CORONA & FEDERAL RELATION
कोरोना महामारी के मद्देनजर केंद्र और राज्य सरकारों के बीच जो समन्वय बनता दिख रहा है, वह न केवल उपयोगी, बल्कि स्वागतयोग्य भी है। इस महामारी के समय केंद्र व राज्यों के बीच और एक राज्य से दूसरे राज्य के बीच जो समन्वय या समझ की दृष्टि स्थापित होगी, वह हमेशा देश के काम आएगी। इसमें कोई दो-राय नहीं कि कोरोना से जूझना किसी एक के वश की बात नहीं है। सब समझ और समन्वय से चलेंगे, तो कोई राह निकलेगी। हर कोई सरकार से उम्मीद लगाए बैठा है। गरीब भोजन व रोजगार की बहाली चाह रहे हैं, तो अमीरों को आर्थिक पैकेज और समर्थन की उम्मीद है, ताकि उनके कल-कारखानों-दफ्तरों के काम में तेजी आ सके। बेशक, यदि किसी एक बडे़ राज्य में भी भोजन व रोजगार की बहाली होगी, तो उसके फायदे और सबक अन्य राज्यों तक पहुंचेंगे।
पांच राज्यों के मुख्यमंत्री ने प्रधानमंत्री के साथ बैठक में लॉकडाउन बढ़ाने की स्पष्ट मांग की है। वहीं गुजरात जैसे राज्य भी हैं, जो अब और लॉकडाउन झेलने के पक्ष में नहीं हैं। लॉकडाउन के कारण मजदूरों का लौटना भी एक दुखद समस्या बन गया है। लॉकडाउन के तीन चरणों में हमने देख लिया है, मजदूरों की वापसी धीरे-धीरे हो रही है। जैसे किसी बांध में जलस्तर बढ़ाया जाता है, तो हर बार कुछ गांव डूब में आ जाते हैं और विस्थापन होता है, ठीक वैसा ही लॉकडाउन के समय हम देख रहे हैं। शायद किसी सरकार के पास ऐसे आंकड़े नहीं हैं, जिनसे पता चले कि भारत में कितने कामगार बिना रोजगार-कमाई कितने दिनों तक अपना जीवन-यापन कर सकते हैं। चूंकि सरकारों के पास कामगार वर्ग को समझने के मुकम्मल आंकडे़ नहीं हैं, इसलिए लॉकडाउन के हर दिन हम एक नई आबादी को सड़कों पर निकलते देख रहे हैं। सरकारों के बीच अगर प्रशंसनीय समन्वय होता, तो किसी भी मजदूर को अमानवीय ढंग से इतना पैदल न चलना पड़ता। बड़ी संख्या में मजदूरों के लिए चलाई जा रही ट्रेनों के बावजूद अगर वे सड़कों पर आ रहे हैं, तो इसका मतलब है, सरकारों और सरकार के विभागों में पर्याप्त समन्वय नहीं है। पुलिस कहीं लोगों को रोक रही है, तो कहीं जाने दे रही है, मतलब पुलिस के पास भी स्पष्ट दिशा-निर्देश नहीं हैं। जांच, अस्पताल, इलाज और क्वारंटीन सेंटर की सुविधाओं में भी एक सी गुणवत्ता नहीं है। सभी स्वास्थ्य केंद्रों और राज्यों में कोरोना से जंग में समान रूप से चिंता, तैयारी और क्रियान्वयन दिखना ही चाहिए। सावधान रहना होगा, अगर समन्वय के साथ समान गुणवत्ता नहीं बरती गई, तो एक राज्य दूसरे को कोरोना देता रहेगा।
बीते 51 दिनों में पांचवीं बार प्रधानमंत्री और मुख्यमंत्रियों के बीच बैठक हुई है। क्या जरूरत को देखते हुए सभी परिवहन मंत्रियों, सचिवों, अधिकारियों की बैठक नहीं होनी चाहिए? क्या ऐसी ही बैठक चिकित्सा, वित्त, वाणिज्य और शिक्षा में समन्वय के लिए नहीं होनी चाहिए? प्रधानमंत्री लगातार जो संकेत दे रहे हैं, उससे स्पष्ट है, आने वाले दिनों में राज्य सरकारों की जिम्मेदारी बढ़ जाएगी। यह स्वाभाविक और आवश्यक भी है, लेकिन अपनी जिम्मेदारियों को पूरी तरह निभाने के लिए राज्य सरकारों को आगे बढ़कर परस्पर बेहतर समन्वय करना होगा। राज्यों के बीच बेहतर समन्वय होगा, तो वे केंद्र सरकार से अपना हक या सहयोग मांगने में ज्यादा समर्थ होंगे।
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