A five-judge Constitution Bench, led by Chief Justice of India Dipak Misra, began hearing 27 writ petitions filed by people from all walks of life and across the country.
आधार स्कीम का विरोध करने वालों ने गुरुवार को सुप्रीम कोर्ट में दलील दी कि सरकार उन्हें संवेदनशील बायोमेट्रिक्स को ऐसी अनजान प्राइवेट फर्मों को देने को नहीं कह सकती है, जिन पर उसका कुछ खास नियंत्रण नहीं है। उन्होंने कहा कि इससे इस डेटा का गलत इस्तेमाल होने की आशंका है
आधार एक ‘इलेक्ट्रॉनिक पट्टे’ की तरह है। जिससे किसी की हर गतिविधि पर नजर रखी जा सकती है। सरकार किसी भी शख्स को उसके 12 अंक वाले विशिष्ट पहचान नंबर को बंद करके ‘बर्बाद’ कर सकती है।
हर सेवा एवं सुविधा के लिए आधार को अनिवार्य बनाया जाना नागरिकों के अधिकारों की हत्या करने जैसा है।
याचिककर्ता के वकील दीवान ने दी ये दलील
- आधार कार्ड संवैधानिक है या नही ये पीठ को तय करना है?
- क्या आधार कार्ड रूल ऑफ लॉ के मुताबिक है?
- आधार कार्ड को मनी बिल की तरह क्यों पेश किया गया?
- क्या लोकतंत्र में किसी को ये अधिकार है या नहीं की वो पहचान पत्र के लिए फिंगर प्रिंट या शरीर के किसी हिस्से का निशान वो दे या नहीं?
- क्या इस डिजिटल संसार में कोई अपने को प्रोटेक्ट कर सकता है या नहीं?
- आधार कार्ड के लिए अपनी जानकारी साझा करना राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए खतरा तो नहीं?
- बैंक एकाउंट और मोबाइल नंबर के लिए आधार कार्ड अनिर्वाय क्यों?
- सामाजिक कल्याणकारी योजनाओं में आधार कार्ड अनिवार्य क्यों?
- UGC के तहत कुछ प्रोग्राम में इसको अनिवार्य क्यों किया गया है?
- आयकर रिटर्न्स भरने के लिए आधार कार्ड अनिवार्य क्यों?