केंद्रीय कृषि एंव किसान कल्याण मंत्रालय द्वारा पिछले 30 महीनों में उठाए गए महत्वपूर्ण कदम निम्नलिखित हैं :-
1. प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना:
2.स्वायल हैल्थ कार्ड:
3. परंपरागत कृषि विकास योजना: जैविक खेती को बढ़ावा देने के लिए
4. राष्ट्रीय कृषि बाजार: इस योजना के तहत 10 राज्यों की 250 मंडियो को सितंबर 2016 तक ई नाम portal से जोड़ दिया गया है व 399 मंडियों के प्रस्तावों को स्वीकृति दी जा चुकी है।
5. प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना:
- इस योजना के तहत सूक्ष्म सिंचाई योजना के तहत 2013-14 में 4.3 लाख हैक्टेयर सूक्ष्म सिंचाई के अधीन लायागया जबकि प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना के तहत 2014-16 में 12.74 लाख हैक्टेयर सूक्ष्म सिंचाई के अधीन लायागया है जो की 200 प्रतिशत की वृद्धि हैं।
- पीएमकेएसवाई स्कीम को कमान क्षेत्र विकास सहित दिसम्बर 2019तक चरणबद्ध तरीके से 76.03 लाख हैक्टेयर की क्षमता के साथ 99 वृहत और मध्यम सिंचाई परियोजना को पूर्णकरने के उद्देश्य से मिशन मोड में कार्यान्वित किया जा रहा है जो रु. 77,595 करोड़ की लागत से पूरा होगा।
6. मधुमक्खी विकास:
- मधुमक्खी विकास के तहत 2012-14 में 1,48,450 मीट्रिक टन का उत्पादन हुआ जबकि 2014-16 में 2,63,930 मीट्रिक टन का उत्पादन हुआ जो कि 78 प्रतिशत की वृद्धि है।
- नेशनल बी बोर्ड (एन बी बी) को मधुमक्खीपालनविकास के लिए पिछले तीन वर्षों (2011-12 to 2013-14) में कुल रुपये 5.94 करोड़ की वित्तीय सहायता के एवज में पिछले दो वर्षों (2014-15 व् 2015-16) में कुल रुपये 7.15 करोड़ की वित्तीय सहायता उपलब्ध कराईगयी। गयी।
7. एफपीओ: FPOके तहत 2011-14 के दौरान (3 वर्षों में) 223 एफपीओ का पंजीकरण हुआ जबकि 2014-16 के दौरान (2 वर्षों में) 568 एफपीओ का पंजीकरण हुआ जो कि 155 प्रतिशत की वृद्धि है।
8. ज्वाइंट लाएबिलिटी ग्रुप को वित्तीय सहायता: 2007 से 2014 तक (7 वर्षों में) 6.7 लाख ज्वाइंट लाएबिलिटी समूहों की तुलना में 2014 से 2016 (2 ½ वर्षों में)18.21 लाख समूहों को वित्तीय सहायता प्रदान की गयी।
9. बागवानी:
- पिछले दशक में बागवानी के तहत क्षेत्र प्रति वर्ष लगभग 2.7 प्रतिशत बढ़ा है और वार्षिक उत्पादन 5.5 प्रतिशतबढ़ा है।
- लगातार दो वर्ष 2014-15 व 2015-16 में सूखा पड़ने के बावजूद, बागवानी के उत्पादन में वृद्धि हुई है।
10. नारियल विकास:
- इस वित्तीय वर्ष 2016-17 की शुरुआत से ही भारत नारियल तेल का निर्यात मलेशिया, इंडोनेशिया और श्रीलंका को करने लगा है, जबकि हम पिछले वर्ष तक इन्हीं देशों से नारियल तेल का आयात कर रहे थे।
- दुनिया में भारत नारियल उत्पादन में पहले स्थान पर आ गया है।
11. नीम कोटेड यूरिया:
- सरकार ने एक वर्ष में पूरे देश में अब नीम कोटेड यूरिया 100 % उपलब्ध कराना शुरू कर दिया है।
- इससे यूरिया का अवैध रूप से रसायन उद्योग में दुरूपयोग समाप्त हो गया है।
- अब किसानों को यूरिया पर्याप्त मात्रा मेंमिल रहा है।
