उछाल क़े कारण
- कालाबाजारी और जमाखोरी
- महाराष्ट्र, मध्यप्रदेश, राजस्थान और झारखंड में पड़ा सूखा जिससे दालों के उत्पादन में कमी
- किसान का नकदी फसलों की ओर रुख , बीते चार चाल में दाल का रकबा लगभग पंद्रह हजार हेक्टेयर कम हुआ है।
- खपत व उत्पादन क अनमेल: दलहन का कुल उत्पादन चालू फसल वर्ष में 1.73 करोड़ टन हुआ है, जबकि पिछले साल 1.71 करोड़ टन हुआ था। मगर 2013-14 में दलहन का कुल उत्पादन 1.93 करोड़ टन था। जबकि भारत में दालों की सालाना खपत 220 से 230 लाख टन है।
- ज्यादातर खपत विकासशील देशों में फलत: दालों कि उत्पादकता बढाने के लिये बहुत हि कम रिसर्च हुआ है
- आयात का कुच्रक: भारत दालों का सबसे बड़ा consumer व उतपादक है, जब देश में इसकी पैदावार कम होती है तो आयात के भी सीमित संसाधन है और इस स्थिति में अंतरराष्ट्रीय बाज़ार में भी इसकी कीमत ज्यादा हो जाती है।। इस साल भारत में दालों की बढ़ती मांग के चलते अंतरराष्ट्रीय बाजार में भी दालों के भाव में उम्मीद से ज्यादा उछाल आ गया है। कनाडा ने मसूर दाल के भाव पिछले साल की तुलना में दोगुने कर दिए हैं।
दालों कि खेती
- देश में दस राज्यों के किसान दालों की खेती करते हैं। इनमें सबसे अधिक उत्पादक राज्य महाराष्ट्र है।
- दालों के कुल उत्पादन में महाराष्ट्र की भागीदारी करीब पच्चीस फीसद है।
- इसके बाद कर्नाटक में 13.5 फीसद, राजस्थान में 13.2 फीसद, मध्यप्रदेश में दस फीसद और उत्तर प्रदेश में आठ फीसदी दालें उगाई जाती हैं।
- दालें मुख्य रूप से खरीफ की फसल हैं, जो वर्षा ऋतु में बोई जाती हैं।
इस ऋतु में कारीब सत्तर प्रतिशत दालों की पैदावार होती है।