#Rajasthan Patrika
आज भारतीय शहर की सरकारें अपने नागरिकों को सुविधाएं प्रदान करने के लिए कई लोककल्याणकारी योजनाओं का संचालन कर रही हैं। इन योजनाओं का असर इन शहरों की जीवनशैली पर दिखाई पड़ रहा है। शहर सुविधाओं के मामले में अंतरराष्ट्रीय मापदण्डों के अनुकूल होने को प्रयासरत हैं। क्या ये इसमें सफल होंगे..?
Ø राजस्थान के सुप्त पड़े शहर झुंझुनूं के नगर निकाय ने राजस्व संग्रहण और संसाधनों के प्रबंधन के क्षेत्र में शानदार प्रदर्शन किया है। 1,18,473 की आबादी वाले इस निकाय ने क्रेडिट रेटिंग में सराहनीय सुधार दर्ज किया। इस वर्ष मार्च में इसकी क्रेडिट रेटिंग ‘ए’ दर्ज की गई, जो कि निवेश ग्रेड बीबीबी से पांच अंक अधिक है।
Ø आंध्र प्रदेश के कर्नूल, कर्नाटक के बेलागवी, उड़ीसा के कटक और झारखंड के रांची इस रेटिंग में केवल निवेश ग्रेड बीबीबी का स्तर ही छू पाए। करीब बीस शहर ऐसे हैं जो आधारभूत विकास के लिए संसाधन जुटाने की प्रक्रिया में तेजी लाने के लिए गत दो वर्षों में लांच किए गए शहरी मिशन के तहत म्युनिसिपल बॉन्ड जारी करने की तैयारी कर रहे हैं। जाहिर है देश में शहरी विकास को दिशा मिली है।
Ø शहरी विकास के कुछ और प्रमाण भी उल्लेखनीय हैं। असम में डिब्रूगढ़, बिहार में बेगूसराय, छत्तीसगढ़ में अम्बिकापुर और उत्तर प्रदेश में बहराइच सहित देश भर के पांच सौ शहर ऐसे हैं जो अब पांच साल की योजनाओं पर अमल कर रहे हैं। इससे शहरों का आधारभूत ढांचा मजबूत होगा जैसे कि हर घर में नल होंगे, 135 लीटर प्रति व्यक्ति प्रतिदिन के हिसाब से पेयजल आपूर्ति की जाएगी। साथ ही सीवरेज और ड्रेनेज नेटवर्क का विस्तार किया जाएगा।
अटल मिशन फॉर रेजुवेनेशन एंड अर्बन ट्रांसफॉर्मेशन
Ø अटल मिशन फॉर रेजुवेनेशन एंड अर्बन ट्रांसफॉर्मेशन (अमृत) के तहत गैर यांत्रिक परिवहन और जनता के लिए जगह उपलब्ध करवाना शामिल है। अटल मिशन के तहत 78,000 करोड़ रुपए का परियोजनात्मक निवेश किया जा रहा है। इसमें 37,000 करोड़ रुपए की केंद्रीय सहायता शामिल है। शहरी विकास एवं शिक्षा को नए आयाम देते हुए 60 शहर ऐसे हैं जो पंचवर्षीय स्मार्ट सिटी योजना का कड़ाई से पालन कर रहे हैं।
Ø इसके लिए दो हजार करोड़ रुपए प्रति शहर का निवेश किया गया है। एक नए फीचर के तहत इन स्मार्ट सिटी योजनाओं का क्रियान्वयन कम्पनी अधिनियम-2013 के तहत विशेष माध्यमों द्वारा किया जा रहा है ताकि त्वरित निर्णय लेकर इन परियोजनाओं का समय पर क्रियान्वयन किया जा सके।
Smart City:
जिन साठ शहरों को स्मार्ट सिटी वित्तीय सहायता के लिए चुना गया है, उनमें प्रस्तावित निवेश की राशि 1,33,680 करोड़ रुपए है। इसके लिए 30,000 करोड़ रुपए की केंद्रीय सहायता उपलब्ध करवाई जा रही है। अमृत और चयनित स्मार्ट सिटी परियोजना का लाभ देश की सत्तर फीसदी शहरी आबादी को मिलने की उम्मीद है। दोनों ही परियोजनाएं पूर्णत: व्यवस्थित और व्यापक आधारभूत विकास कार्य योजना के साथ कुशलतापूर्वक चलाई जा रही हैं।
