1. प्रधानमंत्री सुरक्षित मातृत्व अभियान (पीएमएसएमए)
- प्रधानमंत्री सुरक्षित मातृत्व अभियान (पीएमएसएमए) का लक्ष्य सुरक्षित गर्भावस्था व सुरक्षित प्रसव के जरिये मातृ व शिशु मृत्युदर को कम करना है।
- इस राष्ट्रीय कार्यक्रम के जरिए देश भर में लगभग 3 करोड़ गर्भवती महिलाओं को विशेष मुफ्त प्रसव पूर्व देखभाल मुहैया कराई जा रही है, ताकि उच्च जोखिम वाले गर्भधारण का पता लगाने के साथ-साथ इसकी रोकथाम की जा सके।
- इस देशव्यापी कार्यक्रम के तहत गर्भवती महिलाओं को संपूर्ण व गुणवत्तापूर्ण प्रसवपूर्व देखभाल व जांच के लिए हर महीने की 9 तारीख का दिन निर्धारित किया गया है।
- गर्भवती महिलाएं अब सरकारी स्वास्थ्य केंद्रों पर अपनी दूसरी या तीसरी तिमाही में स्त्री रोग विशेषज्ञों/चिकित्सकों द्वारा मुहैया कराए जाने वाले विशेष प्रसव पूर्व चेक-अप का लाभ उठा सकती हैं। यह सुविधा निजी क्षेत्र के डॉक्टरों के सहयोग से मुहैया कराई जा रही है, जो सरकारी क्षेत्र के प्रयासों के पूरक के तौर पर उपलब्ध होगा।
- इसमें ग्रामीण एवं शहरी दोनों ही क्षेत्रों में चिन्हित स्वास्थ्य सेवा केंद्रों पर सामान्य प्रसव पूर्व चेक-अप के अलावा अल्ट्रासाउंड, रक्त और मूत्र परीक्षण सहित इन सेवाओं को उपलब्ध कराया जाएगा। इसका एक उद्देश्य उच्च जोखिम वाले गर्भधारण का पता लगाना और इस दिशा में समुचित कदम उठाना है, ताकि एमएमआर और आईएमआर में कमी संभव हो सके।
2. मां- माता का पूरा प्यार
- स्तनपान को बढ़ावा देने व इसके बारे में जागरूकता फैलाने के लिए एक राष्ट्रीय कार्यक्रम शुरू किया गया।
- कार्यक्रम का नाम ‘एमएए’ स्तनपान कराने वाली माताओं को उनके परिजनों और स्वास्थ्य सुविधाओं से मिलने वाले समर्थन को दर्शाता है।
- एमएए कार्यक्रम के मुख्य घटक है-
- सामुदायिक जागरूकता बढ़ाना
- आशा के जरिए अंतर संपर्क मजबूत करना
- सार्वजनिक स्वास्थ्य सुविधाओं में प्रसूति केंद्रों पर स्तनपान के लिए सहयोग और निगरानी तथा पुरस्कार/सम्मान।
3. नए टीकाओं की शुरुआत
a) रोटा वायरस टीका: बच्चों में रोटा वायसर की वजह से होने वाली अस्वस्थता व मृत्यु को कम करने के लिए गठित विशेषज्ञ समिति की सिफारिशों के मद्देनजर शुरुआती चरण में चार राज्यों हिमाचल प्रदेश, ओडिशा, आंध्र प्रदेश व हरियाणा में अप्रैल 2016 से रोटा वायरस टीकाकरण को संपूर्ण टीकाकरण में शामिल किया गया है।
b) वयस्क जेई टीकाकरण: उन जिलों में जहां वयस्क आबादी में जापानी इंसेफ्लाइटिस (जेई) बीमारी बड़े पैमाने पर फैलती है वहां जेई टीकाकरण को वयस्कों तक विस्तारित किया गया है। हाल में असम, उत्तर प्रदेश व पश्चिम बंगाल के अधिक बीमारी वाले 21 जिलों को वयस्क जेई टीकाकरण के लिए चिन्हित किया गया है। असम के 3 जिलों (दरांग, नौगांव व सोनितपुर) व पश्चिम बंगाल के 3 जिलों (दार्जिलिंग, जलपाईगुड़ी, अलीपुरद्वार) के चिन्हित प्रखंडों में वयस्क जेई टीकाकरण अभियान को पूरा किया गया है। उत्तर प्रदेश के 6 जिलों के चिन्हित प्रखंडों में यह अभियान चल रहा है।
4. मिशन इंद्रधनुष
- मिशन इंद्रधनुष का दूसरा चरण जनवरी 2016 में 352 जिलों में चला। तीसरा चरण अप्रैल से जुलाई 2016 के बीच देशभर के 216 जिलों में चलाया गया।
