सरकार ने बहुप्रतिक्षित स्मार्ट सिटी प्लान के तहत 20 शहरों के नाम की घोषणा कर दी है। इन शहरों को अगले 5 सालों में स्मार्ट सिटी बनाया जाएगा। पांच राज्यों की राजधानी को स्मार्ट सिटी में जगह मिली है। इन शहरों का चुनाव कॉम्पिटिशन के आधार पर किया गया है।
=>पहले चरण में चुने गए ये 20 शहर
★♥ जिन 20 शहरों का नाम पहले चरण में घोषित किया उनमें भुवनेश्वर, पुणे, जयपुर, सूरत, कोच्चि, अहमदाबाद, जबलपुर, विशाखापट्टनम, सोलापुर, धवनगिरि, इंदौर, एनडीएमसी (न्यू दिल्ली म्युनिसिपल कॉर्पोरेशन), कोयंबटूर, काकिनाडा, बेलगाम, उदयपुर, गुवाहटी, चेन्नै, लुधियाना और भोपाल शामिल हैं।
~ स्मार्ट सिटी के लिए यूपी, बिहार, झारखंड, उत्तराखंड, हिमाचल और बंगाल का कोई शहर नहीं चुना गया। ( यूपी, बिहार और बंगाल की अनदेखी )
~पूर्वोत्तर से सिर्फ असम की राजधानी गुवाहाटी का ही चयन हुआ है।
~ भुवनेश्वर (ओडिशा), भोपाल (मध्य प्रदेश), जयपुर (राजस्थान), चेन्नै (तमिलनाडु) और गुवाहाटी (असम) ये पांच राजधानियां भी इस लिस्ट में शामिल हैं।
●● स्मार्ट सिटी के लिए की गई रैंकिंग में भुवनेश्वर टॉप पर जबकि भोपाल 20वें स्थान पर आया। उन्होंने बताया कि पहले फेज में 20 शहर चुने गए हैं। 2 साल बाद अगले फेज में 40 और फिर 40 शहर चुने जाएंगे। इस तरह 100 शहरों को स्मार्ट सिटी के तर्ज पर विकसित किया जाएगा।
- स्मार्ट सिटी के लिए राज्यों ने अपनी-अपनी तरफ से सुझाव भेजे थे। कुल 97 शहरों के बीच कई आधार पर कॉम्पिटिशन के तहत चुनाव हुए। इनमें से ही 20 शहरों का नाम फाइनल किया गया।
- डिवेलपमेंट और प्लानिंग के आधार पर शहरों का चयन किया गया.
स्मार्ट सिटी : क्या हैं स्मार्ट सिटी के बेसिक प्रिंसिपल? सुविधाओं के मानकों के निर्धारण करने वाले कारक कौन-कौन से हैं ?
** सरकार ने स्मार्ट सिटी प्रोजेक्ट को तीन बुनियादी प्लान पर तैयार किया है।
1. क्वालिटी ऑफ लाइफ :-
- स्मार्ट सिटी में रहने वाले हर शख्स को क्वालिटी लाइफ मिले। यानी किफायती घर हो, हर तरह का इन्फ्रास्ट्रक्चर हो।
- पानी और बिजली चौबीसों घंटे मिले।
- एजुकेशन के ऑप्शंस हों। सिक्युरिटी हो।
- एंटरटेनमेंट और स्पोर्ट्स के सोर्स हों।
- आसपास के इलाकों से अच्छी और तेज कनेक्टिविटी हो। अच्छे स्कूल और हॉस्पिटल भी मौजूद हों।
2. इन्वेस्टमेंट :-
- स्मार्ट सिटी में वहां मौजूद ह्यूमन रिसोर्स और नेचुरल रिसोर्स के मुताबिक, पूरा इन्वेस्टमेंट भी आए।
- बड़ी कंपनियों को वहां अपनी इंडस्ट्री लगाने के लिए सुविधाएं और सहूलियत मिले। उन पर टैक्स का ज्यादा बोझ न हो।
3. रोजगार :-
- स्मार्ट सिटी में इन्वेस्टमेंट ऐसा आए जिससे वहां या आसपास रहने वाले लोगों को रोजगार के पूरे मौके मिलें।
- स्मार्ट सिटी के अंदर रहने वालों को अपनी आमदनी के लिए उस इलाके से ज्यादा दूर नहीं जाना पड़े।
**स्मार्ट सिटी में ट्रांसपोर्ट, रेजिडेंशियल, बिजली-पानी, हेल्थ और एजुकेशन की सुविधाएं देने के लिए कुछ मानक तय किए गए हैं। ये हैं :-
1. ट्रांसपोर्ट
