किसानों के समग्र और दीर्घकालिक विकास के लिए केन्द्र सरकार ने राष्ट्रीय किसान नीति तैयार कर ली है जिसका उद्देश्य :
Ø कृषि विकास क्षमता को गति देना
Ø गांवों में आधारभूत सुविधाएं विकसित करना
Ø मूल्य वर्धन(वैल्यू एडिशन) को बढ़ावा देना
Ø कृषि-व्यवसाय के विकास में तेजी लाना
Ø ग्रामीण क्षेत्रों में रोजगार सृजन करना, किसानों
Ø कृषि कामगारों और उनके परिवारों की आजीविका स्तर सुनिश्चित करना
Ø शहरी क्षेत्रों में पलायन हतोत्साहित करना और
Ø आर्थिक उदारीकरण और वैश्विकरण से उत्पन्न चुनौतियां का सामना करना है।
सरकार की नीतिगत कदमों के परिणामस्वरूप देश में प्रमाणित/गुणवत्ताप्रद बीजों की उपलब्धता में वृद्धि हुई है। यह 60 के दशक के दौरान 40 लाख क्विंटल से भी कम थी जो वर्ष 2015-16 में बढ़कर 370 लाख क्विंटल हो गई। सरकारे गुणवत्ताप्रद बीजों की वर्षवार, मौसमवार आवश्यकता पूरी करने के लिए किस्मवार सीड रोलिंग प्लांट तैयार करें। इस सीड रोलिंग प्लान से बीज प्रतिस्थापन दर तथा किस्म प्रतिस्थापन दर में सुधार जैसे दोहरे उद्देश्यों की पूर्ति होगी ताकि सतत (सस्टेनेबल) कृषि उत्पादन और उत्पादकता सुनिश्चित किया जा सके।
भारतीय बीज उद्योग वैश्विक बाजारों में बीज की आपूर्ति करने वाला एक प्रमुख उद्योग
भारतीय बीज मंडी का तेजी से विकास हो रहा है तथा हाल ही में सब्जियों और अनाजों की संकर बीज मंडी में काफी विकास हुआ है। भारतीय बीज उद्योग वैश्विक बाजारों में बीज की आपूर्ति करने वाला एक प्रमुख उद्योग बन सकता है। भारत के पास अन्य देशों की तुलना में सस्ती लागत पर अधिक मूल्य वाले सब्जी बीजों के विशेष संदर्भ में संकर बीज उत्पादन की भारी क्षमता है। सब्जियों के अलावा, संकर मक्का, धान, बाजरा और कपास के बीजों को एसईआई और अफ्रीकी देशों में निर्यात करने की भारी क्षमता है।
सरकार की नीतियाँ किसानो की आय दोगुना करने के लिए
प्रधानमंत्री ग्रामीण सड़क योजना, प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना, प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना, प्रधानमंत्री कृषि विकास योजना, परंपरागत कृषि विकास योजना, मृदा स्वास्थ्य योजना, नीम लेपित यूरिया और ई-राष्ट्रीय कृषि मंडी योजना का मकसद किसानों की फसल उत्पादकता और आय में सुधार लाना है। सरकार द्वारा निर्धारित 7 सूत्री कार्यक्रम पर किसानो की आय बढाने के लिए निम्नलिखित हैं :
Ø ‘’प्रति बूंद, अधिक फसल’’ के लक्ष्य को हासिल करने के लिए भारी बजट के साथ सिंचाई पर पर्याप्त ध्यान देना ।
Ø प्रत्येक खेत की मृदा के गुणवत्ता के आधार पर अच्छे बीजों और पोषक तत्वों की व्यवस्था करना।
Ø कटाई के पश्चात फसल को होने वाली हानि रोकने के लिए वेयर हाउसिंग और शीत श्रृंखलाओं में भारी निवेश को बढ़ावा देना ।
Ø खाद्य प्रसंस्करण के जरिए मूल्य वर्धन (वैल्यू एडिशन) को बढ़ावा देना।
Ø 585 केंद्रों पर कमियां दूर करते हुए राष्ट्रीय कृषि मंडी और ई-प्लेटफार्म खोलना।
Ø वहन करने योग्य लागत पर जोखिम कम करने के लिए नई फसल बीमा योजना लागू करना।
Ø कुक्कुकट पालन, मधु मक्खी पालन और मछली पालन जैसे सहायक कार्यकलापों को बढ़ावा देना।