पिछले तीन वर्षों के दौरान हमने वंचित लोगों के लिए सामाजिक न्याय के विषय में बुनियादी बदलाव होते देखा है। राजीनति अब कल्याणकारी और मालिकाना पक्ष से हटकर सशक्तिकरण पर अधिक केंद्रित हो रही है। सरकार समाज के सामाजिक रूप से वंचित वर्गों को अधिकार संपन्न बनाने के लिए कई उपाय कर रही है। इस आलेख में मौजूदा शासन द्वारा उठाए जाने वाले कदमों पर चर्चा की गई है। इसके तहत सामाजिक न्याय और आमूल विकास पर ध्यान दिया जा रहा है, जिसके तहत गांव के अंतिम व्यक्ति को लाभ होगा। यह अंत्योदय के सिद्धांतों का परिचायक है। पिछले तीन सालों के दौरान सरकार के वार्षिक वित्तीय बयान यह बताते हैं कि सरकार ग्रामीण अर्थव्यवस्था और घरेलू बुनियादी ढांचे को मजबूत बनाने के लिए प्रतिबद्ध है। यही हमारे गांवों का आधार है। प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने कई मौकों पर यह प्रतिबद्धता दोहराई है। मौजूदा सरकार के कार्यकाल संभालने के बाद से ही वे सरकार के मुख्य एजेंडा को स्पष्ट करते हैं, जिसके तहत ‘ सीमांत लोगों का कल्याण ’ शामिल है।
- सामाजिक न्याय हमारे संविधान की नींव का पत्थर है। विकास और न्याय के दो पक्षों के मद्देनजर हमें सरकार की मुख्य जिम्मेदारियों को नहीं भूलना चाहिए। जहां तक विकास का संबंध है, गैर सरकारी लोग संसाधनों से अच्छी तरह लैस हैं और विकास गतिविधियां चलाने के लिए सक्षम हैं। बहरहाल, अधिक सतत समावेश सरकार के हस्तक्षेप से ही संभव होगा। इस संबंध में यह आवश्यक है कि सरकार की भूमिका की दोबारा चर्चा की जाए। सरकार की भूमिका अत्यंत महत्वपूर्ण है और उसे किसी भी तरह कम नहीं किया जा सकता। विनिवेश और त्वरित निजीकरण के ऊपर पारदर्शी बहस और चर्चा होनी चाहिए, क्योंकि लाभ अर्जन तथा राजस्व सृजन के कारण भारी स्पर्धा और गला काट होड़ होती है। कॉरपोरेट दुनिया के हालात के मद्देनजर समाज का वंचित वर्ग स्पर्धा नहीं कर पाता। इसलिए यह बड़ी चुनौती बन गई है कि समाज के इन वर्गों को आसानी से व्यापार करने के लिए सकारात्मक माहौल मिले।
- इसी संदर्भ में ‘ गौण उद्यमशीलता ’ का विचार सामने आया है। इसके तहत अवसरहीन कुशल लोगों को वित्तीय सुविधाएं प्रदान किये जाने का लक्ष्य है। वास्तविकता यह है कि सरकारी नौकरियां कम होती जा रही हैं। इसलिए सरकारी नौकरियों पर निर्भरता से समुचित लाभ नहीं मिलता। भारत में पारम्परिक रूप से विभिन्न कौशल मौजूद हैं, जैसे जूते बनाना, सिलाई-कढ़ाई, हथकरघा इत्यादि। यह कौशल विकास का क्षेत्र है, जिसके तहत दुनिया की बढ़ती मांगों के मद्देनजर लोगों की मौजूदा कुशलता को बढ़ाना है। नीतियों के तहत सहकारिताओं में कमजोर वर्गों का उचित प्रतिनिधित्व सुनिश्चित किया जाना चाहिए। इसके अलावा कॉरपोरेट जगत और सिविल सोसाएटी को भी एकजुट करना होगा। इसी क्षेत्र पर मौजूदा सरकार विशेष ध्यान दे रही है।
- वित्तीय समावेश के तहत आर्थिक रूप से कमजोर और समाज के कम आय वर्गों का वित्तीय सशक्तिकरण करना है। भारत सरकार ने सामाजिक मोर्चे पर कई कदम उठाए हैं। इनसे सामाजिक वर्ग की नीतियों के क्षेत्र में बहुत बदलाव आएगा। इस समय आवश्यकता है कि समावेशी वृद्धि के लिए कारगर नीति बनाई जाए। मौजूदा सरकार इस दिशा में कई योजनाएं और कार्यक्रमों को सफलतापूर्वक क्रियान्वित कर रही है। सामाजिक और आर्थिक सुरक्षा के लिए केन्द्र सरकार द्वारा उठाए गए प्रमुख कदम इस प्रकार हैं :-
- गरीबों के लिए वित्तीय समावेश :-- प्रधानमंत्री जन धन योजना- यह एक अत्यंत महत्वपूर्ण योजना है, जिसके तहत बैंक खातों तक आर्थिक रूप से कमजोर वर्गों की पहुंच बनाकर ‘वित्तीय अस्पृश्यता’ को समाप्त करना शामिल है।
