व्यारवसायिक अदालतों, व्याजवसायिक डिवीजन और उच्च  न्याययालयों के व्याावसायिक डिवीजन (संशोधन) विधेयक 2018 को मंजूरी


केन्द्रीय मंत्रिमंडल ने संसद में पेश करने के लिए व्याडवसायिक अदालतों, व्यायवसायिक डिवीजन और उच्चस न्यामयालयों की व्या वसायिक डिवीजन (संशोधन) विधेयक 2018 को मंजूरी दे दी है।


commercial court and commercial division amendment विधेयक में निम्नयलिखिल लक्ष्यों को हासिल करने की व्य(वस्थाो की गई है:


    विधेयक में व्यांवसायिक विवाद के निर्दिष्टह मूल्यय को वर्तमान एक करोड़ रूपये से कम करके तीन लाख रूपये कर दिया गया है : अत: तर्कसंगत मूल्यव के व्यामवसायिक विवादों का निपटारा व्यालवसायिक अदालतों द्वारा किया जा सकता है। इससे कम मूल्य‍ के व्याएवसायिक विवादों के समाधान में लगने वाले समय (वर्तमान में 1445 दिन) को कम किया जा सकेगा और ईज़ ऑफ डूइंग बिजनेस में भारत की रैंकिंग को सुधारा जा सकेगा
    संशोधन में उन क्षेत्रों के लिए जिला न्याायाधीश के स्‍तर पर व्याकवसायिक अदालतों की स्था पना की व्यशवस्थाक की गई है, जिन पर सम्ब द्ध उच्च  न्यावयालयों में मूलरूप से सामान्यक दीवानी न्याेय का अधिकार है जैसे चेन्न‍ई, दिल्लीन, कोलकाता, मुंबई और हिमाचल प्रदेश राज्या में। ऐसे क्षेत्रों में राज्यर सरकारें अधिसूचना के जरिये जिला स्त र पर निर्णय दिये जाने वाले व्यामवसायिक विवादों के आर्थिक मूल्यर निर्दिष्टज कर सकती हैं, जो तीन लाख रुपये से कम और जिला अदालत के धन संबंधी मूल्यल से अधिक नहीं हो। मूल रूप से सामान्यी अधिकार क्षेत्र का इस्तेममाल करने के अलावा उच्च् न्यासयालयों के अधिकार क्षेत्र में जिला न्याषयाधीश के स्तजर से कम व्याववसायिक अदालतों द्वारा निपटाए गए व्याावसायिक विवादों में अपील का एक मंच जिला न्याायाधीश स्तार पर व्या वसायिक अपीलीय अदालतों के रूप में प्रदान किया जाएगा।
    ऐसे मामलों में जहां तुरंत, अंतरिम राहत राहत पर विचार नहीं किया गया है, वहां संस्थापन पूर्व मध्यऐस्थेता प्रक्रिया की शुरूआत करके सम्बाद्ध पक्षों को विधि सेवा प्राधिकार कानून 1987 के अंतर्गत गठित प्राधिकारों के जरिये अदालतों के दायरे से बाहर व्यारवसायिक विवादों का निपटारा करने का अवसर मिलेगा। इससे व्यातवसायिक विवादों के निपटारे में निवेशकों का विश्वाास बहाल करने में भी मदद मिलेगी।
नये अनुच्छेेद 21-ए को शामिल करने से केंद्र सरकार पीआईएम के लिए नियम और प्रक्रियाएं तैयार कर सकेगी। संशोधन को भावी प्रभाव देने के लिए ताकि न्या्यिक कानून के प्रावधानों के अनुसार मौजूदा प्रावधान के अनुसार वर्तमान में व्या वसायिक विवादों के निर्णय देने वाले न्या यिक मंचों के अधिकार क्षेत्र में कोई बाधा न पड़े।


