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Monsoon Session and effectiveness
संसदीय कार्यों के लिहाज से मानसूत्र सत्र (Monsoon Session) सत्र ज्यादा प्रभावी नहीं रहा। 15वीं लोकसभा के कार्यकाल में हुए पिछले सत्रों की तुलना में देखें, तो इस अधिवेशन का काफी कम उत्पादक इस्तेमाल हुआ। लोकसभा में कुल तय समय का 67 प्रतिशत और राज्यसभा में 72 प्रतिशत का ही इस्तेमाल किया गया। जाहिर है, दोनों सदनों में काफी समय अवरोधों के चलते बर्बाद हुआ। दिवंगत हुए सदस्यों (विनोद खन्न्ा और सांवर लाल जाट) को श्रद्धांजलि देने के बाद कार्यवाही के स्थगन से भी संसदीय समय का पूर्ण उपयोग संभव नहीं हो सका।
Looking at legislation
विधायी कार्यों के लिहाज से देखें, तो मानसून अधिवेशन (Monsoon Session) शुरू होने के पहले 34 विधेयक विचार एवं पारित कराने के लिए सूचीबद्ध किए गए थे। लेकिन उनमें से 9 विधेयक ही पारित हुए। यानी 26.4 प्रतिशत विधायी कार्य ही निपटाए जा सके। 2014 में एनडीए के सत्ता में आने के बाद से आम अनुभव संसदीय समय के बेहतर उपयोग का रहा है। कुछ सत्रों में तो लोकसभा में उससे अधिक कार्य संपन्न् हुए, जितना आरंभ में सूचीबद्ध किया गया था। ऐसे में सत्ता पक्ष के लिए यह गंभीर विश्लेषण का विषय है कि इस बार ये रुझान क्यों पलट गया?
Role of opposition
हाल के विधानसभा एवं अन्य चुनावों में लगातार पराजय से विपक्ष का मनोबल गिरा है। इसका असर संसद के बजट सत्र में दिखा था, जब विपक्षी सांसद हंगामे का तरीका छोड़ते नजर आए। लेकिन मानसून सत्र के रिकॉर्ड से साफ है कि इस बार विपक्ष फिर से अपने पुराने तौर-तरीकों पर लौट आया। इसके परिणामस्वरूप एक मौके पर लोकसभा अध्यक्ष को कांग्रेस के पांच सदस्यों को निलंबित करना पड़ा। संसद में ऐसी घटनाएं हालिया प्रवृत्ति ही हैं। फिर इस अधिवेशन में कार्यवाही के दौरान पर्याप्त संख्या में सदस्यों के उपस्थित ना रहने की समस्या फिर सामने आई। आगे ऐसा ना हो, इसे सुनिश्चित करने के लिए दोनों पक्षों को अविलंब प्रयास करने चाहिए।
Some Positives
बहरहाल, मानसून सत्र में राष्ट्रीय महत्व के अनेक मुद्दों पर सार्थक चर्चा भी हुई। कृषि संकट, किसान आत्महत्या, बाढ़, भीड़ की हिंसा, दलितों पर अत्याचार और एनडीए सरकार की विदेश नीति जैसे अहम मुद्दों पर दोनों सदनों को मिलाकर तकरीबन 55 घंटों तक बहस हुई। इसके अलावा ‘भारत छोड़ो आंदोलन की 75वीं सालगिरह पर दोनों सदनों ने प्रश्नकाल स्थगित कर चर्चा की। इस अवसर पर दोनों सदनों ने अलग-अलग प्रस्ताव पास कर एक बेहतर भारत के निर्माण का संकल्प लिया। ये संकल्प सभी दलों और सांसदों को याद रहे, तो भविष्य में वे संसदीय समय की कीमत बेहतर ढंग से समझ पाएंगे
GS PAPER II : Parliament
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