- नीम लेपित यूरिया के उपयोग से उत्पादन लागत में 10-15 % की भी कमी हो रही है। इसके उपयोगसे उत्पादकता भी बढ़ेगी।
12. कृषि वानिकी:
- हर खेत के “मेढ़ पर पेड़”, परती भूमि पर पेड़ तथा inter cropping में भी पेड़ लगाने के उद्देश्य से पहली बार कृषिवानिकी उप-मिशन क्रियान्वित किया गया है।
- इस योजना के अन्तर्गत “मेड़ पर पेड़” अभियान को गति मिलेगी।इसके अलावा खेत में फसलों / फसल तंत्र के साथ पट्टी एवं अंतरायिक रूप में पेड़ लगाए जाने का प्रावधान हैं।
- खेती योग्य बंजर भूमि में भी पेड़ लगाए जा सकते हैं।
- स्कीम का कार्यान्वयन उन्हीं राज्यों में किया जायेगा जिसमेंइमारती लकड़ी के परिवहन हेतु उदारीकृत परिवहन विनियमन हो और अन्य राज्यों में तभी लागू की जायेगी जब उनके द्वारा छूट अधिसूचित की जाती है। अभी तक 8 राज्यों में इस योजना का क्रियान्वयन प्रारम्भ हो चुका है।
13. चमन परियोजना: बागवानी आकलन और प्रबंधन जियोइन्फारमैटिक्स के प्रयोग पर समन्वितकार्यक्रम (चमन) इस कार्यक्रम का उद्देश्य "रिमोट सेंसिंग प्रौद्योगिकी" और "नमूना सर्वेक्षण पद्धति ” का उपयोग कर बागवानीफसलों के क्षेत्रफल और उत्पादन के आकलन के लिए कार्यप्रणाली को विकसित और मज़बूत करना है। सितंबर, 2014 के दौरान शुरू; 3 साल में पूरा किया जाना है।
14. किसानों के लिए मोबाइल एप की शुरुआत:
किसानों की सुविधा के लिए मोबाइल एप: किसान सुविधा, पूसा कृषि, एग्री मार्केट, फसल बीमा और फसलकटाई प्रयोग शुरु की गई है
15 . राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा मिशन (एनएफएसएम) / दलहन उत्पादन के लिए उठाए गए कदम:
- वर्ष 2013- तक राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा मिशन के अंतर्गत केवल तीन फसलें - चावल, गेंहू, दलहन शामिल थीI सरकार द्वारा इस मिशन के अंतर्गत सात फसलें- चावल, गेंहू, दलहन, जूट, गन्ना, कपास व मोटे अनाजशामिल किये जा चुके हैं।
16. ‘राष्ट्रीय गोकुल मिशन’:
- देश में पहली बार राष्ट्रीय बोवाईन प्रजनन एवं डेयरी विकास कार्यक्रम के तहत देशी नस्लों के संरक्षण और संवर्धनके लिए एक नई पहल ‘राष्ट्रीय गोकुल मिशन’ की 500 करोड़ रूपये के आवंटन के साथ शुरुआत की गई।
- इस मिशन के तहत 14 गोकुल ग्रामों की स्थापना की जा रही है तथा सांड़ों के उन्नयन हेतु 35 पशु प्रक्षेत्र को अधिक धनदेकर आधुनिक बनाया गया है।
17. दूध उत्पादन में वर्ष 2012-14 की अपेक्षा वर्ष 2014-16 में वृद्धि दर 11.7 प्रतिशत रही। 2015-16 में दुग्धउत्पादन में 6.3 प्रतिशत की वार्षिक वृद्धि दर्ज हुई है।
18. डेयरी के लिए अलग से चार नई परियोजनाएं प्रारम्भ:
(a) पशुधन संजीवनी-नकुल स्वास्थ्य पत्र:
- यह एक पशु स्वास्थ्य कार्यक्रम होगा जिसके तहत पशु स्वास्थ्य पत्र (नकुल स्वास्थ्य पत्र) साथ ही साथ पशु यूआईडीद्वारा पशुओ की पहचान और एक राष्ट्रीय डाटा बेस मे पशुओं की पहचान को शामिल करना इस योजना के हिस्साहोंगें
- इस योजना के तहत 8.5 करोड़ दुधारु पशुओं का पहचान की जाएगी
- यह पशु रोगो की राकथाम मे महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा।साथ ही साथ दुग्ध एवं दुग्ध उत्पादों के व्यापार मे भीव्रद्धि होगी।
