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मंत्रिमंडल ने राष्ट्रीय स्वास्थ्य नीति 2017 को अनुमोदित कर दिया है। यह देश के स्वास्थ्य क्षेत्र के इतिहास में बहुत बड़ी उपलब्धि है। पिछली राष्ट्रीय स्वास्थ्य नीति 2002 में बनाई गई थी। इस प्रकार, यह नीति बदलते सामाजिक-आर्थिक, प्रौद्योगिकीय और महामारी-विज्ञान परिदृश्य में मौजूदा और उभरती चुनौतियों से निपटने के लिए 15 साल के अंतराल के बाद अस्तित्व में आई है।
- भारत सरकार ने नीति निर्माण की प्रक्रिया में अत्यधिक सहभागितापूर्ण और परामर्शी दृष्टिकोण अपनाया
- नीति का लक्ष्य सभी विकास नीतियों में एक निवारक और प्रोत्साहक स्वास्थ्य देखभाल दिशानिर्देश के माध्यम से सभी वर्गों के लिए स्वास्थ्य और कल्याण का उच्चतम संभव स्तर प्राप्त करना, तथा इसके परिणामस्वरूप किसी को भी वित्तीय कठिनाई का सामना किए बिना बेहतरीन गुणवत्तापरक स्वास्थ्य देखभाल सेवाएं प्रदान करनाहै।
- इसे उपलब्धता का विस्तार करके,स्वास्थ्य देखभाल प्रदानगी की गुणवत्ता में सुधार करके तथा लागतकोकम करकेप्राप्त कियाजा सकता है। नीति के व्यापक सिद्धांत व्यावसायिकता, सत्यनिष्ठा और नैतिकता,निष्पक्षता,सामर्थ्य, सार्वभौमिकता, रोगी केन्द्रित तथा परिचर्या गुणवत्ता, जवाबदेही और बहुलवाद पर आधारित हैं।
- नीति में रोकथाम और स्वास्थ्य संवर्धन पर बल देते हुए रुग्णता-देखभाल की बजाय आरोग्यता पर ध्यान केन्द्रित करने की अपेक्षा की गई है। हालांकि नीति में जन स्वास्थ्य प्रणालियों की दिशा बदलने तथा उसे सुदृढ़ करने की मांग की गई है, इसमें निजी क्षेत्र से कार्यनीतिक खरीद पर विचार करने और राष्ट्रीय स्वास्थ्य लक्ष्यों को प्राप्त करने में अपनी शक्तियों का इस्तेमाल करने की भी नए सिरे सेअपेक्षा की गई है। नीति में निजी क्षेत्र के साथ सुदृढ़ भागीदारी करने की परिकल्पना की गई है।
- एक महत्वपूर्ण घटक के रूप में, नीति में जन स्वास्थ्य व्यय को समयबद्ध ढंग से जीडीपी के 2.5% तक बढ़ाने का प्रस्ताव किया गया है। नीति में उत्तरोत्तर वृद्धिशील आश्वासन आधारित दृष्टिकोण की वकालत की गईहै। इसमें ‘स्वास्थ्यऔर आरोग्यता केन्द्रों’ के माध्यम से सुनिश्चित व्यापक प्राथमिक स्वास्थ्य देखभाल का बड़ा पैकेज प्रदान करने की परिकल्पना की गई है तथा यह अत्यधिक चयनित से व्यापक प्राथमिक स्वास्थ्य देखभाल पैकेज में महत्वपूर्ण परिवर्तन को दर्शाताहै,जिसमें प्रमुख एनसीडी, मानसिक स्वास्थ्य, जराचिकित्सा स्वास्थ्य देखभाल, उपशामक परिचर्यातथा पुनर्वास देखभाल सेवाएं शामिल हैं। इसमें प्राथमिक परिचर्या के लिए संसाधनों के व्यापक अनुपात (दो-तिहाई या अधिक)आवंटन करने की हिमायत की गई है। इसका उद्देश्य प्रति 1000 की आबादी के लिए 2 बिस्तरों की उपलब्धता इस तरह से सुनिश्चित करनाहै ताकि आपात स्थिति में जरूरत पड़ने पर इसे उपलब्ध कराया जा सके। इस नीति में उपलब्धता तथा वित्तीय सुरक्षा उपलब्ध कराने के लिए सभी सार्वजनिक अस्पतालोंमें नि:शुल्क दवाएं, नि:शुल्क निदान तथा नि:शुल्क आपात तथा अनिवार्य स्वास्थ्य देखभाल सेवाएं प्रदान करने का प्रस्ताव किया गया है।
- नीति में विशिष्ट मात्रात्मक लक्ष्यों को भी निर्धारित किया गया है,जिनका उद्देश्य 3 व्यापक घटकों अर्थात्
- क) स्वास्थ्य स्थिति और कार्यक्रम प्रभाव,
- ख) स्वास्थ्य प्रणाली निष्पादन, तथा
- ग) स्वास्थ्य प्रणाली का सुदृढ़ीकरण के द्वारा बीमारियों को कम करना है जो नीतिगत उद्देश्यों के अनुरूप हों।
नीति में जिन कुछेक प्रमुख लक्ष्यों को प्राप्त करने की अपेक्षा की गई है वे निम्नलिखित हैं:-
1.जीवन प्रत्याशा और स्वस्थ जीवन
- जन्म के समय आजीवन प्रत्याशा को5 से बढ़ाकर 2025 तक 70 करना।
