गलती से ही सही, लेकिन वैज्ञानिकों को कुछ ऐसा मिला है जिससे दुनिया के सिर का बोझ बन चुके प्लास्टिक से मुक्ति संभव दिख रही है। यह गलती ब्रिटेन की पोर्ट्समाउथ यूनिवर्सिटी और अमेरिका के अक्षय ऊर्जा मंत्रालय से जुड़ी एक प्रयोगशाला ने मिलकर की है।
Ø दो साल से ये दोनों संस्थान जापान में मिले एक ऐसे बैक्टीरिया पर शोध कर रहे हैं, जो प्लास्टिक खाता है।
Ø उनकी कोशिश इस बैक्टीरिया की कोई ऐसी किस्म विकसित करने की थी, जो ज्यादा बड़ी मात्रा में प्लास्टिक हजम कर सके।
Ø यह काम तो उनसे हो नहीं पाया, लेकिन इसी सिलसिले में गलती से एक ऐसा एंजाइम जरूर बन गया, जो प्लास्टिक को गलाकर उसे मिट्टी में मिला सकता है। दरअसल जापानी बैक्टीरिया पर रिसर्च करते हुए वैज्ञानिकों ने उस पर सूरज की रोशनी से दस अरब गुना चमकीली एक्स-रे डाली तो यह चमत्कार घटित हो गया। पहले उन्हें यह सामान्य एंजाइम ही लगा, लेकिन अच्छी तरह जांच-परख की तो पाया कि यह उक्त बैक्टीरिया से बीस फीसद ज्यादा तेजी से प्लास्टिक को खत्म करता है। इसका नाम पेटेज रखा गया है क्योंकि यह सबसे ज्यादा इस्तेमाल होने वाले प्लास्टिक पॉलीएथिलीन टेरेफ्थैलेट (पीईटी) को खत्म करता है।
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Dangerous: प्लास्टिक पॉलीएथिलीन टेरेफ्थैलेट (पीईटी)
बोतलें बनाने में काम आनेवाले पीईटी की विभीषिका का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि दुनिया में हर मिनट ऐसी दस लाख नई बोतलें किसी न किसी रूप में बिकती हैं और इनमें से ज्यादातर घूम-फिरकर समुद्र में पहुंचती हैं। जापान के ही एक रीसाइक्लिंग प्लांट में किए गए परीक्षण में पता चला कि पेटेज नाम का यह एंजाइम पीईटी की रासायनिक बनावट को तोड़ देता है। इससे कुछ प्लास्टिक गायब हो जाता है और कुछ दोबारा प्रयोग में लाने लायक कच्चे माल में बदल जाता है। वैज्ञानिकों ने जब इस एंजाइम में कुछ अमीनो एसिड मिला दिया तो यह दुगनी तेजी से प्लास्टिक खाने लगा। आनेवाले दिनों में पेटेज की इंडस्ट्रियल लेवल आजमाइश के दौरान इससे जुड़ी हुई कोई नई मुश्किल सामने नहीं आई तो दुनिया के हर शहर के इर्दगिर्द किसी असाध्य बीमारी की तरह फैले प्लास्टिक का कुछ हद तक इलाज हो सकेगा और वैज्ञानिकों की यह गलती धरती को कुछ दिन और जीने लायक बना देगी।
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