#Amar_Ujala
यकीनन देश से कृषि निर्यात की नई संभावनाएं उभरकर दिखाई दे रही हैं। सांख्यिकी और कार्यक्रम क्रियान्वयन मंत्रालय द्वारा प्रस्तुत रिपोर्ट के अनुसार, देश में खाद्यान्न, फलों और सब्जियों का उत्पादन हमारी खपत से बहुत ज्यादा है।
- देश में 6.8 करोड़ टन गेहूं और चावल का भंडार है, जो जरूरी बफर स्टॉक के मानक से दोगुना है। दूध का उत्पादन आबादी बढ़ने की दर से चार गुना तेजी से बढ़ रहा है।
- चीनी का उत्पादन 3.2 करोड़ टन होने की उम्मीद है, जबकि देश में चीनी की खपत 2.5 करोड़ टन है।
- देश में फलों और सब्जियों का उत्पादन मूल्य 3.17 लाख करोड़ रुपये हो गया है।
कृषि क्षेत्र में अतिशय उत्पादन निर्यात की नई संभावनाएं प्रस्तुत कर रहा है, जिसके तीन प्रमुख कारण हैं।
- पहला कारण, पिछले दिनों सरकार द्वारा घोषित की गई नई कृषि निर्यात नीति है, जिसके तहत सरकार ने कृषि निर्यात बढ़ाने के लिए उदार प्रोत्साहन निर्धारित किए हैं और लक्ष्य रखा है कि कृषि निर्यात को 2022 तक बढ़ाकर 60 अरब डॉलर के स्तर पर पहुंचाया जाएगा।
- दूसरा प्रमुख कारण अमेरिका और चीन के बीच छिड़े व्यापार युद्ध से भारत के लिए उपजी निर्यात संभावनाएं हैं। चूंकि भारत भी चीन को निर्यात कर रहा है और भारतीय वस्तुओं पर चीन ने कोई आयात शुल्क नहीं बढ़ाया है। इसलिए चीन को भारत के निर्यात बढ़ेंगे। तीसरा प्रमुख कारण हाल ही में आयोजित भारत और चीन के बीच संयुक्त आर्थिक समूह की बैठक में भारत से चीन को कृषि निर्यात बढ़ाने के परिदृश्य का उभरना है।
नई कृषि निर्यात नीति से वैश्विक कृषि निर्यात में भारत की मौजूदा 2.2 फीसदी भागीदारी बढ़ाने और भारत को कृषि निर्यात से संबंधित दुनिया के 10 प्रमुख देशों में शामिल कराने का लक्ष्य रखा गया है।
- साथ ही कृषि निर्यात प्रक्रिया के दौरान खराब होने वाले सामान, बाजार पर निगरानी के लिए संस्थापक व्यवस्था और साफ सफाई के मसले पर ध्यान केंद्रित किया जाएगा। यही नहीं, कृषि निर्यात की मसौदा नीति में राज्यों की कृषि निर्यात में ज्यादा भागीदारी, बुनियादी ढांचे और लॉजिस्टिक्स में सुधार और नए कृषि उत्पादों के विकास के लिए शोध एवं विकास गतिविधियों को प्रोत्साहन पर जोर दिया गया है
What to be done?
एसोचैम और शिकागो की अकाउंटिंग कंपनी ग्रांट थॉर्टन की संयुक्त अध्ययन रिपोर्ट में कहा गया है कि कृषि निर्यात में वृद्धि के लिए खाद्य प्रसंस्करण उद्योग को बढ़ाना जरूरी है। भारत में खाद्य प्रसंस्करण से संबंधित पांच क्षेत्रों- डेयरी क्षेत्र, फल एवं सब्जी क्षेत्र, अनाज का प्रसंस्करण, मांस-मछली एवं पोल्ट्री प्रसंस्करण तथा पैकेट बंद खाद्य और पेय पदार्थ के तहत निर्यात की अच्छी संभावनाएं हैं। इन पांचों क्षेत्रों में बहुत अच्छे कृषि आधार भारत के पास हैं।
निश्चित रूप से खाद्य निर्यात से जहां किसानों की खुशहाली के अध्याय लिखे जा सकते हैं, वहीं व्यापार घाटे में कमी के साथ विदेशी मुद्रा की कमाई का नया परिदृश्य बनाया जा सकता है। लेकिन कृषि निर्यात को 2022 तक 60 अरब डॉलर किए जाने का जो लक्ष्य रखा गया है, वह चुनौतीपूर्ण है। इसके लिए कारगर प्रयास करने होंगे। उम्मीद करनी चाहिए कि सरकार ने जो प्रोत्साहन घोषित किए हैं, वे रियायतें कृषि निर्यातकों तक पहुंचेंगी। साथ ही सरकार कृषि निर्यात की मुश्किलों का प्राथमिकता से समाधान करेगी। अमेरिका और चीन के बीच जो व्यापार युद्ध शुरू हुआ है, उससे चीन की ओर भारत से जो कृषि निर्यात बढ़ने की संभावना दिख रही है, भारत को उसका फायदा उठाने के लिए तैयार रहना चाहिए। ऐसे प्रयासों से कृषि निर्यात में वृद्धि हो सकेगी, रोजगार बढ़ेंगे और देश का व्यापार घाटा कम किया जा सकेगा