जी. रोहिणी आयोग

CONTEXT:

केन्द्रीय मंत्रिमंडल ने अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) के उप-श्रेणीकरण के मुद्दे के परीक्षण के लिए गठित आयोग के कार्यकाल में 6 महीने यानी 31.01.2021 तक विस्तार को स्वीकृति दे दी है।

रोजगार सृजनकी संभावना सहित प्रभाव :

ओबीसी की वर्तमान सूची में शामिल ऐसे समुदाय जिन्हें केन्द्र सरकार के पदों पर नियुक्ति और केन्द्र सरकार के शैक्षणिक संस्थानों में प्रवेश में ओबीसी के लिए आरक्षण योजना का कोई खास लाभ नहीं है, उनको आयोग की सिफारिशों के कार्यान्वयन का लाभ मिलने का अनुमान है। आयोग द्वारा ओबीसी की केन्द्रीय सूची में अभी तक हाशिये पर पड़े ऐसे समुदायों को लाभ पहुंचाने के लिए सिफारिशें किए जाने का अनुमान है।

लाभ :

इससे उन जातियों/ समुदायों से संबंधित सभी लोगों फायदा होगा, जो एसईबीसी की केन्द्रीय सूची में शामिल हैं लेकिन केन्द्र सरकार के पदों और केन्द्र सरकार के शैक्षणिक संस्थानों में प्रवेश के लिए वर्तमान ओबीसी आरक्षण योजना का उन्हें फायदा नहीं हुआ था।

पृष्ठभूमि :

2 अक्टूबर, 2017 को राष्ट्रपति की स्वीकृति के साथ संविधान के अनुच्छेद 340 के अंतर्गत इस आयोग की स्थापना की गई थी। न्यायाधीश (सेवानिवृत्त)श्रीमती जी. रोहिणी की अध्यक्षता वाले आयोग ने 11 अक्टूबर, 2017 को काम शुरू कर दिया था और तब से ओबीसी का उप-श्रेणीकरण करने वाले सभी राज्यों/ संघ शासित क्षेत्रों और राज्य पिछड़ा वर्ग आयोगों के साथ संवाद किया जा रहा है। आयोग ने कहा कि उसे अपनी रिपोर्ट जमा करने के लिए कुछ और समय की आवश्यकता होगी, क्योंकि वर्तमान ओबीसी की केन्द्रीय सूची में दिख रहे दोहराव, अस्पष्टताओं, विसंगतियों, भाषाई या ट्रांसक्रिप्शन से संबंधित गलतियों को दूर किए जाने की जरूरत है। इसीलिए आयोग ने अपने कार्यकाल को 31 जुलाई, 2020 तक बढ़ाने की मांग की थी। हालांकि कोविड-19 महामारी के चलते देश भर में लागू लॉकडाउन और यात्रा पर बंदिशों के चलते आयोग उसे मिले काम को पूरा करने में नाकाम रहा। इसलिए, आयोग के कार्यकाल में 6 महीने यानी 31.01.2021 तक विस्तार किया जा रहा है।

Download this article as PDF by sharing it

Thanks for sharing, PDF file ready to download now

Sorry, in order to download PDF, you need to share it

Share Download