- समेकित बाल स्वास्थ्य एवं प्रतिरोधक सर्वेक्षण 2016 के मुताबिक मिशन इंद्रधनुष के शुरू होने के बाद से पूरी तरह से रोग प्रतिरोधक होने का दायरा 5-7 प्रतिशत बढ़ गया है।
5. परिवार नियोजन
- नए विकल्प: राष्ट्रीय परिवार नियोजन कार्यक्रम में तीन नई विधियों को शामिल किया गया है:
- परिवार नियोजन का नया मीडिया अभियान: परिवार नियोजन के प्रति जागरुकता के लिए 360 डिग्री की सूचना संचार के साथ नया अभियान शुरू किया गया है जिसमें एक नए लोगो के साथ श्री अमिताभ बच्चन को इसका ब्रांड एंबेस्डर बनाया गया है।
6.सघन डायरिया नियंत्रण पखवाड़ा (आईडीसीएफ)
- इस गतिविधि का महत्व इसमें है कि डायरिया होने पर हर घर में ओआरएस उपलब्ध रहे।
- इसमें ओआरएस बनाने की विधि का भी प्रदर्शन किया गया।
- पिछले साल के दौरान, आईडीसीएफ की गतिविधियों के तहत 6.3 करोड़ बच्चों तक पहुंचा गया।
- इस वर्ष पखवाड़े के दौरान इसे और विस्तारित करने के क्रम में 5 साल से कम उम्र के सभी बच्चों तक पहुंचने का लक्ष्य रखा गया। पिछले साल 21 लाख बच्चों को डायरिया की वजह से मौत व अस्पताल में भर्ती होने से बचाया जा सकता था।
7.राष्ट्रीय कृमि निवारण दिवस (एनडीडी)
- स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय की एक प्रमुख पहल के तहत 10 फरवरी, 2016 राष्ट्रीय कृमि निवारण दिवस के रूप में मनाया गया।
- यह विश्व में सबसे बड़ा एक दिवसीय सार्वजनिक स्वास्थ्य अभियान था, जिसके तहत 1-19 आयु वर्ग के लगभग 27 करोड़ बच्चों को कृमि से मुक्ति की दवाई खिलाने का लक्ष्य रखा गया।
- यह अभियान स्कूलों और आंगनवाड़ी केंद्रों के मंच द्वारा चलाया गया।
8.प्रधानमंत्री राष्ट्रीय डायलिसिल कार्यक्रम
- इसके अंतर्गत गरीब लोगों को मुफ्त डायलिसिस की सुविधा उपलब्ध कराने के लिए राज्यों को सहयोग उपलब्ध कराया जाएगा।
9. आई.टी. संबंधी पहलकदमियां
a) स्वच्छ भारत मोबाइल एप्लीकेशन - “स्वच्छ भारत मोबाइल एप्लीकेशन” नागरिकों को विश्वसनीय व वांछित स्वास्थ्य संबंधी सूचनाएं प्रदान कर उन्हें सशक्त करेगा। यह एप्लीकेशन स्वस्थ जीवनशैली, बीमारियों की पूरी जानकारी, लक्षण, उपचार के विकल्प, प्राथमिक उपचार और जन स्वाथ्य चेतावनियों से अवगत कराएगा।
b) एएनएम ऑनलाइन एप्लीकेशन (अनमोल) – अनमोल टेबलेट आधारित एप्लीकेशन है जो एएनएम को अपने दायरे में आने वाले लाभार्थियों से संबंधि आंकड़ों को अपडेट करने की सुविधा प्रदान करता है। स्वास्थ्य सेवा प्रदाता द्वारा स्वयं आंकड़ों को इसमें फीड करने और उसमें बदलाव करने के विकल्प से आंकड़े त्वरित गति से अपडेट हो सकेंगे। यह एप्लीकेशन आधार से जुड़ा है ऐसे में कार्यकर्ता और लाभार्थी दोनों के रिकॉर्ड को प्रमाणित करने में मदद मिलेगा।
c) ई-रक्तकोष पहल – यह इंटिग्रेटेड ब्लड बैंक मैनेजमेंट इंफोर्मेशन सिस्टम है जिसे इसके सभी साझेदारों के साथ कई परामर्श के बाद तैयार किया गया है। वेब-आधारित यह तकनीकी प्लेटफॉर्म राज्य के सभी ब्लड बैंकों को एक साथ जोड़ देगा। इंटिग्रेटेड ब्लड बैंक एमआईएस रक्तदान व ट्रांसफ्यूजन सेवाओं से जुड़ी सूचनाओं तथा रक्त की उपलब्धता, मान्यता, भंडारण व अन्य तरह के आंकड़ों के प्रवाह को सुनिश्चित करेगा। इस व्यस्था से विविध तरह के आंकड़ों को सुस्पष्ट रिपोर्टों में तब्दील करने में मदद करेगा।