- स्मार्ट सिटी के अंदर एक स्थान से दूसरे स्थान जाने का ट्रैवल टाइम 45 मिनट से ज्यादा न हो।
- कम से कम 2 मीटर चौड़े फुटपाथ हों।
- रिहाइशी इलाकों से 800 मीटर की दूरी या 10 मिनट वॉक पर बस या मेट्रो की सुविधा हो।
2. रिहाइश
- 95 फीसदी रिहाइशी इलाके ऐसे हों जहां 400 मीटर से भी कम दूरी पर स्कूल, पार्क और रीक्रिएशन पार्क मौजूद हों।
- 20 फीसदी मकान आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग के लिए हों।
- कम से कम 30 फीसदी रिहाइशी और कमर्शियल इलाके बस या मेट्रो स्टेशन से 800 मीटर की दूरी के दायरे में ही हों।
3. बिजली और पानी
- स्मार्ट सिटी में 24*7 पानी और बिजली सप्लाई हो।
- 100 फीसदी घरों में बिजली कनेक्शन हों। सारे कनेक्शनों में मीटर लगा हो।
- लागत में नुकसान न हो। यानी कोई बिजली-पानी चोरी न कर पाए।
- प्रति व्यक्ति कम से कम 135 लीटर पानी दिया जाए।
4. वाईफाई कनेक्टिविटी
- 100 फीसदी घरों तक वाईफाई कनेक्टिविटी हो।
- 100 एमबीपीसी की स्पीड पर वाईफाई पर मिले।
5. हेल्थ
- स्मार्ट सिटी में इमरजेंसी रिस्पॉन्स टाइम 30 मिनट से ज्यादा न हो।
- हर 15 हजार लोगों पर एक डिस्पेंसरी हो।
- एक लाख की आबादी पर 30 बिस्तरों वाला छोटा अस्पताल, 80 बिस्तरों वाला मीडियम अस्पताल और 200 बिस्तरों वाला बड़ा अस्पताल हो।
- हर 50 हजार लोगों पर एक डायग्नोस्टिक सेंटर हो।
5. एजुकेशन
- 15 फीसदी इलाका एजुकेशनल इंस्टीट्यूट्स के लिए हो।
- हर 2500 लाेगों पर एक प्री-प्राइमरी, हर 5000 लोगों पर एक प्राइमरी, हर 7500 लोगों पर एक सीनियर सेकंडरी और हर एक लाख की आबादी पर पहली से 12वीं क्लास तक का एक इंटिग्रेटेड स्कूल हो।
- सवा लाख की आबादी पर एक कॉलेज हो।
- 10 लाख की आबादी पर एक यूनिवर्सिटी, एक इंजीनियरिंग कॉलेज, एक मेडिकल कॉलेज, एक प्रोफेशनल कॉलेज और एक पैरामेडिकल कॉलेज हाे।
=>कैसे होगी प्रोजेक्ट फंडिंग और क्यों है स्मार्ट सिटीज पर फोकस.. :-
- - फर्स्ट फेज में 20 और अगले हर दो साल में 40-40 शहरों को स्मार्ट सिटी प्रोजेक्ट के लिए सिलेक्ट किया जाएगा।
- हर स्मार्ट सिटी को अगले पांच साल तक केंद्र सरकार हर साल 100 करोड़ रुपए देगी।
- अरबन डेवलपमेंट मिनिस्ट्री के कॉन्सेप्ट नोट के मुताबिक, देश में अभी शहरी आबादी 31 फीसदी है, लेकिन इसकी भारत के जीडीपी में हिस्सेदारी 60 फीसदी से ज्यादा है।
- एक अनुमान है कि अगले 15 साल में शहरी आबादी की जीडीपी में हिस्सेदारी 75 फीसदी होगी।
- इस वजह से 100 स्मार्ट सिटीज बनाने का टारगेट रखा गया है।
सिलेक्शन के बाद क्या होगा?
- सिलेक्ट शहरों को पहले साल 200- 200 करोड रुपए और बाद में तीन साल तक 100-100 करोड़ दिए जाएंगे।
- इस प्रोजेक्ट के लिए 48000 करोड़ रुपए का प्रावधान किया गया है।
- स्पेशल प्रोजेक्ट बनाया गया है जिसमें केंद्र और स्टेट गवर्नमेंट की हिस्सेदारी रहेगी।