#Dainik_Tribune
यकीनन भारत कृषि उत्पादन में अधिशेष की ओर बढ़ रहा है। ऐसे में देश से कृषि निर्यात की नई संभावनाएं दिखाई दे रही हैं।
Some fact
- देश में 6.8 करोड़ टन गेहूं और चावल का भंडार है। यह जरूरी बफर स्टॉक के मानक से दोगुना है।
- दूध का उत्पादन आबादी बढ़ने की दर से चार गुना तेजी से बढ़ रहा है। देश में दूध उत्पादन वर्ष 2017-18 के दौरान बढ़कर 17.63 करोड़ टन रहने का अनुमान है।
- चीनी का उत्पादन 3.2 करोड़ टन होने की उम्मीद है जबकि देश में चीनी की खपत 2.5 करोड़ टन है।
- इसी तरह से देश में फलों और सब्जियों का उत्पादन मूल्य 3.17 लाख करोड़ रुपये हो गया है
New Possibility of Export
इस तरह कृषि क्षेत्र में अतिशय उत्पादन देश के लिए निर्यात की नई संभावनाएं प्रस्तुत कर रहा है।
- पहला कारण पिछले दिनों सरकार के द्वारा घोषित की गई नई कृषि निर्यात नीति के तहत सरकार ने कृषि निर्यात बढ़ाने के लिए उदार प्रोत्साहन निर्धारित किए हैं। लक्ष्य है कि कृषि निर्यात मौजूदा 30 अरब डॉलर से बढ़कर 2022 तक 60 अरब डॉलर के स्तर पर पहुंच जाए।
- दूसरा प्रमुख कारण अमेरिका के साथ व्यापार मुद्दे में चीन के द्वारा लगाए गए आयात शुल्क के कारण अमेरिका की तमाम खाद्य वस्तुएं चीन के बाज़ारों में महंगी हो गई हैं। चूंकि ये अधिकांश वस्तुएं भारत भी चीन को निर्यात कर रहा है और भारतीय वस्तुओं पर चीन ने कोई आयात शुल्क नहीं बढ़ाया है। ऐसे में ये भारतीय वस्तुएं चीन के बाज़ारों में कम कीमत पर मिलने लगेंगी। इससे चीन को भारत के निर्यात बढ़ेंगे।
- तीसरा प्रमुख कारण नई दिल्ली में भारत और चीन के बीच आयोजित संयुक्त आर्थिक समूह बैठक में भारत से चीन को कृषि निर्यात बढ़ाने का परिदृश्य उभरना है।
Export Policy
नई कृषि निर्यात नीति से वैश्विक कृषि निर्यात में भारत की मौजूदा 2.2 फीसदी भागीदारी बढ़ाने और भारत को कृषि निर्यात से संबंधित दुनिया के 10 प्रमुख देशों में शामिल कराने का लक्ष्य रखा गया है। सरकार का प्रयास होगा कि नई कृषि निर्यात नीति से ज्यादा मूल्य और मूल्यवर्धित कृषि निर्यात को बढ़ावा दिया जा सके। साथ ही कृषि निर्यात के प्रक्रिया मध्य खराब होने वाले सामान, बाज़ार पर नजर रखने के लिए संस्थापक व्यवस्था और साफ-सफाई के मसले पर ध्यान केंद्रित किया जा सके। निर्यात किए जाने वाले कृषि जिंसों के उत्पादन व घरेलू दाम में उतार-चढ़ाव पर लगाम लगाने के लिए कम अवधि के लक्ष्यों तथा किसानों को मूल्य समर्थन मुहैया कराने और घरेलू उद्योग को संरक्षण देने की बात की गई है। साथ ही कृषि निर्यात की मसौदा नीति में राज्यों की कृषि निर्यात में ज्यादा भागीदारी, बुनियादी ढांचे और लॉजिस्टिक्स में सुधार और नए कृषि उत्पादों के विकास में शोध एवं विकास गतिविधियों को प्रोत्साहन पर जोर दिया गया है।
भारत के खाद्य प्रसंस्करण (फूड प्रोसेसिंग) क्षेत्र से कृषि निर्यात में वृद्धि की चमकीली संभावनाएं देखते हुए उद्योग को प्रोत्साहित किया जाना जरूरी है। नि:संदेह भारत में खाद्य प्रसंस्करण से संबंधित पांच क्षेत्रों— डेयरी क्षेत्र, फल एवं सब्जी क्षेत्र, अनाज का प्रसंस्करण, मांस मछली एवं पोल्ट्री प्रसंस्करण तथा पैकेट बंद खाद्य और पेय पदार्थ के तहत निर्यात की अच्छी संभावनाएं हैं। भारत दुनिया का सबसे बड़ा दुग्ध उत्पादक देश है। भैंस के मांस, पालतू पशुओं और मोटे अनाज के मामले में भी भारत सबसे बड़ा उत्पादक है। भारत का फलों और सब्जियों के उत्पादन में दुनिया में दूसरा क्रम है।
