एन के सिंह समिति ने राजकोषीय स्थिति को मजबूत बनाने संबंधी अपनी रपट में सरकार को इस दिशा में नरम रख अपनाने का सुझाव दिया है ताकि विकास पर खर्च करने की सरकारी की शक्ति पर ज्यादा अंकुश न लगे।
Background:
सरकार ने मई, 2016 में पूर्व राजस्व और व्यय सचिव और सांसद श्री एन. के. सिंह की अध्यक्षता में राजकोषीय उत्तरदायित्व और बजट प्रबंधन (एफआरबीएम) अधिनियम की समीक्षा के लिए इस समिति का गठन किया था। इस समिति के अन्य सदस्य भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) के गवर्नर डॉ. उर्जित आर. पटेल, पूर्व वित्त सचिव श्री सुमित बोस, मुख्य आर्थिक सलाहकार डॉ. अरविंद सुब्रमण्यम और नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ पब्लिक फाइनेंस एंड पॉलिसी (एनआईपीएफपी) के निदेशक डॉ. रथिन राय हैं।
Some points to remember:
राजकोषीय घाटा सरकार के कुल खर्च और उसके राजस्व :जिसमें कर्ज से प्राप्त धन शामिल नहीं होता: के बीच का अंतर है जबकि प्रथमिक घाटा राजकोषीय धाटे का हिस्सा होता हैर और यह राजकोषीय घाटे और सरकार द्वारा कर्जदारों को चुकाएं गए ब्याज के बीच अंतर के बराबर होता है।