महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना (मनरेगा) के 10 वर्ष पूरे: भ्रष्टाचार बाधक

क्या है मनरेगा :-
• महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना (मनरेगा) को 2 फरवरी 2006 को तत्कालीन संप्रग सरकार ने शुरू की।

• इसमें जॉब कार्डधारक को सालभर में सौ दिन के रोजगार की गारंटी दी जाती है। इससे ग्रामीण गरीबों को गांव में ही रोजगार मिला और उनका पलायन रोकने में मदद मिली।

• कुछ माह पहले केंद्र ने इस योजना के तहत सूखा प्रभावित राज्यों में अतिरिक्त 50 दिन का रोजगार देने का एलान किया।

- गांव के हालात बदलने और लोगों के लिए रोजगार के अधिक अवसर प्रदान करने के उद्देश्य वाली महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना (मनरेगा) के 10 वर्ष पूरे हो गए.

** इस योजना पर अब तक 3.13 लाख करोड़ रुपये खर्च किये गए हैं. हालांकि भ्रष्टाचार की तमाम घटनाएं इस योजना के सामने समस्या बनकर खड़ी हैं.

- उत्तरप्रदेश, बिहार, पंजाब, छत्तीसगढ़, मणिपुर जैसे कई राज्यों में इस योजना के कार्यान्वयन को लेकर भ्रष्टाचार एवं अनियमिताताओं की शिकायतें बाधक के रूप में उभर कर सामने आई हैं. 
- सूचना के अधिकार के तहत प्राप्त जानकारी के अनुसार, साल 2010-11 से 14 सितंबर 2015 के बीच करीब साढ़े पांच वर्ष के दौरान देश के विभिन्न प्रदेशों में मनरेगा योजना के मद में 2.10 लाख करोड़ रूपये खर्च हुए.

- इस अवधि में केंद्र की ओर से 1.84 लाख करोड़ रूपये जारी किये गए. मनरेगा के कार्यान्वयन के लिए सम्पूर्ण खर्च केंद्र और राज्य सरकार करती हैं. इसमें केंद्र और राज्य की देनदारियों का निर्धारण मनरेगा अधिनियम की धारा 22 के प्रावधानों के अनुसार किया जाता है. 
- आरटीआई के तहत प्राप्त जानकारी के अनुसार, मनरेगा योजना के कार्यान्वयन को लेकर विभिन्न राज्यों में भ्रष्टाचार और अनियमितताओं की शिकायतें प्राप्त हुई.

-आरटीआई के तहत प्राप्त जानकारी के अनुसार, मनरेगा के तहत वित्त वर्ष 2010.11 में 39377 करोड़ रूपये, 2011.12 में 37072 करोड़ रूपये, 2012.13 में 39778 करोड़ रूपये, 2013.14 में 38601 करोड़ रूपये, 2014.15 में 36043 करोड़ रूपये और 2015.16 में 14 सितंबर 2015 तक 18780 करोड़ रूपये खर्च किये गए.

** मनरेगा के तहत देश के कई क्षेत्रों में कार्य ठेकेदारों के जरिये कराने की खबरों पर भी सवाल उठे हैं.

- मनरेगा का पंचायतों एवं अन्य कार्यक्रम कार्यान्वयन एजेंसियों के मार्फत किया जाना है. न कि ठेकेदारों के माध्यम से...

मनरेगा के तहत कार्य :-
- मनरेगा के तहत मुख्य कार्य भूमि विकास और जल संरक्षण से संबंधित कार्य है.

- आरटीआई के तहत यह पूछे जाने पर कि क्या मनरेगा के कारण उद्योगों और खेती के मजदूरों की उपलब्धता में कमी आई है...

- मंत्रालय ने कहा कि मनरेगा के कारण उद्योगों तथा कृषि क्षेत्र के लिए मजदूरों की उपलब्धता पर प्रभाव पड़ने के संबंध में कोई निर्णायक सबूत नहीं मिले हैं. मंत्रालय ने कहा कि महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी कार्यक्रम राज्यों द्वारा तैयार और क्रियान्वित किये जाते हैं और इसके लिए आवश्यकतानुसार स्टाफ और तकनीकी सहायता उपलब्ध कराने का दायित्व राज्यों का है.

- मनरेगा के कार्यान्वयन के लिए तैनात कर्मचारियों के वेतन का भुगतान, कार्यक्रम के लिए केंद्र सरकार द्वारा दिये जाने वाले छह प्रतिशत प्रशासनिक मद के तहत किया जा सकता है. मंत्रालय के बयान में कहा गया है कि मनरेगा के तहत आवंटित राशि का 71 प्रतिशत पारिश्रमिका का भुगतान करने में व्यय हुआ.

किसको जितना लाभ :-
- श्रमिकों में से अनुसूचित जाति के श्रमिकों की संख्या में 20 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की गई जबकि अनुसूचित जनजाति के श्रमिकों की संख्या में 17 प्रतिशत बढोत्तरी हुई.
- महिला श्रमिकों की संख्या में भी वृद्धि दर्ज की गई. इस कार्यक्रम के तहत 65 प्रतिशत से ज्यादा काम कृषि और उससे जुड़ी गतिविधियों में हुआ.

Download this article as PDF by sharing it

Thanks for sharing, PDF file ready to download now

Sorry, in order to download PDF, you need to share it

Share Download