संविदा कृषि को प्रोत्साहित करना कृषि के लिए संजीवनी

 

Contact farming could be new vehicle for ushering income of farmer.

#Dainik_Tribune

किसान की बदहाली की वजह

  • किसान की बदहाली की पहली वजह है भारत में लगभग 80 फीसद किसान छोटे या सीमांत किसान हैं। उनके पास एक एकड़ से भी कम कृषि योग्य भूमि है। जिससे उत्पादन लागत बढ़ जाती है,लेकिन मूल्य कम ही मिल पाता है। उन्हें घाटा सहना पड़ता है।
  • दूसरा भारतीय कृषि मानसून आधारित कृषि होना, जिससे खेती सिंचाई की समस्या से जूझती है।

Contract farming as solution to above mentioned problems

  • अनुबंध कृषि में इन दोनों ही समस्याओं का समाधान हो सकता है।

अनुबंध खेती में कई छोटे-छोटे किसान मिल कर एक बड़े किसान के रूप में काम करते हैं। इसमें कई किसानों के खेत मिल जाने पर जोत का आकार बढ़ जाता है। फिर इन किसानों और निजी खरीदार कंपनियों के बीच उत्पादन की प्राप्ति, खरीद और विपणन की शर्तों को पहले से तय किया जाता है। लिहाजा संबंधित कंपनियां कृषकों को कृषि लागत, तकनीकी सलाह, परिवहन की सुविधा आदि उपलब्ध कराती हैं। इससे आधारभूत संरचना का विकास हो पाता है। इससे किसान गुणवत्ता वाले उत्पाद एक समय अवधि में उत्पादित कर पाते हैं।

Benefit of Contract Farming

  • इस खेती का सबसे बड़ा फायदा यह है कि चाहे कितना भी छोटा किसान हो, वह भूमिहीन नहीं हो पाएगा। अकसर किसान फसल उत्पादन के बाद कर्ज के बोझ से दब जाता है और भूमि बेचकर भूमिहीन हो जाता है। लेकिन, इसमें कंपनियों के साथ निर्धारित समय के लिए अनुबंध होने के कारण ऐसा नहीं हो पाएगा।
  •  संविदा कृषि निजीकरण को बढ़ावा देगा और कृषि में व्यावसायिकता लायेगी। फलतः कृषि अधिक प्रतिस्पर्धी बनेगी। इससे निश्चित ही खेतीबाड़ी में सुधार देखने को मिल सकेगा।
  • इससे कृषि क्षेत्र की बेरोजगारी से निजात मिल सकेगी। दरअसल देश में परंपरागत कृषि प्रणाली में काम कुछ महीने ही रह पाता है। बाकी महीने कृषक बेरोजगार ही होते हैं। लेकिन, अनुबंध कृषि में वैज्ञानिक तरीके से कृषि होगी जिसमें किसानों को विभिन्न प्रकार की फसलें उगाने का मौक़ा मिल सकेगा।
  • अनुबंध कृषि उत्पादन को बढ़ाने में भी सहायक होगी। संबंधित कंपनियां किसानों को नई तकनीकें मुहैया कराएंगी। नतीजतन, बंजर खेत भी उपजाऊ बन सकेंगे। कंपनियां खाद्यान्नों की स्टोरेज क्षमता को बढ़ाने के लिए भी खर्च कर सकेंगी।

Challenge of Contract Farming

अनुबंध कृषि में किसानों के समक्ष कुछ चुनौतियां भी हैं।

  • समय पर भुगतान की समस्या, कंपनियों और किसानों के बीच उत्पन्न विवाद, किसानों का शोषण आदि समस्याएं आ सकती है। इसके लिए एक आदर्श कानून की जरूरत है।

सरकार अनुबंध कृषि को बढ़ावा दे तो यह किसान के लिए वरदान साबित हो सकता है।
वर्ष 2011 की जनगणना को ही लें तो प्रतिदिन 2000 किसान खेती छोड़ रहे हैं। एक अध्ययन के अनुसार केवल दो फीसदी किसानों के बच्चे ही कृषि को अपना पेशा बनाना चाहते हैं। इसके बहुतेरे कारण हैं। उनकी समस्याओं की अनदेखी से कई राज्यों में किसान आंदोलनरत हैं। लगातार किसानों की आत्महत्या की रिपोर्टें भी सरकार को जगाने में नाकाम रही हैं।

निश्चय ही अनुबंध कृषि एक विकल्प हो सकता है, लेकिन सवाल है कि सरकार इसका कितना फायदा उठा पाते हैं। एक तरफ सरकार सरकारी कर्मचारियों को 108 प्रकार के भत्ते उपलब्ध कराती है और दूसरी ओर देश के अन्नदाताओं को केवल ‘न्यूनतम समर्थन मूल्य’ जैसा लाॅलीपाप थमा देती है। एक अध्ययन के अनुसार गेहूं और चावल की पैदावार करने वाले 30 फीसदी किसान ही न्यूनतम समर्थन मूल्य का फायदा उठा पाती है। सरकार सभी किसानों के अनाज को नहीं खरीद पाती। लिहाजा 70 फीसदी किसानों को बाज़ारों में ही औने-पौने दामों में अपनी फसल को खपाना पड़ता है। सवाल है कि किसानों को भी सरकारी कर्मचारियों की तरह भत्ते उपलब्ध क्यों नहीं करवाने चाहिए? कम से कम बुनियादी जरूरतों वाले चार भत्ते तो होने ही चाहिए। मसलन- गृह भत्ता, चिकित्सीय भत्ता, शिक्षा भत्ता तथा यात्रा भत्ता। इसके अलावा कृषकों के लिए ‘आय नीति’ का भी प्रावधान होना चाहिए। ‘न्यूनतम समर्थन मूल्य’ से समान रूप से सभी किसान फायदा उठा नहीं पाते। साथ ही कृषि को व्यावहारिक बनाने के लिए ‘अनुबंध कृषि’ को अपनाने पर जोर दे ताकि किसानों की सफलता की संभावना को अधिकतम किया जा सके।

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