चुनावी बॉन्ड: क्रम से पहचान होगी जाहिर
वित्त मंत्रालय ने चुनावी बॉन्ड पर क्रम संख्या डालने को लेकर अनिच्छा जताई थी। उसका पक्ष था कि इससे दानदाताओं की पहचान उजागर होने की संभावना है। लेकिन भारतीय स्टेट बैंक (एसबीआई) की ओर से वित्त मंत्रालय के प्रस्ताव पर चिंता जताने के बाद वह इसके लिए तैयार हो गया था। कमोडोर लोकेश बत्रा (सेवानिवृत्त) और अंजलि भारद्वाज द्वारा सूचना के अधिकार (आरटीआई) से जुटाए गए आधिकारिक दस्तावेजों के मुताबिक चुनावी बॉन्ड जारी करने की जिम्मेदारी मिलने के बाद एसबीआई ने वित्त मंत्रालय के समक्ष कुछ चिंताएं जताई थीं।
यह कवायद चुनावी बॉन्ड के लिए केंद्र सरकार की ओर से रूपरेखा जारी किए जाने के बाद हुई थी। केंद्र सरकार ने 2 जनवरी, 2018 को राजनीतिक दलों को गुप्त चंदा मुहैया कराने के लिए वित्तीय व्यवस्था के तौर पर चुनावी बॉन्ड की व्यवस्था शुरू की थी। एसबीआई ने 19 जनवरी, 2018 को लिखे पत्र में कहा कि चूंकि बॉन्ड पर खरीदार का नाम नहीं होगा ऐसे में उन्हें इस पर एक क्रम संख्या की जरूरत होगी अन्यथा उनके पास आंतरिक नियंत्रण और मिलान करने के लिए कोई लेखा जांच की गुंजाइश नहीं होगी। ऐसी स्थिति में शाखा के स्तर पर चुनावी बॉन्ड की वास्तविकता की पहचान कर पाना मुश्किल हो जाएगा।
इस संदर्भ में वित्त मंत्रालय ने एक स्पष्टीकरण तैयार किया जिसमें कहा गया कि क्रम संख्या डालने पर दानदाता और राजनीतिक दल के बीच एक संपर्क स्थापित होगा जिससे राजनीतिक दल ऐसे बॉन्ड का उपयोग करने को लेकर हतोत्साहित हो सकते हैं। इसलिए एसबीआई चुनावी बॉन्डों की वास्तविकता निर्धारित करने के लिए होलोग्राम आदि अन्य सुरक्षा उपायों के बारे में सोच सकता है।
इसमें आगे कहा गया था कि यदि ऐसा कर पाना संभव नहीं हो तो एक क्यूआर कोड या अदृश्य स्याही से कोई संख्या देने पर विचार किया जा सकता है। हालांकि, एसबीआई और सरकारी कंपनी भारत प्रतिभूति मुद्रण एवं निर्माण निगम लिमिटेड (एसपीएमसीआईएल) के बीच बैठक होने के बाद वित्त मंत्रालय अपने रुख में नरमी लाने को तैयार हो गया था। 6 फरवरी को एसपीएमसीआईएल को चुनावी बॉन्ड के मुद्रण के लिए अधिकृत किया गया था। 9 फरवरी, 2018 को वित्त मंत्रालय ने एसबीआई को भेजी अपनी प्रतिक्रिया में अपने रुख से पलटते हुए कहा कि एसबीआई की ओर से उठाए गए मुद्दे वैध हैं और बिना किसी विशिष्ट क्रमांक के बॉन्ड जारी करने से बैंक के लिए बहुत सी परिचालन संबंधी दिक्कतें खड़ी हो जाएंगी इसके साथ ही बैंक पर बहुत अधिक जोखिम भी आ जाएगा।
उसने बैंक को बॉन्ड पर क्रमांक डालने की मंजूरी दे दी। इसको लेकर किसी तरह के विवाद को दूर रखने के लिए उसने बैंक से सूचना को उच्च स्तरीय तौर गुप्त रखने की सलाह दी थी। चुनावी बॉन्ड पहली बार मार्च 2018 में जारी किया गया था। अप्रैल में न्यूज पोर्टल द क्विंट ने खबर दी थी कि इन बॉन्डों पर गुप्त अक्षरांकीय कोड मुद्रित है जिसे पराबैंगनी प्रकाश में देखा जा सकता है। ऐसा एसबीआई और एसपीएमसीआई के बीच फरवरी में हुई बैठक में हुए समझौते के तहत किया गया था जिसके बाद वित्त मंत्रालय ने क्रम संख्या पर अपने रुख में बदलाव किया था।
चुनावी बॉन्डों पर एक गुप्त विशिष्ट संख्या होने की मीडिया रिपोर्टों के बाद वित्त मंत्रालय के एक अधिकारी ने अप्रैल 2018 में अहस्ताक्षित एक हस्तलिखित नोट तैयार किया जो आधिकारिक रिकॉर्ड का हिस्सा है। इसमें कहा गया था कि हमने विस्तृत फीचर डालने को नहीं कहा था। हमने कोई विशिष्ट संख्या डालने से इनकार कर दिया था जिसके लिए एसबीआई ने हमसे मांग की थी।
दिलचस्प है कि 2017 में जब सरकार भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) के साथ चुनावी बॉन्ड जारी करने की इजाजत देने के लिए बातचीत कर रही थी तब रिजर्व बैंक ने भी इन बॉन्डों के लिए एक विशिष्ट पहचान का प्रस्ताव दिया था। रिजर्व बैंक के तत्कालीन गवर्नर ऊर्जित पटेल ने 14 सितंबर, 2017 को तत्कालीन वित्त मंत्री अरुण जेटली को लिखे पत्र में प्रस्तावित चुनावी बॉन्ड योजना को लेकर अपनी विभिन्न आपत्तियों से अवगत कराया था। पत्र में उन्होंने कहा था कि रिजर्व बैंक कुछ शर्तों के साथ ही चुनावी बॉन्ड के मामले में आगे बढ़ सकता है जिसमें एक विशिष्ट पहचान और एक अतिरिक्त सुरक्षा फीचर आधारित आईडी शामिल है। #thecoreias