d) इंडिया फाइट डेंगू- 2016 में जारी यह एप्लीकेशन समुदाय के लोगों को डेंगू से लड़ने व उसकी रोकथाम के तरीकों के बारे में बताता है।
e) किलकारी, एक ऐसा एप्लीकेशन है जो गर्भावस्था की दूसरी तिमाही से शिशु की एक वर्ष की आयु तक, शिशु जन्म व शिशु की देखभाल से संबंधित उपयुक्त समय पर मुफ्त, साप्ताहिक, 72 ऑडियो संदेश परिवार के मोबाइल फोन पर उपलब्ध कराता है। इसे झारखंड, ओडिशा, उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड व मध्य प्रदेश तथा राजस्थान के उच्च प्राथमिकता वाले जिलों में शुरू किया गया है।
f) मोबाइल एकेडमी, आशा कार्यकर्ताओं के ज्ञान को विस्तारित व तरोताजा करने व उनकी संवाद कौशलता को निखारने के मकसद से तैयार किया गया ऑडियो प्रशिक्षण पाठ्यक्रम है। यह आशा कार्यकर्ताओं को उनके मोबाइल फोन के जरिये किफायती और प्रभावी तरीके से प्रशिक्षित करता है। इससे वह बिना कहीं गए अपनी सुविधा के अनुसार सुनकर सीख सकती हैं। इसे झारखंड, मध्य प्रदेश, राजस्थान व उत्तराखंड में शुरू किया गया है।
g) एम-सेसेशन उन लोगों के लिए है जो तंबाकू उत्पादों का सेवन छोड़ना चाहते हैं। यह उन्हें मोबाइल फोन के जरिये संदेश भेजकर इस दिशा में मदद करता है। यह पारंपरिक तरीकों से कहीं ज्यादा किफायती है। दुनिया में ऐसा पहली बार है जिसमें एम-स्वास्थ्य पहल के जरिये इस तरह की दो तरफा सेवाएं प्रदान की जा रही हैं।
h) राष्ट्रीय स्वास्थ्य पोर्टल (एनएचपी) भारत के नागरिकों को स्वास्थ्य से जुड़ी सभी तरह की सूचनाएं एक ही प्लेटफॉर्म के जरिये पहुंचाने के लिए शुरू किया गया है।
i) राष्ट्रीय ई-स्वास्थ्य प्राधिकरण (नेहा) स्वास्थ्य संबंधी सूचनाओं को एकीकृत करेगा। यह अस्पतालों के आईटी सिस्टम और जन स्वास्थ्य व्यवस्था के बीच अनियोजन से आने वाली समस्या को दूर करने में मदद करेगा। यह मरीजों के स्वास्थ्य संबंधी सूचनाओं व आंकड़ों की सुरक्षा व निजता से संबंधित कानून व नियमन को लागू कराएगा। इसमें मरीज के इलेक्ट्रॉनिक स्वास्थ्य आंकड़े का प्रावधान होगा।
9.राष्ट्रीय स्वास्थ्य संरक्षण योजना (एनएचपीएस)
भारत सरकार ने एक नई स्वास्थ्य बीमा योजना राष्ट्रीय स्वास्थ्य सुरक्षा योजना (एनएचपीएस) लाने का प्रस्ताव किया है जिसमें गरीब व आर्थिक रूप से कमजोर परिवार को 1.0 लाख रुपये का स्वास्थ्य कवर दिया जाना परिकल्पित है। 60 साल से ऊपर के वरिष्ठ नागरिकों के लिए इसमें 30,000 रुपये की राशि अतिरिक्त होगी। वरिष्ठ नागरिक वाला घटक 01.04.2016 से लागू होगा।
10. अंग दान (Organ Donation)
भारत सरकार ने मानव अंग और कोशिका प्रत्यारोपण अधिनियम, 1994 के प्रावधानों के अनुरूप मानवसंसाधन को प्रशिक्षित करने व मृतक लोगों के अंगदान को प्रोत्साहित करने के लिए राष्ट्रीय अंग दान कार्यक्रम शुरू किया है। इस कार्यक्रम के तहत, सफदरगंज अस्पताल, नई दिल्ली में एक उच्च स्तरीय संगठन राष्ट्रीय अंग व ऊतक प्रत्यारोपण संगठन (एनओटीटीओ) स्थापित किया गया है। यह राष्ट्रीय स्तर पर नेवर्किंग और अंग व ऊतक दान के लिए ऑनलाइन वितरण की व्यवस्था करेगा, साथ ही मृतक लोगों का अंग व ऊतक दान करने के लिए भी लोगों को प्रोत्साहित करेगा।