हो पाना इत्यादि|
  • सरकार द्वारा उचित लाभकारी मूल्य की प्राप्ति न होना
  • बिचौलियों द्वारा किसानों का शोषण करना
  • एपीएमसी कानून की विफलता
  • सूखा, बाढ़ तथा बेमौसम बरसात जैसे कारकों का उपस्थित होना|

भारत में मांग एवं पूर्ति की लोचशीलता कृषि संबंधी गतिविधियों कोई बड़े स्तर पर प्रभावित करती है| भारत में किसान अपने उत्पाद को अधिक समय तक अपने पास नहीं रख सकते या यूं कहें कि उनके पास भंडारण की उचित सुविधा उपलब्ध नहीं है जिसके कारण उन्हें बिचौलियों को या किसी स्थानीय व्यापारी को ही अपना माल बेचना पड़ता है जिससे उन्हें उचित मूल्य की प्राप्ति नहीं हो पाती| एक अध्ययन के अनुसार यह बात स्पष्ट रूप से सामने आई है की पिछले कुछ दशकों में कृषि संबंधी लागत में जितनी वृद्धि हुई है इतनी वृद्धि किसानों के लाभ में देखने को नहीं मिली है यही कारण है की कृषि आज एक लाभ विहीन क्षेत्र बनकर रह गई है|

Q.कृषि उत्पादों के मूल्यों में उतार चढ़ाव तथा कम पारितोषिक जैसी समस्या को प्रतिस्पर्धी बाजारों द्वारा तथा कुछ ऐसे ही आवश्यक सुधारों के द्वारा दूर किया जा सकता है| चर्चा करें|

Price fluctuation and low and unremunerative prices for farm produce can be addressed through competitive markets, and much-needed reforms.Discuss

Q भारत में कृषिगत आधार सुधार तीन स्तंभों पर टिके है - संस्थान जो नियम बनाते हैं, बाजार में कार्य करने वाले एजेंट्स का पारितोषिक तथा आधुनिक व्यापार को बल देने वाले आधारभूत संरचना संबंधी कारक| परीक्षण कीजिए|

Agricultural market reform in India rests on three pillars— institutions that establish the rules of the game, incentives for agents to participate actively in the market, and infrastructure to support the modernised trading platform. Examine.

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