- 2022 तक प्रमुख वर्गों में रोगों की व्याप्तता तथा इसके रुझान को मापने के लिए विक्लांगता समायोजित आयु वर्ष (डीएएलवाई) सूचकांक की नियमित निगरानी करना।
- 2025 तक राष्ट्रीय और उप-राष्ट्रीय स्तर पर टीएफआर को घटाकर1 तक लाना।
2. आयु और/या कारणों द्वारा मृत्यु दर
- 2025 तक पांच वर्ष से कम आयु के बच्चों में मृत्यु दर को कम करके 23 करना तथा एमएमआर के वर्तमान स्तर को 2020 तक घटाकर 100 करना।
- नवजात शिशु मृत्यु दर को घटाकर 16 करना तथा मृत जन्म लेने वाले बच्चों की दर को 2025 तक घटाकर “एक अंक’ में लाना।
- रोगों की व्याप्तता / घटनाओं में कमी लाना
- 2020 के वैश्विक लक्ष्य को प्राप्त करना, जिसे एचआईवी / एड्स के लिए 90:90:90 के लक्ष्य के रूप में भी परिभाषित किया गया है अर्थात् एचआईवीपीड़ित सभी 90% लोग अपनी एचआईवी स्थिति के बारे में जानते हैं – एचआईवी संक्रमण से पीड़ित सभी 90% लोग स्थायी एंटीरोट्रोवाइरल चिकित्सा प्राप्त करते हैं तथा एंटीरोट्रोवाइरल चिकित्सा प्राप्त करने वाले सभी 90% लोगों में बॉयरल रोकथाम होगी।
- 2018 तक कुष्ठ रोग,2017 तक कालाजार तथा 2017 तक स्थानिकमारी वाले क्षेत्रों में लिम्फेटिक फिलारिएसिस का उन्मूलन करना तथा इस स्थिति को बनाए रखना।
- क्षयरोग के नए स्पुटम पाजिटिव रोगियों में 85% से अधिक की इलाज दर को प्राप्त करना और उसे बनाए रखना तथा नए मामलों की व्याप्तता में कमी लाना ताकि 2025 तक इसके उन्मूलन की स्थिति प्राप्त की जा सके।
- 2025 तक दृष्टिहीनता की व्याप्तता को घटाकर25/1000 करना तथा रोगियों की संख्या को वर्तमान स्तर से घटाकर एक-तिहाई करना।
- हृदवाहिका रोग, कैंसर, मधुमेह या सांस के पुराने रोगों से होने वाली अकाल मृत्यु को 2025 तक घटाकर 25%करना।
इस नीति में गैर-संचारी रोगोंकी उभरती चुनौतयों से निपटने पर ध्यान केन्द्रित किया गया है। यह समन्वित दृष्टिकोणका समर्थन करती है,जिसमें द्वितीयक स्तर पर रोकथाम सहित सर्वाधिक प्रचलितएनसीडी की जांच से रुग्णता को कम करने और रोकी जा सकने वाली मृत्यु दर पर पर्याप्त प्रभाव पड़ेगा।
नीति में आयुष प्रणाली के त्रि-आयामी एकीकरण की परिकल्पना की गई है जिसमें क्रॉस रेफरल, सह-स्थल और औषधियों की एकीकृत पद्धतियां शामिल हैं। इसमें प्रभावी रोकथाम तथा चिकित्सा करने की व्यापक क्षमता है, जो सुरक्षित और किफायती है। योग को अच्छे स्वास्थ्य के संवर्धन के भाग के रूप में स्कूलों और कार्यस्थलों में और अधिक व्यापक ढंग से लागू किया जाएगा।
विनियामक परिवेश में सुधार करने और उसे सुदृढ़ बनाने के लिए नीति में मानक तय करने के लिए प्रणालियां निर्धारित करने तथा स्वास्थ्य देखभाल की गुणवत्ता सुनिश्चित करनेकी परिकल्पना की गई है। यह नीति रोगी आधारित है और इसमें रोगियों को उनकी सभी समस्याओं का निदान करने का अधिकार प्रदान किया गया है। नीति में औषधियों और उपकरणों का सुलभता से विनिर्माण करने,मेक इन इंडिया को प्रोत्साहित करने तथा तथा चिकित्सा शिक्षा में सुधार करनेकी भी अपेक्षा की गई है। यह नीति व्यक्ति आधारित है, जो चिकित्सा परिचर्या चाहता है।
नीति में मध्य स्तरीयसेवा प्रदायक कैडर,नर्स प्रेक्टिशनरों,जन स्वास्थ्य कैडर का विकास करने की हिमायत की गई है ताकिउपयुक्त स्वास्थ्य मानव संसाधन की उपलब्धता में सुधार हो सके।
नीति में स्वास्थ्य सुरक्षा का समाधान करने तथा औषधियों और उपकरणों के लिए मेक इन इंडिया को लागू करने की परिकल्पना की गई है। इसमें जन स्वास्थ्य लक्ष्यों को ध्यान में रखते हुए चिकित्सा उपकरणों तथा उपस्करों के लिए अन्य नीतियों के साथ सामंजस्य स्थापित करने की भी परिकल्पना की गई है।
नीति में नीतिगत लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए स्पष्ट प्रदानगी तथा उपलब्धियों सहित एक समयबद्ध कार्यान्वयन ढांचा लागू करने की परिकल्पना की गई है।