"किसान ऋण पर नेशनल सेंपल सर्वे ऑर्गनाइजेशन (NSSO) की रिपोर्ट"

  •  कृषि कर्ज माफी योजनाओं के बावजूद किसान ऋण मुक्त नहीं हो सके। देश में आधे से अधिक किसान परिवार कर्जदार हैं और प्रत्येक कृषक परिवार पर औसतन 47,000 रुपये कर्ज बकाया है।
  • हाल यह है कि कर्ज के बोझ से दबे किसान परिवारों की संख्या कम होने के बजाय बढ़ रही है।

- उत्तर भारत की बात करें तो पंजाब में सर्वाधिक 53.2 फीसद किसान सबसे कर्जदार हैं। हालांकि अखिल भारतीय स्तर पर राज्यवार आंकड़ा कहीं ज्यादा है। हरियाणा में 42.3 फीसद और उत्तर प्रदेश में 43.8 फीसद किसान कर्जदार हैं।

नेशनल सेंपल सर्वे ऑर्गनाइजेशन (एनएसएसओ) की एक रिपोर्ट के अनुसार वर्ष 2013 तक देश में 9.02 करोड़ कृषक परिवारों में से 52 प्रतिशत कर्जदार थे जबकि 2003 में सिर्फ 48.6 प्रतिशत किसान ही कर्जदार थे।

एनएसएसओ की इस रिपोर्ट के नतीजे इसलिए भी चौंकाने वाले हैं क्योंकि 2008 में तत्कालीन यूपीए सरकार ने जोर-शोर से 52,000 करोड़ रुपये की कृषि कर्ज माफी का एलान कर दावा किया था कि इस योजना के बाद कर्ज में डूबे किसानों की संख्या में कमी आएगी।

लेकिन एनएसएसओ रिपोर्ट से इन दावों की पोल खुलती है। इससे यह भी साबित होता है कि कृषि कर्ज माफी योजनाएं स्थाई रूप से असरदार साबित नहीं हो रही हैं।

भारत में कृषक परिवारों की आय, व्यय, उत्पादक परिसंपत्तियां और ऋणग्रस्तता शीर्षक वाली एनएसएसओ की रिपोर्ट के नतीजों को अगर राज्यवार देखें तो आंध्र प्रदेश के किसान सबसे ज्यादा कर्जदार हैं। राज्य में 92.9 प्रतिशत किसान परिवारों पर कर्ज है।

इसके बाद तेलंगाना का नंबर आता है जहां 89.1 प्रतिशत किसान परिवार कर्जदार हैं। वहीं तमिलनाडु में 82.5 प्रतिशत कृषक परिवारों पर कर्ज है।

दूसरी ओर सबसे कम कर्जदार असम के किसान हैं जहां मात्र 17.5 प्रतिशत कृषक परिवार कर्जदार हैं। वहीं झारखंड में सिर्फ 28.9 प्रतिशत और छत्तीसगढ़ 37.2 प्रतिशत किसान ही कर्जदार हैं। रिपोर्ट के मुताबिक किसानों पर जितना कर्ज बकाया है उसमें से 60 प्रतिशत संस्थागत तथा 26 प्रतिशत साहूकारों से लिया गया।

=>मासिक आय मात्र 6,426 रुपये

सर्वे के मुताबिक आधे से अधिक किसान न सिर्फ कर्ज के बोझ में डूबे हैं बल्कि कृषक परिवारों की आय भी बहुत कम है। प्रत्येक कृषक परिवार की औसत मासिक आय मात्र 6,426 रुपये है। किसानों की 60 प्रतिशत आय कृषि से तथा 32 प्रतिशत मजदूरी से होती है। पंजाब, हरियाणा और केरल में प्रति किसान परिवार औसत मासिक आय सर्वाधिक है जबकि बिहार, पश्चिम बंगाल और झारखंड में सबसे कम है।

राज्यों में कर्जदार किसान

राज्य --- कर्जदार किसान-- प्रतिशत

  • उत्तर प्रदेश ---- 43.8
  • गुजरात --------- 42.6
  • बिहार ------- 42.5
  • पश्चिम बंगाल --- 51.5
  • पंजाब -------- 53.2
  • झारखंड --------- 28
  • आंध्र प्रदेश ----- 92.9
  • हरियाणा -------- 42.3
  • महाराष्ट्र -------- 57.3
  • केरल ---------- 77.7

 

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