(b ) उन्नत प्रजनन तकनीक:
- अस्सीस्टेड प्रजनन प्रौद्योगिकी के द्वारा मादा बोवाइन की संख्या में वृद्धि करना योजना का उद्देश्य है
- लिंग सोरटेड बोवाइन वीर्य के उयोग से देश मे किया जाएगा
- यह तकनीक अभी केवल उन्नत डेयरी देशो मेही उपयोग मे लायी जाती है। इससे केवल मादा बछड़ियों का ही उत्पादन होगा। इस के अंतर्गत 50 भ्रूण स्थानांतरण प्रौद्योगिकी के केंद्र/ इन विट्रो निषेचन (आईवीएफ़) केंद्र भी खोले जाएंगे।जिससे दुग्ध उत्पादन मे तेजी से व्रद्धि की जा सके।
(c ) राष्ट्रीय बोवाइन जेनॉमिक केंद्र-देशी नस्लों के लिए:
Ø विकसित डेयरी देशों मे जेनॉमिक तकनीक का प्रयोग दुग्ध उत्पादन एवं उत्पादकता मे वृद्धि के लिए कियाजाता है।
Ø देश मे देशी नस्लों के उत्पादन एवं उत्पादकता बढ़ाने के लिए देश राष्ट्रीय जीनोमिक केंद्र की स्थापना कीजाएगी।
Ø जेनॉमिक तकनीक के द्वारा कुछ ही वर्षो मे देशी नसलों को viable बनाया जा सकता है।
Ø जेनॉमिक केंद्र रोग मुक्त उच्च आनुवंशिक योग्यता वाले सांडों पहचान मे महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा।
(d) ई पशुधन हाट पोर्टल:
- वर्तमान में देश मे उच्च गुणवत्ता-रोग मुक्त वाले जर्मप्लाज्म जैसे वीर्य; भ्रूण; बछड़े, बछड़ी और वयस्क पशुओका कोई भी प्रामाणिक बाजार नहीं है। अच्छी नस्ल के पशुओं की खरीद के लिए किसानो को बिचौलियों पर निर्भरहोना पड़ता है।
- पशुओं की नस्ल वार सूचना भी किसानो को उपलब्ध नहीं होती। जो की देशी नस्लों के संरक्षण एवं संवर्धन मेमहत्वपूर्ण भूमिका निभाती है।
Ø देश मे पहली बार राष्ट्रीय बोवाइन उत्पादकता मिशन के अंतर्गत ई पशुधन हाट पोर्टल स्थापित किया गयाहै। यह पोर्टल देशी नस्लों के लिए प्रजनकों और किसानों को जोड़ने मे एक महतवापूर्ण भूमिका निभाएगा।
Ø इस पोर्टल के द्वारा किसानो को देशी नस्लों की नस्ल वार सूचना प्राप्त होगी। इससे किसान एवं प्रजनक देशीनस्ल की गाय एवं भैंसो को खरीद एवं बेच सकेंगे। देश मे उपलब्ध जर्मप्लाज्म की सारी सूचना पोर्टल पर अपलोडकर दी गयी है। जिससे किसान इसका तुरंत लाभ उठा सके। इस तरह का पोर्टल विकसित डेयरी देशों मे भीउपलब्ध नहीं है।
Ø इस पोर्टल के द्वारा देशी नस्लों के संरक्षण एवं संवर्धन को एक नई दिशा मिलेगी। क्योकि वर्तमान मे किसाननोके पास कोई नस्ल वार सूचना उपलब्ध नहीं है।
Ø पोर्टल के माध्यम से जानवरों की खरीद और बिक्री में बिचौलियों की कोई भागीदारी नहीं होगी। जर्मप्लाज्म केसभी रूपों में बिक्री और खरीद के लिए इस तरह का पोर्टल विकसित डेयरी देशों में भी उपलब्ध नहीं है।
19 . मछली उत्पादन में वर्ष 2012-14 के दौरान 186.12 लाख टन का उत्पादन हुआ जबकि 2014-16 केदौरान 209.59 लाख टन का उत्पादन हुआ जो कि 12.61 प्रतिशत की वृद्धि है। वर्ष 2015-16 में मछली उत्पादन मेंवार्षिक वृद्धि दर 6.21 प्रतिशत रही।
