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- election commission ने विधायकों को राज्यसभा चुनाव में पार्टी की राय मानकर वोट देने से स्वतंत्र बताया है.
- सुप्रीम कोर्ट में सौंपे हलफनामे में 2006 के कुलदीप नैय्यर मामले का हवाला देकर चुनाव आयोग ने कहा है, ‘कानून में ऐसा नहीं कहा गया है कि जनप्रतिनिधियों को पार्टी द्वारा तय तरीके से वोट न देने या जनप्रतिनिधित्व अधिनियम-1951 की धारा-79(डी) के तहत किसी भी उम्मीदवार को वोट न देने का अधिकार नहीं है.’ आयोग के मुताबिक राज्यसभा चुनाव में क्रॉस वोटिंग के लिए जनप्रतिनिधियों को अयोग्य नहीं ठहराया जा सकता है.
- चुनाव आयोग ने गुजरात के राज्यसभा चुनाव में नोटा (उपरोक्त में कोई नहीं) के विकल्प को चुनौती देने वाली कांग्रेस की याचिका के जवाब में यह हलफनामा दिया है. इसमें चुनाव आयोग ने कहा है कि:
- राज्यसभा चुनाव जनप्रतिनिधित्व अधिनियम के तहत होता है जो प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष चुनाव में अंतर नहीं करता.
- नोटा का बचाव करते हुए आयोग ने आगे कहा कि इसमें शामिल जनप्रतिनिधि भी आखिरकार मतदाता ही होते हैं और सुप्रीम कोर्ट पहले ही कह चुका है कि वोट देना या न देना मतदाता का अधिकार है.
- गुजरात में अगस्त में संपन्न राज्यसभा चुनाव में नोटा का इस्तेमाल कोई पहला मौका नहीं था. आयोग के मुतबिक सुप्रीम कोर्ट ने सितंबर 2013 में नोटा को मान्यता दी थी, जिसके बाद 21 अप्रैल, 2014 को उसने राज्यसभा चुनाव में नोटा को लागू कर दिया था. कांग्रेस की याचिका खारिज करने की अपील करते हुए चुनाव आयोग ने कहा कि इसे लागू करने से किसी के भी अधिकारों का हनन नहीं हुआ है.