- सामाजिक सुरक्षा दायरे का विस्तार :– प्रधानमंत्री सुरक्षा बीमा योजना, अटल पेंशन योजना और प्रधानमंत्री जीवन ज्योति योजना के जरिए सामाजिक सुरक्षा के दायरे को विस्तार दिया गया। इसके तहत समाज के सीमांत वर्गों को सामाजिक और आर्थिक सुरक्षा प्रदान की जाती है।
- गौण उद्यमशीलता के लिए संस्थागत समर्थन :– इस लक्ष्य को मुद्रा बैंक के जरिए पूरा किया गया, इसके तहत दूर-दराज के गांवों में रहने वाले उद्यमियों को माइक्रो फाइनेंस प्रदान करने का लक्ष्य है। अनुसूचित जाति/अनुसूचित जनजाति उद्यमियों के लिए राष्ट्रीय केन्द्र बनाए गए, ताकि सीमांत समुदायों से आने वाले उद्यमियों को सहायता मिले।
अनुसूचित जाति के उद्यमियों के लिए उद्यम पूंजी कोष :– इस योजना का उद्देश्य अनुसूचित जाति वर्ग में उद्यमशीलता को प्रोत्साहन और रियायती दरों पर उन्हें वित्त प्रदान करना है। इस योजना को भारतीय औद्योगिक वित्त निगम लागू करेगा, जिसके लिए 200 करोड़ रुपयों का आवंटन कर दिया गया है।
अनुसूचित जातियों के लिए ऋण संवर्धन गारंटी योजना:--- इस योजना का उद्देश्य अनुसूचित जाति वर्ग में उद्यमशीलता को प्रोत्साहन और रियायती दरों पर उन्हें वित्त प्रदान करना है। योजना चलाने के लिए भारतीय औद्योगिक वित्त निगम को 200 करोड़ रुपये का बजट दिया गया है।
स्वच्छता उद्यमी योजना :: – यह योजना 02 अक्टूबर, 2014 को प्रधानमंत्री द्वारा शुरू किये गय‘स्वच्छ भारत अभियान’ का अभिन्न अंग है। इसके तहत राष्ट्रीय सफाई कर्मचारी वित्त एवं विकास निगम ने ‘स्वच्छता उद्यमी योजना’ नामक एक नई योजना शुरू की है, ताकि संबंधित समुदाय को शौचालय परियोजनाओं तथा कचरा उठाने के लिए वाहन संबंधी वित्त दिया जा सके।
हरित व्यापार योजना: -- यह योजना राष्ट्रीय सफाई कर्मचारी वित्त एवं विकास निगम ने शुरू की है। इसका उद्देश्य अनुसूचित जातियों और सफाई कर्मचारियों के स्थायी आजीविका को समर्थन देने के लिए हरित व्यापार को प्रोत्साहन देना है। वित्तीय सहायता उन आर्थिक गतिविधियों के लिए प्रदान की जाएगी, जिनसे जलवायु परिवर्तन की चुनौतियों का सामना करने में सहायता हो, जैसे ई-रिक्शा, सौर पम्प और सौर ऊर्जा से काम करने वाले अन्य उपकरण आदि
प्रसाधन बाजार योजना :-- इस योजना को 2014-15 में शुरू किया गया। योजना के तहत शौचालयों/ बायो-डिग्रेडेबल शौचालयों के निर्माण के लिए सफाई कर्मचारियों को 15 लाख रुपये तक के ऋण दिये जाते हैं।
स्टेंड अप इंडिया :– इस योजना को समाज के अत्यंत कमजोर वर्गों में उद्यमशीलता की भावना बढ़ाने के लिहाल में शुरू किया गया है। ये विशेष समूह अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति और महिलाएं हैं। इस योजना के तहत सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों की प्रत्येक शाखा से कहा गया है कि वे महिलाओं और अनुसूचति जाति/अनुसूचित जनजाति वर्गों के एक-एक उद्यमी की सहायता करें।
भारत सरकार द्वारा पंचतीर्थ की घोषणा:--- सरकार ने फैसला किया है कि बाबा साहेब से संबंधित पांच प्रमुख स्थानों को पंचतीर्थ के रूप में समर्पित किया जाए। इसका उद्देश्य मौजूदा दलित पीढ़ी को प्रेरणा देना है। मध्य प्रदेश सरकार ने बाबा साहेब के जन्म स्थान महू में एक भव्य स्मारक स्थापित किया है। महाराष्ट्र सरकार ने लंदन में जहां बाबा साहेब ने उच्च शिक्षा के दौरान निवास किया था, उस 10, किंग हेनरी रोड स्थित घर को खरीद लिया है। वर्ष 2015 में जब प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने लंदन का दौरा किया था, तो उस समय उसका उद्घाटन किया था
इन योजनाओं से स्पष्ट होता है कि मौजूदा सरकार दलितों और आबादी के अन्य वंचित वर्गों की उन्नति के लिए पूर्ण रूप से प्रतिबद्ध है। मौजूदा शासन के तहत गरीबी दूर करने और समाज के कमजोर वर्गों को अधिकार सम्पन्न बनाने के लिए विभिन्न महत्वपूर्ण कदम उठाए गए हैं।
साभार : विशनाराम माली