HRIDAY:
देश की समृद्ध सांस्कृतिक धरोहर हमारी विरासत है और हमें इसे सहेज कर जीवंत रखना है। विरासत के विकास और उत्थान योजना ‘हृदय’ के तहत विरासत को सहेजने संबंधी व्यवस्था की जा रही है। इसका उद्देश्य धरोहरों का सही प्रस्तुतिकरण करना और पर्यटकों की आवक बढ़ाना है। दो वर्ष की अल्प अवधि में ही 2500 से ज्यादा शहरों व कस्बों में शहरी गरीबों के लिए 18.75 लाख अफोर्डेबल हाउस के निर्माण की मंजूरी मिल चुकी है। इसके लिए एक लाख करोड़ रुपए का निवेश किया गया है।
Swachchh Rating:
Ø प्रतियोगिता के कई चरणों के बाद 98 शहरों व कस्बों का चयन स्मार्ट सिटी के लिए किया गया है। इसी भावना का नतीजा है कि स्वच्छ भारत अभियान के तहत 66 लाख शौचालय बनाने का लक्ष्य था, उनमें से तैंतीस लाख से अधिक घरों में शौचालय बनाए जा चुके हैं।
Ø आज शहरों के बीच स्वच्छता की दौड़ में आगे निकल जाने की होड़ मची है। देश के छह सौ से अधिक शहरों व कस्बों ने स्वयं को स्वच्छ घोषित किया है और सत्यापन करने पर ये दावे सही पाए गए हैं। हाल ही किए गए स्वच्छता सर्वेक्षण में मध्य प्रदेश का इंदौर शहर, कर्नाटक के मैसूर को पछाड़ कर अव्वल रहा और उसे देश के सबसे स्वच्छ शहर का खिताब मिला।
Ø जबकि मैसूर सफाई के स्तर को बनाए रखने में कामयाब रहा। नए शहरी भारत की दिशा में आगे बढ़ते हुए झारखंड और छत्तीसगढ़ ने भी ताजा स्वच्छता रेटिंग में बाजी मारी है। शहरी विकास की बदलती अवधारणा को फलीभूत करने के प्रयास निचले स्तर से शुरू किए गए है न कि ऊपर से नीचे की ओर। राज्य, केंद्र शासित प्रदेश और शहर; सभी मिल कर पिछले दो सालों में लांंच किए गए नए शहरी मिशन के दिशा निर्देशों का पालन करते हुए नए शहरों के प्रस्तावित स्वरूप को पाने की कोशिश में लगे हैं।
Ø स्मार्ट सिटी परियोजना में करीब ढाई करोड़ लोगों ने भाग लिया और अपनी प्राथमिकताओं और सुझावों से अवगत करवाया। इस टीम भावना का नतीजा है कि अल्पावधि में ही शहरी ढांचागत सुधार के लिए 4.50 लाख करोड़ रुपए के निवेश की मंजूरी मिल चुकी है। आर्थिक विकास का पहला इंजन होने के नाते शहरों को व्यापार में सुगमता होनी चाहिए। खास तौर पर निर्माण की अनुमति और मंजूरी के संबंध में सुधार जरूरी है।
दिल्ली और मुंबई ने इस संदर्भ में ऑनलाइन आवेदन की प्रक्रिया अपनाई है। इसके लिए केवल एक ही आवेदन पत्र भरा जाता है। इससे वह समय बच सकेगा जो अलग-अलग मंजूरी में लगता था। भारतीय शहर अब आलस छोड़ विकास की अंगड़ाई ले रहे हैं। शुरुआत अच्छी है। इसके बाद एकीकरण से शहरी जीवन में बदलाव आएगा। अगला कदम शहरों में जीवन की रहने योग्य सुविधा संबंधी सूचकांक तैयार करना है, जो शीघ्र सामने आएगा।