- रडार से बच निकलने में सक्षम पहली स्वदेश निर्मित स्कॉर्पीन श्रेणी की पनडुब्बी
- स्कॉर्पीन अटैक सबमेरीन है। इसे एंटी सबमेरीन ऑपरेशन, बारूदी सुरंगों को बिछाने, खुफिया इनफार्मेशन तथा निगरानी जैसे कार्यों में इस्तेमाल किया जाएगा। इस पर इक्सोसेट मिसाइल तैनात हो सकती है।
- इस पनडुब्बी का ट्रायल प्रोजेक्ट-75 का हिस्सा है जिसके तहत अनुमानत: 2018 तक इस शृंखला की अन्य 6 सबमेरीन नेवी में शामिल की जानी हैंप्रोजेक्ट-75 सन् 1999 में मंजूर हुआ था।
- तकनीकी सहयोग : फ्रांस । इसके डिजाइन के लिए सन् 2005 में फ्रांस की डीसीएन को 3 अरब डॉलर राशि दी थी।
- सबसे बड़ी खासियत: सेफ्टी फीचर्स: यह इतनी शांत है कि दुश्मन जहाज़ के नीचे से भी अगर निकल जाए तो दुश्मन जहाज़ को इसके होने की भनक भी नहीं लगेगी। दुश्मन के सोनार और इसे 20 नॉटिकल यानी 35-40 किलोमीटर तक लोकेट नहीं किया जा सकेगा।
- इसकी लंबाई है 67 मीटर, चौड़ाई है 6.2 मीटर। कलवरी पानी में 350 मीटर की गहरायी तक जा सकती है। पानी में करीब 40 दिन तक रह सकती है। 20 नॉटिकल प्रति घंटा इसकी रफ़्तार है।
- पानी में 300 मीटर तक रह सकती है।
- इसमें 12 मिसाइलें रखी जा सकती हैं।
- 11 एसी से लैस है पनडुब्बी।
- इसमें 360 बैटरियां लगी हैं।
- कंप्यूटर के बिना भी कर सकेंगे नियंत्रण।
स्कॉर्पीन का इतिहास
दुनिया में सबसे पहले स्कॉर्पीन क्लास सबमेरीन फ्रांस की डीसीएन ने और स्पेन की नवांतिया कंपनी ने बनाई थी। टेक्नॉलोजी ट्रांसफर के मकसद से ही भारत ने विशेष तौर से फ्रांस से डिजाइन आदि कार्यों के लिए करार किया था।
प्रश्न : प्रोजेक्ट 75 क्या है? इस परियोजना का उद्देश्य लिखते हुए विस्तार से समझाइये।
प्रोजेक्ट 75 के तहत भारत अगली पीढ़ी के स्वदेशी पनडुब्बी का निर्माण कर रहा है.
★पनडुब्बी परियोजना के अनुसार 2028 तक 24 परंपरागत पनडुब्बी का निर्माण किया जाना है
† जिस गति से भारत के पड़ोसी अपने पनडुब्बी कार्यक्रम का उन्नयन कर रहे थे, उसी को ध्यान में रखते हुए भारत की सुरक्षा मामलों पर कैबिनेट समिति ने 1998 के आरंभ में देसी पनडुब्बी के निर्माण के लिए 30 साल तक की एक परियोजना को मंजूरी दी थी.
★परियोजना के अनुसार 2028 तक 24 परंपरागत पनडुब्बी का निर्माण किया जाना है. प्रोजेक्ट 75 इसी कार्यकम का हिस्सा है और इसके तहत छह स्कॉर्पीन पनडुब्बी का निर्माण किया जा रहा है.
★ ये सभी छह पनडुब्बियां मौजूदा सबसे उन्नत और स्टेट ऑफ द आर्ट तकनीक से लैस हैं. इनमें नवीनतम एंटीशिप लैंड अटैक मिसाइलें लगी हुए हैं जो सीधे वर्टिकल लांच की जा सकती हैं.
★ इनमें एयर इंडिपेंडेंट प्रोपल्शन (एआईपी) सिस्टम जैसी अत्याधुनिक प्रौद्योगिकी लगी हुई है जो यह सुनिश्चित करती है कि पनडुब्बी लंबे समय तक पानी के नीचे छिपी रहकर वार कर सके.
★इसका मतलब यह है कि यह नाभिकीय पनडुब्बी की तरह ही पानी के नीचे काफी वक्त तक बनी रह सकती है. यह बहुत कम आवाज भी करती हैं.
★ 'पनडुब्बी में भारतीय में निर्मित मिसाइलों को लगाने की तैयारी की जा रही है. ब्रह्मोस एयरोस्पेस जमीन से लंबी दूरी तक मार करने वाले मिसाइल का निर्माण कर रहे हैं.'
GS HINDI के विचार
† भारत के 'प्रोजेक्ट 75' का हाल हालांकि उतना अच्छा नहीं है. यह परियोजना अपने तय समय से पीछे चल रही है.
- वर्तमान में समस्या रणनीतिक साझीदारों की पहचान करने की है. डिफेन्स प्रोक्योरमेंट पॉलिसी के तहत सामरिक साझीदारों के चयन के बाद भी इसे डिफेंस एक्विजिशन काउंसिल (डीएसी) और रक्षा मामलों की स्थायी संसदीय समिति (सीसीएस) से मंजूरी लेनी होगी.
★भारतीय नौसेना फिलहाल 13 परंपरागत और पुरानी हो चुकी पनडुब्बियों के सहारे अपना काम चला रही है जिनमें दस 1990 से पहले के बैच की हैं. इसके अलावा एक नाभिकीय ऊर्जा चालित एसएसएन अकुला चक्र-2 पनडुब्बी है जो रूस से किराये पर ली गई है।