- भारत मत्स्य-उत्पादो के निर्यात मे 14.8 प्रतिशत की औसत वार्षिक विकास दर के साथ विश्व में प्रथम स्थान पर रहा
- नीली क्रांति” का मकसद मछली उत्पादन बढ़ाना और 8 प्रतिशत की दर से सालाना उत्पादन हासिल कर 2020 तक 15 मिलियन टन का आंकड़ा छूना
- देश में मात्स्यिकी और जल कृषि में हुई तेज प्रगति से मछली पालकों और किसानों की आमदनी लगातार बढ़ रही है और आने वाले दिनों में यह बड़े पैमाने पर मछली पालकों और किसानों को आर्थिक लाभ पहुंचाएगा।
- मछली पालन से फ़ायदे
- मत्स्य किसानों की आय मे बढ़ोत्तरी
- देश के निर्यात तथा GDP मे अधिक प्रगति
- देश मे पोषण तथा खाद्य-सुरक्षा की सुनिश्चितता।
मछली उत्पादन में भारत:
- विश्व में चीन के बाद लगातार दूसरे नंबर पर बना हुआ है। देश में मात्स्यिकी एक बड़ा सेक्टर है और लगभग 150 लाख लोग मत्स्य व्यवसाय से जुड़े हुये हैं। श्रीम्प (झींगा) मछली मे भारत विश्व मे प्रथम स्थान रखता है और यह झींगा का सबसे बड़ा निर्यातक (exporter) है
- सभी मत्स्य उत्पादन मिलाकर, वर्ष 2015-16 में देश मे अनुमानित 10.8 मिलियन टन मछली उत्पादन हुआ, जो कि विश्व के कुल मछली उत्पादन का लगभग 6.4 प्रतिशत है।
- भारत जल कृषि से मछली उत्पादन करने वाला दूसरा सबसे बड़ा उत्पादक (42.10 लाख टन) देश है।
- वैश्विक जलकृषि उत्पादन में यह लगभग 6.3 प्रतिशत का योगदान करता है।
- पिछ्ले एक दशक मे जहाँ विश्व में मछ्ली एवं मत्स्य-उत्पादो के निर्यात की औसत वार्षिक विकास दर 7.5 प्रतिशत रही, वही भारत मत्स्य-उत्पादो के निर्यात मे 14.8 प्रतिशत की औसत वार्षिक विकास दर के साथ विश्व में प्रथम स्थान पर रहा।
- अंतर्देशीय या inland फिशरीज़ से 72.1 लाख टन मछली उत्पादन कर भारत विश्व मे दूसरा स्थान रखता है और भारत अंतर्देशीय मत्स्य पालन में लगभग 8.0 प्रतिशत की विकास दर हासिल कर सकता है।
- नीली-क्रांति योजना द्वारा मछ्ली की उत्पादकता और उत्पादन लगभग 8 प्रतिशत वार्षिक वृद्धि-दर के साथ सन 2020 तक मत्स्य-उत्पादन 15 मिलियन टन पहुंचाने का लक्ष्य है।
- नई ‘राष्ट्रीय समुद्री मात्स्यिकी नीति’के साथ एक ‘राष्ट्रीय अंतःस्थलीय मात्स्यिकी नीति’ (National Inland Fisheries Policy) लाने का प्रयास किया जा रहा है जो Inland Fisheries के क्षेत्र मे पूरे देश मे एक समग्र एवं समेकित विकास की रूप-रेखा तय करेगी।
Scheme for fishing
राष्ट्रीय मात्स्यिकी कार्य योजना : पशुपालन, डेयरी और मत्स्यपालन विभाग ने मछली उत्पादन और उत्पादकता में वृद्धि और नीली-क्रांति का लक्ष्य हासिल करने के लिए अगले 5 वर्षों के लिए एक राष्ट्रीय मात्स्यिकी कार्य योजना 2020 (NFAP) बनायी है। इस कार्य योजना को देश में मौजूद विभिन्न मात्स्यिकी संसाधनो जैसे तालाबों तथा टैंको,आर्द्रभूमियों, खाराजल, शीतजल, झीलें और जलाशय, नदियां तथा नहरें और समुद्री सेक्टर को शामिल किया गया है। सभी राज्यों तथा संघ राज्य क्षेत्रों को अपने राज्यों/संघ राज्य क्षेत्र में नीलीक्रांति के लक्ष्यों को हासिल करने के लिए अगले 5 वर्षों के लिये NFAP-2020 के अनुसार ‘राज्य कार्य योजना’ तैयार करने के लिए कहा गया है