A report by world bank has found that unemployment rate is higher in women than men and its is cause of concern.
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विश्व बैंक ने भारत में रोजगार के अवसरों पर हाल ही में एक रिपोर्ट जारी की है. इस रिपोर्ट से खुलासा हुआ है कि भारतीय अर्थव्यवस्था में विकास के दौरान महिलाओं के लिए पर्याप्त संख्या में रोजगार पैदा नहीं हो रहे हैं. सबसे चौंकाने वाली बात है कि बीते सालों में कामकाजी महिलाओं की संख्या में तेजी से गिरावट आई है. इस समय ग्रामीण और शहरी क्षेत्र की सिर्फ 27.4 प्रतिशत महिलाओं (कामकाजी उम्र की) के पास रोजगार है, जबकि एक दशक पहले यह आंकड़ा 43 प्रतिशत था.
भारत के मुकाबले महिलाओं के रोजगार की स्थिति सिर्फ पाकिस्तान (25 प्रतिशत) और अरब देशों (23 प्रतिशत) में खराब है. वहीं दूसरी तरफ नेपाल में 80 प्रतिशत महिलाओं के पास रोजगार है. चीन में 64, बांग्लादेश में 57.4 और अमेरिका में 56.3 प्रतिशत महिलाओं के पास रोजगार है.
भारत में इस स्थिति के पीछे कई कारण हो सकते हैं. जैसे कहा जा सकता है कि यहां महिलाएं नौकरी की तुलना में पढ़ाई को ज्यादा तवज्जो देती हैं. हालांकि आंकड़े बताते है कि हर शैक्षिक स्तर पर महिलाओं में बेरोजगारी ज्यादा है. हमारे यहां प्रचलित जाति व्यवस्था को भी इसकी वजह नहीं बताया जा सकता क्योंकि दलितों से लेकर ऊंची जाति की महिलाओं तक में बेरोजगारी की समस्या कमोबेश एक जैसी ही है. इसी तरह वैवाहिक स्थिति भी इसके पीछे नहीं हो सकती क्योंकि अविवाहित और विवाहित, दोनों श्रेणियों में बेरोजगार महिलाओं की संख्या बराबर है.
Reason for this
इसकी एक वजह शारीरिक श्रम या महिलाओं के कामकाज को लेकर हमारे समाज में फैला दुराग्रह जरूर हो सकता है. परिवारों में जैसे ही आमदनी बढ़ती है आमतौर पर महिलाओं का घर के बाहर जाकर काम करना बंद हो जाता है. वैसे भी 2006 से 2014 के बीच ग्रामीण क्षेत्रों में मजदूरी की दर में बढ़ोतरी हुई है. वहीं कामकाजी स्थलों पर बढ़ती असुरक्षा ने महिलाओं से उन रोजगारों को छीनने का काम किया है जहां देर रात तक काम होता है.
हालांकि विश्वबैंक की इस रिपोर्ट में महिलाओं की बेरोजगारी का आंकड़ा ज्यादा दिखने का एक कारण और हो सकता है. कई महिलाएं उन क्षेत्रों में काम करती हैं जिनके आंकड़े इस रिपोर्ट में शामिल होना मुश्किल है, जैसे सिलाई-कढ़ाई का काम, पेपर बैग या अचार बनाने का काम. ये अनौपचारिक काम वैसे ही हैं जैसे हमारे यहां महिलाएं दूसरे घरेलू काम करती हैं या बच्चों और बुजुर्गों की देखभाल करती हैं.
इस सबके बावजूद अगर महिलाओं के लिए रोजगार के अवसर कम हो रहे हैं तो इसकी मूल वजह यही है कि कुल रोजगार की वृद्धि दर में गिरावट आ रही है. 2001 से 2011 के बीच यह सालाना दो प्रतिशत थी, लेकिन अब एक प्रतिशत पर आ गई है. यानी कम से कम नौकरियां पैदा हो रही हैं और जाहिर है कि इन पर पहले पुरुष कब्जा जमा रहे हैं. इन हालात को सुधारने का यही तरीका है कि ज्यादा से ज्यादा और अच्छी से अच्छी आमदनी वाले रोजगार के अवसर पैदा किए जाएं