 पृष्ठषभूमि
 तेजी से हो रहे आर्थिक विकास के साथ व्यायवसायिक गतिविधियां भी तेजी से बढ़ी हैं और साथ ही घरेलू और अंतर्राष्ट्री य स्तार पर व्यायवसायिक विवादों में तेजी से वृद्धि हुई है। प्रत्य क्ष विदेशी निवेश (एफडीआई) और विदेशों से व्या वसायिक लेन-देन में वृद्धि से व्याोवसायिक विवादों की संख्यार में पर्याप्त  वृद्धि हुई है।
 व्याोवसायिक विवादों से जुड़े मामलों के तेजी से निपटारे को ध्यासन में रखते हुए और खासतौर से विदेशी निवेशकों के बीच भारतीय विधि प्रणाली की स्वमतंत्र और उत्तपरदायी सकारात्म क छवि बनाने के लिए, व्याीवसायिक अदालतों, व्या्वसायिक डिविजन और उच्च  न्याेयालयों के व्या‍वसायिक अपीलीय डिविजन कानून 2015 अमल में लाया गया था और सभी न्याायिक क्षेत्रों में जिला स्त्रों पर व्यायवसायिक अदालतें स्था पित की गई। केवल उन क्षेत्रों को छोड़ दिया गया, जहां उच्चस न्याोयालयों के पास मूल रूप से सामान्य  दीवानी निर्णय देने का अधिकार था। ये पांच उच्चक न्याायालय हैं बम्बंई, दिल्ली , कलकत्ताअ, मद्रासऔर हिमाचल प्रदेश उच्ची न्याकयालय क्रमश: मुंबई, दिल्ली , कोलकाता, चेन्नीई शहरों और हिमाचल प्रदेश राज्या के क्षेत्रों के संबंध में मूल रूप से सामान्य् दीवानी न्याउयिक अधिकार क्षेत्र का इस्तेलमाल कर रहे हैं। इन उच्च‍ न्या्यालयों के ऐसे क्षेत्रों में खंड-3 के उपखंड (1) के प्रावधान के अनुसार इन उच्च  न्याहयालयों में जिला स्तंर पर कोई व्याषवसायिक अदालतें नहीं हैं और इसके स्थाअन पर प्रत्येनक उच्च  न्याहयालय में व्यालवसायिक डिवीजन का गठन किया गया है। ऐसे व्यांवसायिक विवादों के निर्दिष्टे मूल्य् का निपटारा व्याावसायिक अदालतों अथवा उच्चन न्या यालय की व्याेवसायिक डिविजन द्वारा किया जाएगा, जैसा भी हो जिनका मूल्यव इस समय एक करोड़ रुपये है।


 Ease of Doing Business विश्वड बैंक का एक सूचकांक है, जिसका सम्बवन्धज अन्यक बातों के अलावा किसी देश में विवाद निपटारे का माहौल बनाने से है, जो किसी व्यकवसाय को स्थािपित करने और उसको चलाने के लिए निवेशक तय करने के कार्य को सरल बनाता है। यह सूचकांक विश्वय बैंक के समूह द्वारा तैयार किया गया है और 2002 से इसने दुनिया के लगभग सभी देशों का मूल्यां कन किया है। ईज़ ऑफ डूइंग बिजनेस की उच्च  रैंकिंग का अर्थ है कि व्यनवसाय को शुरू करने और उसे चलाने के लिए नियंत्रण माहौल अधिक अनुकूल है। 31 अक्तू बर, 2017 को विश्वर बैंक ने अपनी नवीनतम वार्षिक इज़ ऑफ डूइंग बिजनेस रिपोर्ट वर्ष 2018 के लिए जारी की, जिसमें भारत शीर्ष के उन 10 उन्नकतिशील देशों में से एक के रूप में उभरकर सामने आया है और पहली बार भारत 30 स्था नों को पार करके 190 देशों में से इज़ ऑफ डूइंग बिजनेस के मामले में 100वें रैंक के देश के रूप में पहुंचा है। इससे यह साबित होता है कि सभी मोर्चों पर इज़ ऑफ डूइंग बिजनेस के लिए नियमित ढांचे में भारत सर्वश्रेष्ठइ प्रक्रियाओं को तेजी से अपना रहा है

 

व्यापार करने की सुविधा रैंकिंग में  सुधार करने के लिए   वाणिज्यिक मध्यस्थता में परिवर्तन  समय की जरूरत है| इस सन्दर्भ में भारत में वाणिज्यिक मध्यस्थता की क्या  समस्याएं है और कैसे इसे  मजबूत बनाया जा सकता है ?

Overhaul in commercial arbitration is need of the hour to improve ease of doing business ranking. In this light, explain what are the problems of commercial arbitration in India and how this could be strengthened?

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