Hindu married couple may not need to wait six months for a separation order in the case of mutual consent and the marriage can be legally terminated in just a week as the Supreme Court held that the "cooling off" period in not mandatory and can be waived off.
Satyagriha
- तलाक के मामले में सुप्रीम कोर्ट ने बड़ी टिप्पणी की है. शीर्ष अदालत ने कहा है कि हिंदू मैरिज एक्ट के तहत तलाक चाहने वालों के लिए अब कम से कम छह महीने का वेटिंग पीरियड जरूरी नहीं है.
- अदालत के मुताबिक अगर दोनों पक्षों के साथ रहने की जरा भी गुंजाइश न हो तो संबंधित कोर्ट छह महीने की इस अवधि को खत्म कर सकता है.
- अदालत ने यह टिप्पणी एक दंपत्ति की याचिका पर की. इसमें पति-पत्नी की दलील थी कि वे आठ साल से अलग रह रहे हैं और उनके फिर से साथ आने की कोई गुंजाइश नहीं है, इसलिए उन्हें छह महीने के इस नियम से ढील मिले.
- 1955 में बने हिंदू मैरिज एक्ट के तहत तलाक के मामले में अदालत दोनों पक्षों को फिर से सोचने के लिए कम से कम छह महीने का समय देती है. मगर कोर्ट की इस टिप्पणी के बाद दोनों पक्ष तुरंत भी अलग हो सकते हैं. हालांकि सुप्रीम कोर्ट के मुताबिक यह फैसला संबंधित अदालत को अपने विवेक से लेना होगा. शीर्ष अदालत ने कहा कि छह महीने की इस अवधि के पीछे की सोच यह थी कि थोड़ी भी गुंजाइश होने पर रिश्ता बच सके, लेकिन जब ऐसा न हो तो लोगों के पास बेहतर विकल्प होना ही चाहिए.