चुनावी बांड लाने का उद्देश्य :
सरकार ने चुनाव चंदे की स्वच्छता व पारदर्शिता के लिए अभियान शुरू किया है। वित्त मंत्रालय ने राजनीतिक दलों को चंदा देने के लिए नई चुनावी बांड योजना पेश की।
- जब दानदाता इन्हें खरीदेगा तो उसकी बैलेंस शीट में इसका जिक्र होगा। इससे साबित होगा कि स्वच्छ पैसा किसी दल को दिया गया है। वर्तमान में न तो दाता, न ही राशि और न उसके स्रोत का पता चल पाता है। दानदाता को पता होगा कि उसने किस दल को दिया, दल चुनाव आयोग को अपना रिटर्न देगा। अब सिर्फ यह पता नहीं चलेगा कि दाता ने किस दल को पैसा दिया है।
क्या हैं यह चुनावी बांड :-
- दानदाता ये बांड एसबीआई की शाखाओं से खरीदकर किसी भी दल को दान कर सकेंगे। बांड से मिलने वाली चंदे की राशि संबंधित दल के अधिकृत बैंक खाते में जमा होगी।
- दानदाता को बांड खरीदते वक्त केवाईसी नियमों का पालन करना होगा, जबकि बांड पर दानदाता का नाम नहीं होगा। यानी दलों को गुप्त चंदा तो मिलेगा, लेकिन कालेधन के रूप में अज्ञात स्रोत के रूप में नहीं होगा।
बजट में की थी घोषणा
- चुनावी बांड की योजना का विचार वित्त वर्ष 2017-18 के 1 फरवरी 2017 को पेश आम बजट में था। अब नए बजट से ठीक एक माह पहले योजना की रूपरेखा पेश की गई है।
ब्याज नहीं मिलेगा
- हालांकि इसे बांड कहा जाएगा, लेकिन यह प्रॉमिसरी नोट से मिलता-जुलता एक बैंकिंग लिखत होगा। इस पर कोई ब्याज देय नहीं होगा। बांड जारी करने वाली बैंक दानदाता के फंड की तब तक अभिरक्षक रहेगी, जब तक कि उसका भुगतान संबंधित दल के खाते में नहीं हो जाता। बांड के जरिए दानदाता पसंदीदा दल को बैंकिंग तंत्र के माध्यम से दान कर सकेंगे।
अभी गुप्त व नकद चंदा चलन में
सरकार के चुनावी बांड का उद्देश्य मौजूदा नकद व गुप्त चंदे के चलन को रोकना है। 2016 में सरकार द्वारा की गई नोटबंदी के बाद चुनावी चंदे में पारदर्शिता का यह बड़ा कदम उठाया गया है। ज्ञात हो कि जेटली ने पिछले साल के बजट में नकद चंदे की सीमा 20 हजार से बढ़ाकर मात्र 2 हजार कर दी थी। उन्होंने दलों को ऑन लाइन चंदा लेने की भी इजाजत दी थी।
एक हजार से एक करोड़
तक के गुणांक के होंगे बांडचुनावी बांड जारी होने के बाद एसबीआई की निर्धारित शाखाओं से एक हजार रुपए, 10 हजार रुपए, एक लाख रुपए, दस लाख रुपए और एक करोड़ रुपए के गुणांक के बांड खरीदे जा सकेंगे। सिर्फ 15 दिन रहेगी वैधताचुनावी बांड की वैधता सिर्फ 15 दिनों की होगी। ये जनप्रतिनिधित्व कानून- 1951 के तहत मान्यता प्राप्त किसी भी दल को दान किए जा सकेंगे।
साल में चार माह बिक्री
इन बांड की बिक्री साल के चार माहों-जनवरी, अप्रैल, जुलाई और अक्टूबर में 10 दिनों के लिए होगी। इसी दौरान इन्हें खरीदा जा सकेगा। आम चुनाव के वर्ष में बांड खरीदी की सुविधा 30 दिनों के लिए होगी।
ये दल होंगे पात्र
पिछले लोकसभा या विधानसभा चुनावों में एक फीसदी से ज्यादा वोट पाने वाले पंजीकृत राजनीतिक दल ही बांड के जरिए चंदा प्राप्त कर सकेंगे।
बांड योजना की बड़ी बातें...
-देश का कोई भी नागरिक या संस्था व कंपनी ये बांड खरीद सकेंगे।
-खरीदी के लिए केवाईसी नियमों का पालन करना होगा।
-खरीद के लिए भुगतान बैंक अकाउंट से ही होगा।
-बांड पर इसकी खरीदी के लिए भुगतान करने वाले का नाम नहीं होगा।
-बांड की राशि को राजनीतिक पार्टियों के अधिकृत बैंक खाते और अधिकृत बैंकों में ही भुनाया जा सकेगा।