The Lokpal and Lokayuktas Act, 2013

यह अधिनियम भारत के संविधान के अनुरूप सभी के लिए न्याय सुनिश्चित करने के लिए; भारत द्वारा स्वीकृत भ्रष्टाचार के विरुद्ध संयुक्त राष्ट्र अभिसमय के क्रियान्वयन के लिए एक लोकतांत्रिक गणराज्य की स्थापना हेतु पारित किया गया। यह अधिनियम समस्त भारत पर और भारत में तथा भारत के बाहर इसके लोक सेवकों पर लागू होगा।

Lokpal: लोकपाल

  • संस्था में एक अध्यक्ष होगा, जो या तो भारत के पूर्व मुख्य न्यायाधीश या फिर सर्वोच्च न्यायालय के सेवानिवृत न्यायाधीश या फिर कोई महत्वपूर्ण व्यक्ति हो सकते हैं।
  • लोकपाल में अधिकतम आठ सदस्य हो सकते हैं, जिनमें से आधे न्यायिक पृष्ठभूमि से होने चाहिए।
  • यह भी व्यवस्था दी गई है कि लोकपाल संस्था के कम से कम आधे सदस्य जाति, अनुसूचित जनजाति, पिछड़ी जाति, अल्पसंख्यकों और महिलाओं में से होने चाहिए।
  • Eminent Person: योग्य महत्वपूर्ण व्यक्ति ईमानदार एवं विशेष ज्ञान के साथ अद्वितीय योग्यता वाला हो। तथा भ्रष्टाचार निरोधी नीति, लोक प्रशासन, सतर्कता, बीमा, बैंकिंग, कानून और प्रबंधन के मामलों में कम-से-कम 25 वर्ष का विशेष ज्ञान एवं विशेषज्ञता रखता हो।
  • व्यक्ति को न्यायिक सदस्य के तौर पर नियुक्त किया जा सकता है यदि वह उच्चतम न्यायालय का न्यायाधीश हो या रहा हो या किसी उच्च न्यायालय का मुख्य न्यायाधीश हो या रहा हो।

Appointment of Lokpal: लोकपाल की नियुक्ति: 

  • लोकपाल के अध्यक्ष या सदस्यों की नियुक्ति राष्ट्रपति द्वारा चयन समिति की अनुशंसाएं प्राप्त करने के बाद की जाएगी।
  • चयन समिति का गठन एक अध्यक्ष और चार अन्य सदस्यों से मिलकर किया जाएगा जिसमें भारत के प्रधानमंत्री (अध्यक्ष); लोकसभा के अध्यक्ष; लोकसभा में विपक्ष के नेता; मुख्य न्यायाधीश या उनकी अनुशंसा पर नामित सर्वोच्च न्यायालय का एक न्यायाधीश; और राष्ट्रपति द्वारा नामित कोई प्रतिष्ठित व्यक्ति होंगे। गौरतलब है कि अध्यक्ष या किसी सदस्य की नियुक्ति इसलिए अवैध नहीं होगी क्योंकि चयन समिति में कोई पद रिक्त था। 

लोकपाल अध्यक्ष एवं सदस्योंकी नियुक्ति करने वाली चयन समिति एक खोजबीन समिति का गठन करेगी जिसमें कम से कम ऐसे सात व्यक्ति होंगे जिन्हें भ्रष्टाचार निरोधी नीति, लोक प्रशासन, सतर्कता, बीमा, बैंकिंग, कानून और प्रबंधन के मामलों में विशेष ज्ञान हो या ऐसे मामले का ज्ञान हो जिसे चयन समिति के दृष्टिकोण से चयन में उपयोगी माना गया हो। चयन की प्रक्रिया में खोजबीन समिति चयन समिति की सहायता करेगी। खोजबीन समिति के कम से कम पचास प्रतिशत सदस्य अनुसूचित जाती, अनुसुषित जनजाति, अन्य पिछड़े वर्गों, अल्पसंख्यकों और महिलाओं में से होंगे। हालांकि, चयन समिति खोजबीन समिति द्वारा अनुशंसित व्यक्तियों से अतिरिक्त व्यक्ति के चयन पर भी विचार कर सकती है। 

Duration of Lokpal: लोकपाल के अध्यक्ष एवं प्रत्येक सदस्य की नियुक्ति, चयन समिति की अनुशंसाओं पर, राष्ट्रपति द्वारा उसके हस्ताक्षर और मुहर के तहत् जारी वारंट से होगी। उसकी नियुक्ति पांच वर्ष के लिए होगी उस तिथि से जिस पर उसने पद ग्रहण किया है या जब तक वह 70 वर्ष की आयु का न हो गया हो, जो भी पहले हो। हालांकि वह पदावधि से पूर्व भी त्यागपत्र दे सकता है या उसे नियत तिथि से पूर्व हटाया जा सकता है।

