★जून 2011 में देवास मल्टीमीडिया ने इंटरनेशनल ट्रिब्यूनल में केस फाइल किया और मुआवजा मांगा।
★हेग (नीदरलैंड). देवास मल्टीमीडिया दो सैटेलाइट्स वाली डील कैंसल करने का केस भारत से जीत गया है। हेग इंटरनेशनल ट्रिब्यूनल ने भारत के खिलाफ फैसला सुनाया।
★बता दें कि जून 2011 में देवास मल्टीमीडिया ने इंटरनेशनल कोर्ट में केस फाइल कर मुआवजा की मांग की थी। इससे सरकार को 67 अरब रुपए ( 1 बिलियन डॉलर) का नुकसान हो सकता है।
=>क्या है ये मामला...
- इसरो के तहत काम करने वाली एंट्रिक्स ने देवास मल्टीमीडिया के साथ जनवरी 2005 में डील की थी।
- डील के तहत 2 सैटेलाइट बनाने, लॉन्च करने और ऑपरेट करने थे। इन सैटेलाइट्स पर स्पेक्ट्रम कैपेसिटी को लीज पर देना था।
- फरवरी 2011 में एंट्रिक्स ने फैसला किया कि वह डील खत्म कर देगा। ऐसा इसलिए क्योंकि उसे सैटेलाइट लॉन्च और ऑपरेट करने के लिए ऑर्बिट में स्लॉट और फ्रिक्वेंसी नहीं मिल पा रही थी।
- कैबिनेट की कमेटी ने इसरो की यूनिट एंट्रिक्स के इस फैसले को मंजूरी दी।
- जून 2011 में देवास मल्टीमीडिया ने इंटरनेशनल ट्रिब्यूनल में केस फाइल किया और मुआवजा मांगा।
- बता दें कि देवास मल्टीमीडिया बेंगलुरू की टेलीकॉम कंपनी है।
=>क्या आरोप लगाए हैं देवास ने?
- देवास ने एंट्रिक्स पर आरोप लगाया कि उसने सैटेलाइट और स्पेक्ट्रम के अलॉटमेंट करने से पहले बोली नहीं लगाई थी।
- बता दें कि देवास इन सैटेलाइट और स्पेक्ट्रम के जरिए देशभर में सस्ते मोबाइल फोनों पर ब्रॉडबैंड सर्विस देने वाली थी।
- एंट्रिक्स इस बात पर भी सहमत हो गया था कि इसके लिए आवश्यक सैटेलाइन को इसरो ही बनाया गया।
- देवास को इसके लिए 12 साल के भीतर 600 करोड़ रुपये का भुगतान करना था।
★ देवास मल्टीमीडिया बेंगलुरू की टेलीकॉम कंपनी है।