उद्योगों के सामने मुश्किल राह: Lockdownn के बाद क्या

CONTEXT

विनिर्माण संयंत्रों में परिचालन शुरू होने के एक सप्ताह बाद भारतीय उद्योग जगत के सामने अब नई चुनौतियां खड़ी हो गई हैं। सरकार वैसे 17 मई से लॉकडाउन में और ढील देने की घोषणा कर चुकी हैं और इसके साथ ही कंपनियां भी उत्पादन क्षमताएं बढ़ाने के लिए तैयार हैं, लेकिन आगे की राह इतनी आसान भी नहीं लग रही है। कंपनियों का कहना है कि प्रवासी मजदूरों के पलायन करने और मांग सुस्त होने के साथ ही उन्हें कच्चे माल की कमी और आपूर्ति व्यवस्था पर कड़े प्रतिबंध जैसी भयंकर चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है।

  • कामगारों की संख्या सबसे बड़ी चुनौती साबित हो रही है। देश भर में जिंदल स्टील के संयंत्र 40 प्रतिशत क्षमता के साथ काम कर रहे हैं। कंपनी उत्पादन लागत कम करने के लिए क्षमता बढ़ाकर 60-70 प्रतिशत तक करना चाहती है, लेकिन ग्राहकों से किसी तरह की मांग नहीं है, जिससे कंपनी आगे बढऩे में दिक्कत महसूस कर रही है। कंपनी के प्रबंध निदेशक अभ्युदय जिंदल ने कहा कि इसके खरीदारों में बर्तन विनिर्माता, फैब्रिकेटर्स और पाइप विनिर्माता शामिल हैं, लेकिन उनके पास काम करने के लिए मानव संसाधन मौजूद नहीं हैं। जिंदल ने कहा,'हमारे ग्राहक कामगारों की समस्या के कारण उत्पादन नहीं बढ़ा पा रहे हैं, जिससे स्टेनलेस स्टील की मांगा काफी कम हो गई हैं।'
  • वाहन क्षेत्र के साथ भी कमोबेश ऐसी ही चुनौती है। निप्पॉन पेंट्स इंडिया ने कहा कि सीमित क्षमता के साथ काम करने के लिए भी उन्हें श्रमिक नहीं मिल रहे हैं। कंपनी में अध्यक्ष-ऑटोमोटिव रीफिनिशेस ऐंड वुड कोटिंग्स - शरद मल्होत्रा कहते हैं,'एक पाली में 25 प्रतिशत कामगारों के साथ काम करना भी मुहाल नहीं हो पा रहा है। अगर अचानक बड़े कारोबारी ऑर्डर आ जाएं तो कामगारों की किल्लत के बीच हम कैसे काम कर पाएंगे।'
  • पारेषण क्षेत्र की बड़ी कंपनी केईसी इंटरनैशनल ने कहा कि देश भर में अनुबंध पर काम करने वाले श्रमिकों की संख्या 30,000 से कम होकर मात्र 15,000 रह गई है। हालांकि कंपनी को लगता है कि अब धीरे-धीरे रेल सेवा की शुरुआत के बाद कामगार वापस आने पर विचार करेंगे।
  • कुछ कंपनियां मजदूरों की कमी से निपटने के लिए स्वचालन जैसे विकल्पों पर गौर कर रही हैं। पारले प्रॉडक्ट्स में प्रमुख-सीनियर कैटेगरी- मयंक शाह ने कहा, 'जिन गतिविधियों जैसे पकैजिंग, माल चढ़ाने एवं माल उतारने आदि में मानव श्रम की अधिम जरूरत होती है, उनमें हम रोबोट का इस्तेमाल करने पर विचार कर रहे हैं। सरकार के दिशानिर्देशों का पालन करने के लिए हम इस समय केवल 50 प्रतिशत क्षमता के साथ कर रहे हैं।' आपूर्ति तंत्र बिगडऩे से भी कंपनियों को उत्पादन को रफ्तार देने में दिक्कतें पेश आ रही हैं। सोना कॉमस्टार के चेयरमैन संजय कुमार ने कहा कि सरकार ने श्रमिकों से जुड़े नियम भी कड़े कर दिए हैं। कुमार ने कहा कि जिन लोगों की उम्र 55 वर्ष से अधिक है और 10 वर्ष से कम उम्र के बच्चों के साथ रहते हैं, सरकार ने उनके फैक्टरियों में काम पर आने पर कड़ी पाबंदी लगा रखी है। लावा मोबाइल ने कहा कि नोएडा में उसके संयंत्र में स्थानीय प्रशासन ने कामगारों की सीमा तय कर रखी है इस वजह से हम रोजाना 1,500 मोबाइल फोन का ही उत्पादन कर पाएंगे।

लावा मोबाइल के निदेशक हरि ओम राय ने कहा, 'हम उत्पादन क्षमता 50 प्रतिशत तक बढ़ाने के लिए तैयार हैं, लेकिन इसके लिए हमें अधिक कामगारों को लाना होगा और उसके लिए प्रशासन की मंजूरी लेनी होगी। इस समय हम अपने 600 कर्मचारियों के साथ दो पालियों में काम कर रहे हैं।' बजाज ऑटो ने चाकंद और औरंगाबाद में अपने संयंत्रों में परिचालन शुरू किया है। कंपनी के कार्यकारी निदेशक राकेश शर्मा ने कहा, 'अगर लंबी आपूर्ति व्यवस्था की एक छोटी कड़ी भी हिलती है तो इसका असर उत्पादन पर होता है।' देश के बड़े परिधान निर्यातकों में गोकलदास के प्रबंध निदेशक शिवरामकृष्ण ने कहा, 'पहले भी हम ताइवान में अपने आपूर्तिकर्ताओं को भारत में कच्चे माल का संयंत्र लगाने के लिए कह चुके हैं। लॉकडाउन के बाद इस पर गंभीर चर्चा नहीं हो पाई, लेकिन अब बात आगे बढऩे की उम्मीद है।'

 

 

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