Ban on post retiremnet employment: पदमुक्ति के पश्चात् प्रतिबंध: लोकपाल कार्यालय में नियुक्ति खत्म होने के पश्चात् अध्यक्ष और सदस्यों पर कुछ काम करने के लिए प्रतिबंध लग जाता है। इनकी अध्यक्ष या सदस्य के रूप में पुनर्नियुक्ति नहीं हो सकती; इन्हें कोई कूटनीतिक जिम्मेदारी नहीं दी जा सकती और केंद्र शासित प्रदेश के प्रशासक के रूप में नियुक्ति नहीं हो सकती; इसके अलावा ऐसी कोई भी जिम्मेदारी या नियुक्ति नहीं मिल सकती जिसके लिए राष्ट्रपति को अपने हस्ताक्षर और मुहर से वारंट जारी करना पड़े। पद छोड़ने के पांच साल बाद तक ये राष्ट्रपति, उपराष्ट्रपति, संसद के किसी सदन, किसी राज्य विधानसभा या निगम या पंचायत के रूप में चुनाव नहीं लड़ सकते।

Officials covered under lopkpal  लोकपाल के अधिकार क्षेत्र में प्रधानमंत्री, मंत्री, संसद सदस्य और केंद्र सरकार के समूह ए, बी, सी और डी के अधिकारी और कर्मचारी आते हैं। इस प्रकार सभी श्रेणियों के सरकारी कर्मचारी लोकपाल के अधिकार क्षेत्र में आएंगे। विषय-वस्तु अपवर्जन और प्रधानमंत्री के विरुद्ध शिकायतों पर कार्रवाई करने की विशिष्ट प्रक्रिया के साथ प्रधानमंत्री की लोकपाल के दायरे में लाया गया है। लोकपाल प्रधानमंत्री के विरुद्ध कोई जांच नहीं कर सकता यदि कोई अभिकथन अंतरराष्ट्रीय संबंधों; देश की बाहरी और आंतरिक सुरक्षा; लोक व्यवस्था; परमाणु ऊर्जा और अंतरिक्ष से संबंधित है। प्रधानमंत्री के विरुद्ध प्रारंभिक जांच या अन्वेषण शुरू करने का लोकपाल का कोई भी निर्णय केवल अध्यक्ष वाली पूर्ण न्यायपीठ द्वारा 2/3 बहुमत से ही लिया जाएगा। यह उपबंध भी किया गया है कि ऐसी कार्यवाही बंद कमरे में की जाएगी। और यदि लोकपाल का यह निर्णय होता है कि ऐसी शिकायत को निरस्त कर दिया जाए, तो ऐसी जांच की रिकॉर्डिंग की प्रकाशित नहीं किया जाएगा और न ही किसी को मुहैया कराया जाएगा। विदेशी अनुदान नियमन अधिनियम (एफसीआरए), 2010 के संदर्भ में विदेशी स्रोत से 10 लाख रुपए वार्षिक से अधिक का अनुदान प्राप्त करने वाले सभी संगठन लोकपाल के क्षेत्राधिकार में होंगे।

NOTE: लोकपाल संसद सदस्य के संसद में या किसी संसदीय समिति में आचरण, कथन, एवं वोट के संदर्भ में जांच नहीं कर सकेगा।

Special Courts: केंद्र सरकारको भ्रष्टाचार के मामलों की सुनवाई के लिए उतनी विशेष अदालतों का गठन करना होगा जितनी लोकपाल बताए। विशेष अदालतों को मामला दायर होने के एक साल के भीतर उसकी सुनवाई पूरी करना सुनिश्चित करना होगा। यदि एक साल में यह सुनवाई पूरी नहीं हो पाती तो विशेष अदालत इसके कारण दर्ज करेगी और सुनवाईतीन महीने में पूरी करनी होगी। यह अवधि तीन-तीन महीने के हिसाब से बढ़ाई जा सकती है, लेकिन कुल दो वर्ष से अधिक समय तक नहीं बढ़ाई जा सकती।

हानि का मूल्यांकन एवं वसूली: यदि कोई लोक सेवक विशेष न्यायालय द्वारा भ्रष्टाचार रोकथाम अधिनियम, 1988 के तहत् अपराध में दोषी पाया जाता है, यदि उसके द्वारा लिए गए निर्णय या कार्यवाही सद्इच्छा से नहीं की गई थी और उसके लिए वह दोषी पाया जाता है, तो ऐसे नुकसान की भरपाई दोषी लोक सेवक से करने का आदेश दिया जा सकता है।

झूठी शिकायत हेतु अभियोजन: यदि कोई झूठी या मनगढ़त शिकायत करता है तो इस अधिनियम के अंतर्गत, दोषी पाए जाने पर, उसे कारावास की सजा, जिसे एक वर्ष तक बढ़ाया जा सकता है, और जुर्माना, जिसे 1 लाख रुपए तक बढ़ाया जा सकता है, अधिरोपित किया जाएगा। इस मामले में मात्र विशेष न्यायालय ही अपराध का संज्ञान ले सकता है।

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