हरित क्रांति के प्रादुर्भाव के बाद से निरन्तर खेती में रसायनिक उर्वरक, रासायनिक पोषक तथा कीटनाशकों का प्रयोग बढा है , जिसके व्यापक दुष्परिणाम : मानव स्वास्थ्य ,मृदा स्वास्थ्य, फसलों की गुणवता व उत्पादकता तथा पर्यावरण पर देखे जा सकते है । इस प्रकार की उभरती चिंताओं के निराकरण में जैविक खेती की प्रासंगिकता अधिक ज्ञात होती है। जैविक कृषि की महत्ता को दृष्टिगत रखते हुए , भारत-सरकार ने जैविक खाद्य पदार्थों और उत्पादों को बढ़ावा देने के उद्देश्य से " भारतीय महिला महोत्सव-2016" INA, नई दिल्ली में आयोजित किया ,जिसमें अनेक जैविक उत्पाद प्रदर्शित किये गये तथा किसान व उपभोक्ता दोनों के लिए इनकी लाभप्रदता सिद्ध की गई।।
क्या है जैविक खेती ?
ऐसी खेती जिसमें रासायनिक उर्वरकों व कीटनाशकों के स्थान पर प्राकृतिक धारणीय तकनीकों यथा- फसल-चक्र, हरित खाद व जैविक व्याधि नियंत्रक प्रयुक्त होते हो। जैविक खाद के रूप में सामान्यतः गोबर की खाद, जैव-अपशिष्ट,वर्मी कंपोस्ट,पक्षियों की बीट,कृषि अपशिष्ट तथा बायोगैस से तैयार कंपोस्ट प्रयुक्त होती है , वही हरित कीट नियंत्रक के रूप में गौमूत्र,नीम-पत्ती का घोल, राख ,तथा मट्ठा आदि प्रयोग में लाए जाते है।
जैविक खेती के फायदे :-
Ø जैविक खाद्य पदार्थों में रासायनिक उर्वरकों, कीटनाशकों और संरक्षक के साथ उत्पादित खाद्य पदार्थों की तुलना में अधिक विटामिन, खनिज और पोषक तत्व होते हैं।
Ø बच्चे विशेष रूप से कीटनाशक के हानिकारक प्रभावों की चपेट में आ जाते हैं, ऐसे में रासायनिक कीटनाशक व उर्वरक मुक्त जैविक खेती द्वारा इन्हें बचाया जा सकता है।
Ø जैविक खेती फसलों की उत्पादकता व गुणवत्ता बढाती है ।
Ø जैविक खेती मृदा की गुणवत्ता तथा जलधारण क्षमता बढाती है ,जिससे भूमि की भौतिक,रासायनिक तथा जैविक दशा में सुधार होता है।
Ø जैविक पदार्थ अधिक गुणकारी पोषक तत्वों से युक्त तथा बीमारी जनित दुष्प्रभावों से मुक्त होते है ।
Ø जैविक खेती फसलों की लागतें घटाने तथा उत्पादकता बढाने में सहायक ।
Ø जैव-विविधता तथा पर्यावरण संरक्षण में कारगर है।
साभार : विशनाराम