केन्द्रीय मंत्रिमंडल ने केंद्रीय सार्वजनिक उपक्रमों, के बीच तथा अन्य सरकारी विभागों और संगठनों के साथ उनके वाणिज्यिक विवादों को निपटाने की प्रणाली को सशक्त बनाने को आज मंजूरी दे दी। मंत्रिमंडल ने सचिवों की समिति के सुझावों के आधार पर यह फैसला लिया है। इसके तहत ऐसे विवादों को अदालतों के जरिए निपटाने के बजाय इसके लिए एक सशक्त संस्थागत प्रणाली विकसित की जाएगी।
ब्यौरा :
- नई व्यवस्था के तहत एक ऐसी द्वीस्तरीय प्रणाली विकसित की जाएगी जो केंद्रीय सार्वजनिक उपक्रमों के बीच तथा अन्य सरकारी संगठनों के साथ होने वाले उनके औद्योगिक विवादों को निपटाने की मौजूदा स्थायी मध्यस्थता प्रणाली (पीएमए) का स्थान लेगी। रेलवे, आयकर विभाग, सीमा शुल्क और आबकारी विभाग को इसके दायरे से बाहर रखा गया है।
- इस द्वीस्तरीय प्रणाली के तहत ऐसे वाणिज्यिक विवादों को पहले उस समिति के पास भेजा जाएगा जिसमें ऐसे उपक्रमों से संबंधित मंत्रालयों और विभागों के सचिव तथा कानूनी मामलों के विभाग के सचिव होंगे। समिति के समक्ष सार्वजनिक उपक्रमों से जुड़े विवादों का प्रतिनिधित्व उनके मंत्रालयों तथा विभागों से जुड़े वित्तीय सलाहकारों द्वारा किया जाएगा। यदि विवाद से जुड़े दोनों पक्ष एक ही मंत्रालय या विभाग से होंगे तो ऐसी स्थिति में इस विवाद को सुलझाने का काम उस समिति को दिया जाएगा जिसमें संबंधित मंत्रालय या विभाग के सचिव, सार्वजनिक उपक्रम विभाग के सचिव और कानूनी मामलों के विभाग के सचिव होंगे। समिति के समक्ष ऐसे विवादों का प्रतिनिधित्व संबंधित मंत्रालय या विभाग के वित्तीय सलाहकार और संयुक्त सचिव द्वारा किया जाएगा। यदि, केंद्रीय सार्वजनिक उपक्रमों और राज्य सरकारों के विभागों और संगठनों के बीच ऐसे कोई विवाद उठते हैं तो उन्हें सार्वजनिक उपक्रमों से संबंधित मंत्रालयों/विभागों के सचिव, कानूनी मामलों के सचिव और संबंधित राज्य सरकार के प्रधान सचिव द्वारा नियुक्त एक वरिष्ठ अधिकारी वाली समिति को भेजा जाएगा। समिति में इन विवादों का प्रतिनिधित्व राज्य सरकारों के विभागों और संगठनों से संबंधित प्रधान सचिव द्वारा किया जा सकता है।
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यदि उपरोक्त समिति द्वारा विवादों का समाधान नहीं हो पाता है तो ऐसी स्थिति में दूसरे स्तर पर इन्हें विवादों को कैबिनेट सचिव को भेजे जाने की व्यवस्था है। इस मामले में कैबिनेट सचिव का फैसला अंतिम होगा और सभी के लिए बाध्यकारी भी होगा।
विवादों के त्वरित निपटारे के लिए पहले स्तर पर तीन महीने की अवधि निर्धारित की गयी है।
- फैसलों के अनुपालन के लिए सार्वजनिक उपक्रम विभाग तत्काल सभी उपक्रमों को उनके संबंधित मंत्रालयों/विभागों/राज्य सरकारों और संघ शासित प्रदेशों के जरिए आवश्यक दिशा निर्देश जारी करेगा।
- नई प्रणाली आपसी और सामूहिक प्रयासों से वाणिज्कि विवादों को निपटाने को प्रोत्साहित करेगी और जिससे अदालतों में ऐसे विवादों की सुनवाई के मामले घटेंगे और जनता का पैसा बर्बाद होने से बचेगा।