डॉलर के मुकाबले भारतीय रुपये ने डॉलर के मुकाबले रिकॉर्ड लो स्तर छुआ। रुपये का यह स्तर 28 अगस्त 2013 के बाद से अबतक का सबसे निचला स्तर है। भारतीय मुद्रा में आई इस गिरावट की मुख्य वजह तमाम मुद्राओं के मुकाबले डॉलर इंडेक्स में आई तेजी मानी जा रही है।
भारतीय रुपए की गिरावट के पीछे पांच बड़े कारण:
1.यूएस बॉण्ड यील्ड में इजाफा:
एक नवंबर 2016 से अबतक भारत की 10 वर्षीय बॉण्ड यील्ड में 60 बेसिस प्वाइंट की गिरावट आ चुकी है। हालांकि यूएस की 10 वर्षीय बॉण्ड यील्ड बढ़कर 2.35 फीसदी हो गई है, जो कि 1 नवंबर से पहले 1.82 फीसदी थी। इस वजह से ही विदेशी पोर्टफोलियो निवेशक भारतीय शेयर बाजार से पैसों की तेज निकासी कर रहे हैं।
एक अक्टूबर से 23 नवंबर तक विदेशी पोर्टफोलियो निवेशक भारतीय शेयर बाजार से 16,936.20 करोड़ के शेयर्स ऑफलोड कर चुके हैं।
2. डॉलर की मजबूती:
डॉलर इंडेक्स ने 13 वर्ष का उच्चतम स्तर छुआ, जो अमेरिकी अर्थव्यवस्था की अच्छी हालत का संकेत दे रही है। डॉलर इंडेक्स में आई तेजी के कारण तमाम मुद्राएं कमजोर हो रही हैं जिनमें रुपया, इंडोनेशियन रुपिया आदि शामिल हैं।
3.एफसीएनआर रीडेम्प्शन:
वर्ष 2013 सितंबर में रुपए में भारी कमजोर आई थी। रुपए को सहारा देने के लिए आरबीआई ने एफसीएनआर विंडो खोली ताकि देश में डॉलर आ सके। इस विंडो के जरिए अबतक 29 बिलियन डॉलर जुटा लिए गए हैं। इसकी मियाद अब पूरी होने वाली है। इसलिए रुपए पर इसका दबाव बढ़ रहा है।
4. सिस्टम में liquidty
एडलवाइसेस के मुताबिक देश में नोटबंदी के बाद से लोगों के हाथ में नकदी घट गई है। इस वजह से इंटर बैंक लिक्विडीटी बढ़ गई है। मौजूदा आंकड़ों के मुताबिक बैंकों के पास 6 लाख करोड़ रुपए की जमा राशि इकट्ठा हो गई है। आरबीआई ने बताया कि उसके पास बैंकों की तरफ से जो भारी मात्रा में नकदी आई है उस पर उसे बैंकों को ब्याज देना होगा, जो करीब 80,000 करोड़ प्रतिदिन के स्तर पर पहुंच गया है।
5. US FED रेट में बढ़ोतरी:
बाजार विश्लेषकों के अनुसार दिसंबर के महीने तक फेड रिजर्व बैंक ब्याज दरों में बढोतरी कर सकता है। ब्याज दरों में इजाफे की संभावना से फंड मैनेजरों को प्रोत्साहन मिलेगा, जिन्हें 0 फीसदी ब्याज दर पर पैसा मिला हुआ है, वो मुनाफा कमाने के लिए भारत जैसे उभरते बाजारों का रुख करेंगे।