ट्रैफिक जाम की वजह से हर साल होते हैं देश के हज़ारों करोड़ रुपये बर्बाद (संदर्भ : गुडगाँव जाम)

★ हमें एक और बात पर गौर करना चाहिए कि ट्रैफिक जाम में सिर्फ समय की ही बर्बादी नहीं होती है, बल्कि ट्रैफिक जाम के फ्रस्टरेशन से लोगों को गुस्सा आता है, जिसके बाद रोडरेज की घटनाएं बढ़ती हैं। ट्रैफिक जाम से लोगों का मूड और सेहत दोनों खराब होते हैं। बहुत सारे लोग ये नहीं जानते होंगे, कि ट्रैफिक जाम की वजह से देश के हज़ारों करोड़ रुपये भी बर्बाद हो जाते हैं। कैसे ...??

-IIM कोलकाता की एक स्टडी के मुताबिक देशभर में ट्रैफिक जाम से सालाना 60 हज़ार करोड़ रुपये का नुकसान होता है। 
-यानी एक दिन में देश 164 करोड़ रुपये से ज्यादा का नुकसान ट्रैफिक जाम की वजह से झेलता है। 
-जबकि प्रति वर्ष 47 हज़ार करोड़ रुपये का नुकसान इसलिए होता है क्योंकि ट्रकों से ले जाया जाने वाला सामान, वक्त पर अपनी मंजिल तक नहीं पहुंच पाता है। यानी समय से डेलीवर नहीं हो पाता।
-IBM के एक सर्वे में 57% लोगों ने माना कि ट्रैफिक जाम की वजह से उनकी सेहत खराब हुई है। 

-IBM की ही एक स्टडी बताती है कि सड़कों पर ट्रैफिक जाम में फंसने के बाद एक व्यक्ति की 40 प्रतिशत productivity यानी उत्पादकता खत्म  हो जाती है। यानी जाम में फंसने का असर आपके काम पर भी पड़ रहा है।

-देश की GDP विकास दर इस समय 7.6 फीसदी है। लेकिन अगर ट्रैफिक जाम से निजात मिल जाए तो ये विकास दर अपने आप बढ़ सकती है। ट्रैफिक जाम से आजादी मिलने से हर साल देश के 60 हज़ार करोड़ रुपये बचेंगे।
-इतनी रकम से देश में 2 करोड़ टॉयलेट बन सकते हैं। एक टॉयलेट पर मोदी सरकार ने 30 हज़ार रुपये का बजट रखा है।

-60 हज़ार करोड़ रुपये से देश में 200 बेड वाले 300 अस्पताल बन सकते हैं।
-60 हज़ार करोड़ रुपये से डेढ़ साल तक MNREGA का खर्च चलाया जा सकता है।
-60 हज़ार करोड़ रुपये से स्वच्छ भारत अभियान को 6 साल तक चलाया जा सकता है।
-2016-17 में सड़कों के लिए सरकार ने 27 हज़ार करोड़ रुपये जारी किये हैं। उस हिसाब से देखा जाए तो 60 हज़ार करोड़ रुपये से देश में सड़कों के निर्माण को दोगुनी रफ्तार दी जा सकती है। 
-2016-17 में कृषि और किसानों की बेहतरी के लिए सरकार ने 35 हजार 984 करोड़ रुपये जारी किये। ऐसे में 60 हजार करोड़ रुपये की रकम डेढ़ साल तक किसानों की मदद कर सकती है।

=>अब आपको बताते हैं कि ट्रैफिक jam कैसे आपकी जेब पर असर डाल रहा है? 

-दिल्ली में पेट्रोल के दाम 62 रुपये 51 पैसे प्रति लीटर हैं, अगर एक कार का माइलेज 15 किलोमीटर पर लीटर का है और उसे 20 किलोमीटर की दूरी तय करनी है, तो आपको 83 रुपये खर्च करने पड़ेंगे। 
-ट्रैफिक जाम की स्थिति में 20% ज्यादा ईंधन खर्च होता है। इसलिए ट्रैफिक जाम के हालात में यही 20 किलोमीटर की दूरी तय करने में आपको 101 रुपये खर्च करने पड़ जाएंगे। और अगर आप एक हफ्ते में 6 दिन जाम में फंसते हैं, तो आप 108 रुपये ज्यादा खर्च कर रहे हैं। और इस तरह से एक महीने में आप 2,592 रुपये का ईंधन ज्यादा खर्च करते हैं। और एक साल की बात करें तो जाम में फंसकर दफ्तर जाने वाला एक आम आदमी एक वर्ष में 31 हज़ार 104 रुपये ज्यादा खर्च कर रहा है।

-दिल्ली और NCR में जाम से सबसे ज्यादा बुरा हाल है। दिल्ली में पीक ऑवर्स में किसी वाहन की औसत रफ़्तार 5 किलोमीटर प्रति घंटे है। ये साइकिल की रफ्तार से भी कम है।
-यही नहीं दिल्ली में हर रोज़ 40 हज़ार लीटर ईंधन ट्रैफिक जाम की वजह से बर्बाद हो जाता है। 
-ट्रैफिक जाम की वजह से दिल्ली में रोज़ 1 लाख 15 हज़ार किलो से ज्यादा कार्बन डाइ ऑक्साइड भी बनती है। यानी Jam हमारे शहरों को बीमार भी बना रहा है। 

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