- सड़क दुर्घटनाओं में हताहत होने वालों की बढ़ती संख्या हमारे सामने बेहद गंभीर रूप में खड़ी है
- विश्व स्वास्थ्य संगठन ने 2009 में सड़क सुरक्षा पर अपनी पहली वैश्विक स्थिति रिपोर्ट में सड़क दुर्घटनाओं की दुनियाभर में “सबसे बड़े कातिल” के रूप में पहचान की। रिपोर्ट में कहा गया है कि हर साल दुनियाभर में सड़क हादसों में 1.2 मिलियन लोगों की मृत्यु हो जाती है और 50 मिलियन लोग इससे प्रभावित होते है।
- ताजा आंकड़े: 2015 में 2014 के मुकाबले सड़क दुर्घटनाओं में मरने वालों की संख्या में 5 प्रतिशत की वृद्धि हुई है।
- 2014 में देश भर में 4.89 लाख सड़क दुर्घटनाएं हुई थीं, जो 2015 में 5 लाख के आंकड़े को भी पार कर गईं।
- बीते वर्ष सड़क दुर्घटनाओं में 1.46 लाख लोग मरे यानी हर दिन करीब चार सौ लोग।
- योजना आयोग के अनुसार सड़क दुर्घटनाओं के कारण हर साल हमें लगभग तीन फीसद जीडीपी का नुकसान होता है।
सड़क हादसों की वजह
- 78.7 फीसदी हादसे चालकों की लापरवाही के चलते होती हैं. इसकी वजहों में शराब व दूसरे नशीले पदार्थों के सेवन से लेकर अधिक माल लादना या ज्यादा सवारियां बैठाना शामिल है
- साथ ही, ज्यादा रफ्तार से गाड़ी चलाना और ड्राइवर का थका होना भी कारण हैं. ड्राइवरों की लापरवाही ही ऐसे हादसों की प्रमुख वजह है
सड़क सुरक्षा व कानूनी ढाँचा
- सड़क सुरक्षा के लिए एक व्यापक कानूनी ढांचे का अभाव है
- सड़क परिवहन पर नियंत्रण रखने के मोटर वाहन अधिनियम, 1988 को लागू किए भी 27 वर्ष पूरे हो चुके हैं व यह कानून आज की हकीकतों से परे है। एक नए कानूनी ढांचे की जरूरत को पहचानें की जरूरत है जो पिछले लगभग तीन दशक में सड़क परिवहन में आए अहम बदलावों को ध्यान में रखें
सड़क यातायात की ‘सुरक्षित प्रणाली’ के लिये आवश्यकता
इसके लिये सड़क अवसंरचना में वृद्धि, वाहनों में सुरक्षा प्रणाली विकसित करना, चालकों और सड़क का उपयोग करने वालों के व्यवहार में परिवर्तन लाना और आपातकालीन सेवाएं और दुर्घटना के बाद की सेवाएं उपलब्ध कराया जाना आवश्यक है। सड़क सुरक्षा में ये चार-ई शामिल हैं- शिक्षा, प्रवर्तन, अभियांत्रिकी, पर्यावरण और आपातकालीन सेवा।