20 अंडा उत्पादन में 2014-15 के दौरान 78484 मिलियन अंडों का उत्पादन हुआ व 2015-16 में 82930मिलियन अंडों का उत्पादन हुआ जो कि 5.66 प्रतिशत की वृद्धि है। वर्ष (2012-14) की अपेक्षा वर्ष (2014-16) मेंवृद्धि दर 10.99 प्रतिशत रही। अंडा उत्पादन की वार्षिक वृद्धि दर 5 प्रतिशत है। प्रति व्यक्ति उपलब्धता प्रतिवर्ष 66 अंडे तक पहुंच गई है।
21.कृषि में युवाओं, छात्रों को आकर्षित करना व वैज्ञानिकों और किसानों के इंटरफेस को बढ़ावा देनेके लिए नई पहलें:
· आर्या:
आर्या परियोजना में ग्रामीण क्षेत्रों के युवाओं को कृषि के विभिन्न कृषि उद्यमों, स्थायी आय, समृद्ध सेवा क्षेत्र औरलाभकारी रोजगार के लिए सशक्त और आकर्षित किया जाएगा। यह परियोजना कृषि विज्ञान केन्द्रों के माध्यमसे 25 राज्यों के 25 जिलों में चलाई जा रही है।
फार्मर फस्ट:
फार्मर फस्ट का उद्देश्य किसान-
ज्ञानिक इंटरफेस, प्रौद्योगिकी एकीकरण अनुप्रयोग और प्रतिक्रिया, साझेदारीऔर संस्थागत निर्माण तथा पाठ्य सामग्री सम्भरण को समृद्ध करना है।
यह किसान और वैज्ञानिक के मध्यसंबंध, क्षमता निर्माण, वैज्ञानिक अनुकूलन तथा अनुप्रयोग, ऑन साइट इनपुट प्रबंधन, संस्थागत निर्माण औरप्रतिक्रिया के लिए मंच प्रदान करता है। भारतीय कृषि अनुसंधान परिषदके 100 संस्थानों/विश्वविद्यालयों द्वारा 1 लाख किसानों के साथ सीधे तौर पर कार्य करने के लक्ष्य के साथ शुरुआत कर दी गई है।
Ø स्टूडेंट रेडी:
वर्ष 2016-17 से अभ्येतावृत्ति के रूप में सभी छात्रों के लिए स्टूडेंट रेडी के दौरान 6 माह के लिए रू. 3000 प्रतिमाह मानदेय की शुरूआत जो पहले रू. 1000 प्रति माह थी। इसके अंग इस प्रकार हैं-
i. अनुभवजन्य अधिगम (ईएल)
ii. ग्रामीण कृषि कार्य अनुभव (आरएडब्ल्यूई)
iii. पौधा प्रशिक्षण/औद्योगिक जुड़ाव/प्रशिक्षण
iv. कौशल विकास प्रशिक्षण
v. छात्र परियोजना
Ø मेरा गांव - मेरा गौरव योजना को गांव तक वैज्ञानिक कृषि की प्रभावी तथा व्यापक पहुंच सुनिश्चित करने केलिए कृषि विश्वविद्यालय एवं भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद के कृषि वैज्ञानिकों को शामिल कर प्रारंभ किया गयाहै। इस उद्देश्य के लिए चार-चार वैज्ञानिकों के 5,000 समूह एक वर्ष में 25,000 गांव से समपर्क करेंगे। अभी तक15,000 ग्रामों में कृषिवैज्ञानिक सम्पर्क कर नयी तकनीकी जानकारी देने का कार्य कर रहे हैं।
22. विशेष पहल:
Ø दो वर्ष में चार नए आईसीएआर पुरस्कार –
आईसीएआर प्रशासनिक पुरस्कार, हलधर आर्गेनिक किसानपुरस्कार, पं० दीनदयाल अंत्योदय कृषि पुरस्कार व पं० दीनदयाल राष्ट्रीय कृषि विज्ञान प्रोत्साहन पुरस्कार।
Ø पं० दीनदयाल उपाध्याय उन्नत कृषि शिक्षा योजना –
देश के 32 राज्य कृषि विश्वविद्यालयों में जैविक कृषि/ प्राकृतिक कृषि और गाय आधारित अर्थव्यवस्था को मजबूत बनाने हेतु प्रारम्भ की गयी है।
Ø देश के प्रथम कृषि मंत्री डा० राजेन्द्र प्रसाद की स्मृति में 3 दिसम्बर को राष्ट्रीय कृषि शिक्षा दिवस घोषित कियागया है।
Ø 23 से 29 दिसम्बर तक सम्पूर्ण देश में श्री चौधरी चरण सिंह और श्री अटल बिहारी वाजपेयी के जन्म दिवस केअवसर पर जय किसान - जय विज्ञान सप्ताह वर्ष 2015 से प्रतिवर्ष मनाया जा रहा है।
साभार :: विशनाराम माली