सांसद आदर्श ग्राम योजना

About the Scheme:

सांसद आदर्श ग्राम योजना (एसएजीवाई) की घोषणा मोदी ने 15 अगस्त 2014 को प्रधानमंत्री के तौर पर अपने पहले स्वतंत्रता दिवस संबोधन में की थी. इस योजना के तहत प्रत्येक सांसद को गांवों को गोद लेकर इसे आदर्श ग्राम के तौर पर विकसित करना था. योजना की शुरुआत 11 अक्टूबर 2014 को हुई थी.

योजना में तीन बातों पर जोर दिया जाता है. यह मांग पर आधारित हो, समाज द्वारा प्रेरित हो और इसमें जनता की भागीदारी हो. इस योजना का उद्देश्‍य संबंधित सांसद की देख-रेख में चुनी हुई ग्राम पंचायत में रहने वाले लोगों के जीवन स्‍तर में सुधार लाना है. इस योजना में सामाजिक और आर्थिक विकास के लिए सार्वजनिक सेवाओं तक पहुंच में सुधार पर भी जोर दिया जाता है. ये गांव आस-पास की अन्‍य ग्राम पंचायतों के लिए आदर्श बनते हैं.

ऐसे होती है फंड की व्यवस्था आदर्श सांसद ग्राम योजना के तहत विकास कार्य पूरा करने के लिए कई तरह से फंड मिलते हैं. इनमें इंदिरा आवास, PMGSY और मनरेगा शामिल है. इसके अलावा सांसदों को मिलने वाला विकास फंड भी कार्यक्रम पूरा करने में मददगार है. ग्राम पंचायत भी अपने फंड का इस्तेमाल इस योजना के लिए करती है. कंपनियां भी कॉर्पोरेट सोशल रिस्पॉन्सिबिलिटी (सीएसआर) के जरिए इस योजना के लिए मदद देती हैं. सांसद आदर्श ग्राम योजना में इन विकास कार्यों पर जोर *स्कूल और शिक्षा के प्रति जागरूकता *पंचायत भवन, चौपाल और धार्मिक स्थल *गर्भवती महिलाओं के लिए पोषक आहार की व्यवस्था *गोबर गैस के लिए सार्वजनिक प्लांट *भोज/दावत की मिठाई या खाने को मिड डे मील में बांटना *किसानों को ड्रिप इरिगेशन की सुविधा

Analysis of the Scheme

  • केंद्र ने ग्रामीण विकास मंत्रालय के तहत आने वाली विभिन्न कल्याणकारी योजनाओं के समुचित क्रियान्वयन और उनके प्रभाव के आकलन के लिए एक साझा समीक्षा मिशन (सीआरएम) का गठन किया था.अपनी रिपोर्ट में सीआरएम ने कहा है कि एसएजीवाई के लिए कोई समर्पित कोष नहीं है, जिससे योजना पर बुरा प्रभाव पड़ा है.
  • किसी और मद की रकम के जरिये इसके लिए कोष जुटाया जाता है.
  • सीआरएम के मुताबिक उसके दलों ने राज्यों का दौरा किया और उन्हें योजना का कोई ‘महत्वपूर्ण प्रभाव’ नजर नहीं आया.सीआरएम ने कहा कि इस योजना के तहत सांसदों द्वारा गोद लिए गए गांवों में भी सांसदों ने अपनी क्षेत्र विकास निधि से इसके लिए पर्याप्त रकम आवंटित नहीं की.
  • CRM ने एक रिपोर्ट में कहा, ‘कुछ मामलों में जहां सांसद सक्रिय हैं, कुछ आधारभूत विकास हुआ है, लेकिन योजना का कोई प्रत्यक्ष प्रभाव नहीं पड़ा है.
  • ’सीआरएम के मुताबिक ऐसे में इन गांवों को आदर्श ग्राम नहीं कहा जा सकता और इस योजना की समीक्षा की जानी चाहिए.उन्होंने कहा, ‘सीआरएम की राय है कि यह योजना अपने मौजूदा स्वरूप में इच्छित उद्देश्यों की पूर्ति नहीं करती.

Suggestion:

  • यह अनुशंसा की जाती है कि मंत्रालय इसका प्रभाव बढ़ाने के लिए योजना की समीक्षा कर सकता है.’
  • यह विडंबना ही है कि आदर्श ग्राम यह गांव तक खुले में शौच मुक्त घोषित नहीं हुआ है.यूपी के ही हरदोई जिले के एक आदर्श गांव का दौरा करने के बाद समिति ने कहा, ‘कुल मिलाकर योजना का यहां कोई खास प्रभाव नहीं पड़ा है.’सीआरएम ने कहा कि उन जगहों पर अच्छा काम हुआ है जहां पर सांसदों ने योजना में रुचि दिखाई है और सांसद निधि के तहत उचित राशि आवंटित की है.आ
  • योग ने ग्रामीण विकास मंत्रालय के तहत आने वाली सभी कल्याणकारी योजनाओं की समीक्षा की और बेहतर क्रियान्वयन के लिए सुझाव दिये. 

Reference: thewirehindi.com 

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