निश्चित रूप से भारत में खाद्य निर्यात से जहां किसानों की खुशहाली के अध्याय लिखे जा सकते हैं, वहीं व्यापार घाटे में कमी के साथ-साथ विदेशी मुद्रा की कमाई का नया परिदृश्य निर्मित किया जा सकता है। विदेश व्यापार के नवीनतम आंकड़ों के अनुसार वर्ष 2017-18 में देश से निर्यात में कमी आई है। वहीं व्यापार घाटा पिछले पांच वर्षों के उच्चतम स्तर पर है। चूंकि कच्चे तेल की कीमतों में बढ़ोतरी हुई है अतएव आगामी वर्ष में व्यापार घाटा और बढ़ेगा। देश से निर्यात से जुड़े विभिन्न क्षेत्रों वाहन निर्माण, इंजीनियरिंग वस्तु, परिष्कृत हीरे और चमड़े की वस्तुएं आदि उद्योगों को भी निर्यात मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा है। चूंकि देश के लिए करीब 115 अरब डॉलर की सालाना विदेशी मुद्रा कमाने वाले आईटी सेवा उद्योग की आधे से अधिक आमदनी अमेरिका को सॉफ्टवेयर निर्यात से होती है। लेकिन अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रंप के रवैये ने चिंताएं बढ़ाई हैं।
मगर खाद्य का जो लक्ष्य रखा गया है, वह चुनौतीपूर्ण है। कृषि निर्यात के इस ऊंचे लक्ष्य के समक्ष चुनौती इसलिए भी है, क्योंकि विगत 15 मार्च को अमेरिका ने विश्व व्यापार संगठन (डब्ल्यूटीओ) में भारत के द्वारा दी जा रही निर्यात सब्सिडी को रोकने हेतु आवेदन किया है। विशेषज्ञों का कहना है कि इस मामले में भारत कमजोर पड़ सकता है। इसके अलावा भारत के खाद्य निर्यात कई अन्य देशों से महंगे भी दिखाई देते हैं। चूंकि विभिन्न निर्यातों में कृषि निर्यात सबसे जोखिमभरे होते हैं, अतएव समाधान के लिए रणनीतिक कदम जरूरी होंगे। सबसे बड़ी चुनौती अपर्याप्त परिवहन और भंडारण क्षमता के कारण खेत से खाद्य वस्तुएं निर्यात बाज़ारों और कारखानों से प्रसंस्कृत वस्तुएं विदेशी उपभोक्ता तक पहुंचने में बहुत अधिक नुकसान होने से संबंधित है। विभिन्न देशों द्वारा लागू किए गए कृषि व्यापार संबंधी कड़े तकनीकी अवरोधकों के कारण भी भारतीय खाद्य निर्यात की क्षमता प्रतिबंधित हुई है। निर्यात की जा रही कृषि मदों पर गैर-शुल्क बाधाएं, खाद्य गुणवत्ता सुरक्षा और स्वास्थ्य संबंधी मुद्दे अमेरिका और यूरोपीय संघ जैसे प्रमुख बाजारों में खाद्य उत्पादों के निर्यात में बड़े अवरोधक बने हुए हैं।
चूंकि कृषि निर्यात ही एकमात्र ऐसा उपाय है जिसके जरिए बिना महंगाई के रोजगार और राष्ट्रीय आय में बढ़ोतरी की जा सकती है। अतएव देश से कृषि निर्यात बढ़ाने के लिए कई और जरूरतों पर ध्यान दिया जाना होगा। कृषि निर्यातकों के हित में मानकों में बदलाव किया जाए, जिससे कृषि निर्यातकों को कार्यशील पूंजी आसानी से प्राप्त हो सके। सरकार के द्वारा अन्य देशों की मुद्रा के उतार-चढ़ाव, सीमा शुल्क अधिकारियों से निपटने में मुश्किल और सेवा-कर जैसे कई मुद्दों पर भी ध्यान दिया जाना होगा। सरकार द्वारा निर्यात बढ़ाने के लिए चिन्हित फूड पार्क विश्वस्तरीय बुनियादी सुविधाओं, शोध सुविधाओं, परीक्षण प्रयोगशालाओं, विकास केंद्रों और परिवहन लिंकज के साथ मजबूत बनाए जाने होंगे। यह भी जरूरी है कि केन्द्र सरकार द्वारा राज्य सरकारों को पृथक-पृथक राज्य निर्यात नीति तैयार करने हेतु प्रोत्साहित किया जाए।