कृषि कल्याण अभियान” का मुख्य उद्देश्य किसानों तक आधुनिक कृषि पद्धति व कृषि से जुड़े अन्य व्यवसायों की जानकारी पहुंचाना है| यह अभियान देश के 27 राज्यों के 117 आकांक्षी जिलों में से प्रत्येक के 25 गांवों में चलाया जा रहा है । इन गांवो का चयन कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय द्वारा ग्रामीण विकास मंत्रालय के दिशा – निर्देशों के अनुसार किया गया है। इस योजना के तहत प्रत्येक आकांक्षी जिले के 25 ऐसे गावों को चयनित किया गया है जिनकी जनसंख्या 1000 से अधिक है। इस अभियान के अंतर्गत चयनित जिलों में कृषि और संबद्ध गतिविधियों को बढ़ावा देने के साथ ही किसानों को उत्तम तकनीक एवं आय बढ़ाने के बारे में सहायता और सलाह भी दी जा रही है। इस कार्य में प्रत्येक जिले के कृषि विज्ञान केन्द्र अहम भूमिका निभा रहे हैं।
FIRST PHASE:
कृषि कल्याण अभियान” के प्रथम चरण (1 जून से 15 अगस्त, 2018) की सफलता को देखते हुए कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय द्वारा 2 अक्टूबर 2018 से 25 दिसम्बर 2018 तक देश भर के ग्रामीण इलाकों में इस अभियान का द्वितीय चरण चलाया जाना तय किया गया था, लेकिन 6 राज्यों छत्तीसगढ़, मध्यप्रदेश, मिजोरम, राजस्थान, तेलंगाना में विधानसभा चुनाव व पंजाब में पंचायत चुनाव के मद्देनजर इस अभियान को 26 जनवरी, 2019 तक बढ़ा दिया गया हैI
Second Phase
द्वितीय चरण के सफल संचालन हेतु कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय के विभिन्न विभागों द्वारा रोड मैप तैयार किया गया है, जिसके तहत चयनित विशिष्ट गतिविधियों का सुचारू रूप से संचालन किया जा रहा है।
Activities in Krishi kalyan Abhiyaan
जहाँ इस अभियान के प्रथम चरण के तहत कृषि आय बढ़ाने और खेती –बाड़ी में बेहतर पद्धतियों के इस्तेमाल को प्रोत्साहित करने के मकसद से 9 गतिविधियों को शामिल किया गया था I वहीं द्वितीय चरण के अंतर्गत 12 गतिविधियों का संचालन किया जा रहा है,
♦ मृदा स्वास्थ्य कार्डों का सभी किसानों में वितरण।
♦ प्रत्येक गाँव में खुर और मुँह रोग (Foot and Mouth Disease – FMD) से बचाव के लिये सौ प्रतिशत बोवाइन टीकाकरण।
♦ भेड़ और बकरियों में पीपीआर बीमारी (Peste des Petits ruminants – PPR) से बचाव के लिये सौ फीसदी कवरेज़।
♦ सभी किसानों के बीच दालों और तिलहन की मिनी किट का वितरण।
♦ प्रति परिवार पाँच बागवानी/कृषि वानिकी/बाँस के पौधों का वितरण।
♦ प्रत्येक गाँव में 100 एनएडीएपी पिट (एम.डी. पंढरीपांडे, जिसे "नडेपकाका" भी कहा जाता है द्वारा विकसित खाद बनाने की विधि) बनाना।
♦ कृत्रिम गर्भाधान के बारे में जानकारी देना।
♦ सूक्ष्म सिंचाई से जुड़े कार्यक्रमों का प्रदर्शन।
♦ बहु-फसली कृषि के तौर-तरीकों का प्रदर्शन।