सरकार द्वारा बुनियादी संरचना में निवेश बढ़ाने के पुरजोर प्रयास किये जा रहे हैं। सरकार द्वारा इन्फ्रास्ट्रक्चर में निवेश के लिए नेशनल इनवेस्टमेंट एवं इन्फ्रास्ट्रक्चर फंड स्थापित किया गया है। यूनाइटेड अरब अमीरात ने इस इन्फ्रास्ट्रक्चर फन्ड में निवेश करना स्वीकार किया है।
- सरकार ने भारत के इन्फ्रास्ट्रक्चर में निवेश के रास्ते में आ रही बाधाओं को मिलकर दूर करने का प्रयास करने का भरोसा कई देशों को दिया है, जिससे अन्य देशों की कम्पनियां भारत में निवेश करें।
=>विश्लेषण :-
- इन प्रयासों की सफलता इस बात पर निर्भर करेगी कि भारतीय इन्फ्रास्ट्रक्चर में निवेश करना निवेशकों के लिये लाभकारी है या नहीं। निवेशक लाभ कमाने को निवेश करते हैं।
- भारत की इन्फ्रास्ट्रक्चर कम्पनियों का रिकार्ड अच्छा नहीं है। भारतीय बैंकों द्वारा इन्हें दिये गये तमाम कर्जे खटाई में पड़ गये हैं।
- ऐसे में भारतीय इन्फ्रास्ट्रक्चर में निवेश करने का उत्साह नहीं बनता, जैसे घाटे में चल रही कम्पनी में निवेश नहीं किया जाता है। जरूरी है कि इन्फ्रास्ट्रक्चर कम्पनियों के घाटे में जाने के कारणों को दूर किया जाये।
1. इन्फ्रास्ट्रक्चर के घाटे में जाने का मूल कारण मांग में कमी है। जैसे हाईवे पर ट्रकों की संख्या कम हो तो टोल की पर्याप्त वसूली नहीं होती है। अथवा बिजली की मांग कम हो तो दाम गिर जाता है।
- मेट्रो में यात्रियों की संख्या कम हो तो आय कम होती है। ऐसे में इन्फ्रास्ट्रक्चर में निवेश घाटे का सौदा हो जाता है।
2. इस समस्या का दूसरा कारण है कि इन्फ्रास्ट्रक्चर महंगा है। जैसे हाईवे पर टोल रेट कम हो तो यात्री कार से यात्रा करेगा। टोल रेट ज्यादा हो तो वह ट्रेन से यात्रा करेगा। अथवा मेट्रो का किराया कम हो तो यात्री मेट्रो से सफर करेगा। किराया ज्यादा हो तो वह बस से सफर करेगा। अथवा बिजली का दाम कम हो तो उपभोक्ता एयर कन्डीशनर लगायेगा। बिजली का दाम ज्यादा हो तो वह डेजर्ट कूलर लगायेगा और बिजली की खपत कम करेगा।
3. इन्फ्रास्ट्रक्चर के महंगा होने का कारण इस क्षेत्र में व्याप्त अकुशलता है। इन योजनाओं का कुशल कार्यान्वयन किया जाये तो मूल्य कम हो जायेंगे और डिमान्ड स्वयं ही उत्पन्न हो जायेगी, साथ ही निवेश भी सफल होगा। जैसे दुकानदार द्वारा माल सस्ता उपलब्ध कराया जाये तो कस्टमर लाइन लगाकर खरीदता है और निवेशक दिल से निवेश करते हैं।