FACTS
- विश्व का कृषि निर्यात 1800 बिलियन डॉलर है। जिसमें भारत का हिस्सा सिर्फ 39 बिलियन डालर है।
- देश में सबसे ज्यादा 20 मिलियन टन आम का उत्पादन होता है। वहीं अमेरिका दो लाख टन आम आयात करता है। वहां पाकिस्तान से 84000 टन और भारत से सिर्फ 46000 टन आम पहुंच रहा है। यहां भी भारत बेहतर कर सकता है
भारत के लिए कृषि उत्पाद निर्यात के लिए बेहतर संभावनाएं हैं। अगर हम प्रयास करें तो बहुत अच्छा कर सकते हैं। इससे न केवल हमारी अर्थव्यवस्था मजबूत होगी बल्कि आर्थिक तंगी को सामना कर रहे किसानों, खेती मजदूरों के हालात भी सुधरेंगे।
INDIA's Export Market
- देश के कृषि उत्पादों को अब कोरोना काल में कर्मशियल एक्सपोर्ट प्रमोशन चाहिए। कृषि और प्रसंस्कृत खाद्य उत्पाद निर्यात विकास प्राधिकरण यह जिम्मेदारी बेहतर ढंग से नहीं निभा पा रहा। वो केवल इवेंट मैनेज कंपनी बनकर रह गई है। कृषि निर्यात बढ़ाने के लिए जरूरी है कि सरकार सबसे पहले विभिन्न देशों में स्थित अपनी एंबेसी में कृषि व्यवसाय एंबेसेडर नियुक्त करे और उन्हें निर्यात का लक्ष्य दे। भारत केले के उत्पादन में विश्व में नंबर एक पर है। देश में 30 बिलियन टन केले की पैदावार होती है। हमारा पड़ोसी चीन ही केले का आयातक है। यह केला बहुत आसानी से सिक्किम बॉर्डर के रास्ते चीन भेजा जा सकता है, लेकिन यह संभव नहीं हो पा रहा है। चीन केले की जरूरतों को पूरा करने के लिए MAXICO फिलिपींस से 1.5 मिलियन केला आयात कर रहा है। अमेरिका में भी केला निर्यात किया जा सकता है। ऐसे ही हालात आम के भी हैं।
- इसी तरह कोरिया में गेहूं, झींगा मछली और केले का निर्यात किया जा सकता है। भारत वहां से टीवी, मोबाइल और कारों के रुप में 13 बिलियन डॉलर का आयात कर रहा है। वहां इससे ज्यादा के कृषि उत्पाद भेजे जा सकते हैं।
- यूरोप से भारत बड़ी मात्रा में खाने का तेल, शराब, चीज, चॉकलेट मंगवाता है।
Need to Pay attention to phytosanitary Measures
हैरानी की बात है कि वहां भारत के अंगूर को जानबूझकर रिजक्ट कर दिया जाता है। जबकि भारत में आयात किए जाने वाले उत्पादों की सही से जांच भी नहीं की जाती। हमें देखना होगा कि वो देश अपने उत्पादों में कितने रसायनों का उपयोग कर रहे हैं। क्या वे रसायन भारत में रजिस्टर्ड हैं। भारत से गैर बासमती चावल का निर्यात चीन, सिंगापुर, अफ्रीकी देशों में किया जा सकता है। बासमती चावल में मांग मिडिल ईस्ट के देशों में ज्यादा है। वहां सबि्जयों व मसालों के निर्यात की भी अपार संभावनाएं हैं। सरकार अगर ध्यान दे तो हम कहीं बेहतर कर सकते हैं। वर्तमान में हमारे यहां सऊदी अरब, दुबई, अबुधाबी से 4 से 5 लाख टन खजूर का आयात हो रहा है। न्यूजीलैंड से कीवी मंगवाया जा रहा है। कैलिफोर्नियां के बादाम व सेब की भारत में अच्छी खासी मांग है। सेब का अमेरिका, चीन, न्यूजीलैंड, साऊथ अफ्रीका से भी अंधाधुंध आयात हो रहा है। इस ओर किसी का ध्यान नहीं जा रहा। यहां तक कि इन उत्पादों का कोई परीक्षण नहीं किया जा रहा। यह भी नहीं देखा जा रहा कि इन उत्पादों में कोई वायरस तो नहीं है। इनके साथ न जाने कितने नए वायरस देश में आ चुके हैं।
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भारत ऐसा बाजार बन चुका है, जहां कुछ भी, कैसा भी आयात कर लो और जब भारत कृषि उत्पादों के निर्यात की बात करता है तो बिना वजह कई तरह के आरोप लगाए जाते हैं। इसका सबसे बड़ा कारण यही है कि हमारी नौकरशाही ईमानदारी से अपना काम नहीं कर रही है, अपनी जिम्मेदारी नहीं निभा पा रही है। आयात के इन आंकड़ों को देखकर कृषि और संसाधिक खाद्य उत्पाद निर्यात विकास प्राधिकरण की कार्यप्रणाली का पता लगता है। सऊदी अरब देशों से तेल आयात करने के बदले गेहूं, चावल, मीट, मछली, फल, सब्जियां, मसालों के निर्यात की अपार संभावनाएं हैं, लेकिन इस ओर ध्यान नहीं दिया जा रहा। इतना ही नहीं भारत से मांस वियतनाम जा रहा है और वहां से चीन भेजा जा रहा है। हम सीधे-सीधे चीन को निर्यात क्यों नहीं कर सकते। इससे हमारा चीन के साथ व्यापार घाटा भी कम होगा। ऐसा करने के लिए सबसे पहले निर्यात बातचीत को आगे बढ़ाना होगा। अगर वे नहीं मानते तो हमें उनके यहां से आने वाले सामान पर सख्ती दिखानी होगी। तभी हमारा कृषि निर्यात बढ़ेगा। ऐसा करने के लिए जरूरी है कि सबसे पहले हम देश में कृषि उत्पाद निर्यात जोन बनाएं। कृषि विज्ञान केंद्र, कृषि और प्रसंस्कृत खाद्य उत्पाद निर्यात विकास प्राधिकरण और बागवानी बोर्ड को आपस में जोड़ा जाए। वो विश्व बाजार के अनुरूप उत्पादों को पैदा करवाने और उनकी गुणवत्ता पर ध्यान दें। इसके लिए जिला स्तर पर केंद्र बनाए जाएं। जहां कृषि, बागवानी, हर्बल, मैिडसिनल, मछली, मांस उत्पादों का संग्रहण किया जाए। इनके पैकिंग, स्टोरेज के लिए गांव स्तर पर ही व्यवस्था हो। निर्यात उत्पादकों को पोस्ट हार्वेस्ट प्रौद्योगिकी तकनीक उपलब्ध करवाई जानी चाहिए। इसके साथ उन्हें वित्तीय और विपणन सहायता भी दी जाए। बीजों के निर्यात का जिम्मा बीज निगम को सौंपा जाए और इसके लिए अलग से उत्पादक केंद्र बनें। देश के कुल उत्पादन का 50 प्रतिशत निर्यात अमेरिका, यूरोप, चाइना, ब्रिटेन व अफ्रीकी देशों को किया जा सकता है, लेकिन हमारे अघिकारियों ने कभी इस तरफ ध्यान ही नहीं दिया। हमें इन सारी बाधाओं को तत्काल दूर करके निर्यात को बढ़ावा देना चािहए। अब जरूरी है कि सरकार दुनियाभर कृषि व्यवसाय एम्बेसेडर नियुक्त करे और उन्हें निर्यात का लक्ष्य दे।
Reference: https://www.haribhoomi.com/